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कौन हैं जूलियन असांजे, जिनके बनाए विकीलीक्स ने अमेरिका की राजनीति में ला दिया था भूचाल

21वीं सदी में हर किसी के लिए प्राइवेसी इंपोर्टेंट हैं। हर शख्स चाहता है कि उसका डाटा सुरक्षित रहे, मगर सबसे बड़ी समस्या उस समय आती है, जब डाटा लीक हो जाता है

कौन हैं जूलियन असांजे, जिनके बनाए विकीलीक्स ने अमेरिका की राजनीति में ला दिया था भूचाल
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नई दिल्ली। 21वीं सदी में हर किसी के लिए प्राइवेसी इंपोर्टेंट हैं। हर शख्स चाहता है कि उसका डाटा सुरक्षित रहे, मगर सबसे बड़ी समस्या उस समय आती है, जब डाटा लीक हो जाता है। ऐसा ही कुछ उस समय देखने को मिला था, जब विकिलीक्स नाम की वेबसाइट पर महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आनी लगीं। यह जानकारी कोई मामूली नहीं थी, बल्कि सेना से जुड़ी हुई थीं।

साल 2006 में विकीलीक्स की स्थापना ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार और हैकर जूलियन असांजे ने की थी। विकीलीक्स की स्थापना का उद्देश्य गोपनीय दस्तावेजों, जिसमें भ्रष्टाचार और युद्ध से जुड़े मामले को विकिलीक्स नाम की वेबसाइट पर प्रकाशित करना था।

विकिलीक्स पहली बार साल 2010 में चर्चा में आई, जब अमेरिकी सेना से जुड़े कुछ खुफिया दस्तावेज को वेबसाइट पर लीक कर दिया गया। इसके बाद अमेरिका ने जूलियन असांजे पर जासूसी के आरोप लगाए। यहीं से उनकी मुश्किलें बढ़ना शुरू हो गईं। अमेरिकी सरकार ने विकिलीक्स की जांच शुरू की।

बात उस समय और बिगड़ गई, जब नवंबर 2010 में स्वीडन सरकार ने जूलियन असांजे के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया। असांजे पर दो महिलाओं के रेप का आरोप लगाया गया, लेकिन उन्होंने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्हें दिसंबर 2010 में स्वीडन कोर्ट द्वारा जारी वारंट के बाद ब्रिटेन में गिरफ्तार किया गया, मगर जल्द ही जमानत मिल गई।

असांजे ने स्वीडन भेजे जाने से बचने के लिए साल 2012 में लंदन स्थित इक्वाडोर के दूतावास में शरण ली। असांजे को आधिकारिक तौर पर शरण दी गई। वह साल 2012 से 2019 के बीच इक्वाडोर दूतावास में ही रहे। लेकिन, विवादों की वजह से इक्वाडोर सरकार ने उनसे संरक्षण छीन लिया और साल 2019 में ब्रिटेन की पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।

हालांकि, इसी साल जून में अमेरिकी अधिकारियों के साथ एक समझौते के बाद विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे को ब्रिटेन की जेल से रिहा कर दिया गया था।

असांजे को सरकारी डाटा चुराने और उसे प्रकाशित करने के मामले में कथित भूमिका के लिए 2019 में 18 मामलों का सामना करना पड़ा था। इसमें अधिकतम 175 साल की जेल की सजा हो सकती थी।


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