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ट्विटर के लिए काम कर रहे थे भारत और चीन के जासूसः व्हिसलब्लोअर

ट्विटर के पूर्व सुरक्षा प्रमुख ने अपनी पूर्व कंपनी पर कई सनसनीखेज आरोप लगाए हैं जिनमें भारत का नाम कई बार लिया गया.

ट्विटर के लिए काम कर रहे थे भारत और चीन के जासूसः व्हिसलब्लोअर
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ट्विटर के पूर्व सुरक्षा प्रमुख पीटर जाटको ने अमेरिकी कांग्रेस को बताया है कि चीन का कम से कम एक जासूस ट्विटर में कर्मचारी के तौर पर काम कर रहा था. जाटको ने कहा कि कंपनी ने जानबूझ कर भारत को अपने जासूसों को कंपनी में भर्ती करने की इजाजत दी जिससे इन देशों को ग्राहकों की जानकारियों तक पहुंच संभव हुई. कुछ ही दिन पहले एक पूर्व ट्विटर कर्मचारी पर सऊदी अरब के लिए जासूसी करने का दोष साबित हुआ था.

एक सम्मानित साइबर सिक्युरिटी एक्सपर्ट पीटर जाटको ने ट्विटर की कई अंदरूनी बातें उजागर की हैं. मंगलवार को वह अमेरिका की सेनेट जूडिशरी कमेटी के सामने पेश हुए और कई सनसनीखेज खुलासे किए. उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया साइट ट्विटर की साइबर सुरक्षा नीति बेहद कमजोर है और किशोर, चोर वह जासूसों के लिए उसका इस्तेमाल अपने फायदे के लिए कर पाना बहुत आसान है.

जाटको ने कहा, "मैं आज यहां इसलिए हूं क्योंकि ट्विटर का नेतृत्व जनता, नेताओं और नियामकों को और यहां तक कि अपने बोर्ड को भी गुमराह कर रहा है.” जाटकों ने कहा कि ट्विटर को अपने पास मौजूद डेटा के बारे में कोई जानकारी नहीं है और ना ही वे इसकी सुरक्षा कर सकते हैं.

जाटको ने कहा, "अगर कोई ताला ही नहीं है, तो इससे क्या फर्क पड़ता है कि चाबी किसके पास है. ट्विटर का नेतृत्व अपने इंजीनियरों को नजरअंदाज करता है क्योंकि उन्हें अपने फायदे के कारण वे मुनाफे को सुरक्षा के ऊपर रखते हैं.”

एक बयान में ट्विटर ने कहा है कि उसकी भर्ती प्रक्रिया "किसी भी विदेशी प्रभाव से मुक्त है” और डेटा तक पहुंच का अधिकार बहुत सारे उपायों के जरिए तय किया जाता है. ट्विटर के मुताबिक इन उपायों में पृष्ठभूमि की जांच से लेकर, डेटा अधिकार पर नियंत्रण और व्यवस्था व प्रक्रिया की निगरानी तक शामिल हैं.

कौन हैं पीटर जाटको?

पीटर जाटको ट्विटर में सुरक्षा प्रमुख थे. इसी साल की शुरुआत में उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया था. जुलाई में उन्होंने बतौर व्हिसलब्लोअर एक शिकायत अमेरिकी सांसद, जस्टिस डिपार्टमेंट, फेडरेल ट्रेड कमीशन और सिक्युरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन को भेजी थी.

51 वर्षीय जाटको को सबसे पहले मशहूरी तब मिली जब 1990 के दशक में वह एथिकल हैकिंग आंदोलन के अगुआ बनकर उभरे थे. उन्होंने अमेरिका के रक्षा मंत्रालय के अलावा गूगल में भी काम किया है. 2020 में तत्कालीन ट्विटर सीईओ जैक डॉर्सी के अनुरोध पर कंपनी में काम करना शुरू किया था.

जाटको ने ट्विटर पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं जिनमें सुरक्षा मानकों को लेकर झूठ बोलने का भी आरोप है. जाटको ने कहा है कि ट्विटर ने झूठा दावा किया है कि उसने अपने ग्राहकों की निजता और सुरक्षा के लिए मजबूत उपाय किए हैं और यह दावा कर कंपनी ने 2011 में किए एक समझौते का उल्लंघन किया है.

‘अमेरिका के लिए खतरा'

अमेरिकी सेनेट की जूडिशरी कमेटी इन आरोपों पर सुनवाई कर रही है जिसके अध्यक्ष इलिनोई के डेमोक्रैट सांसद डिक डरबिन हैं. उन्होंने कहा कि जाटको ने ट्विटर की खामियों को विस्तार से बताया है जो "उसके करोड़ों ग्राहकों को और अमेरिकी लोकतंत्र के लिए खतरा पैदा कर सकती हैं.”

डरबिन ने कहा, "ट्विटर एक बेहद शक्तिशाली मंच है और उसमें खामियां होना महंगा पड़ सकता है.”

जाटको ने अपने बयान में कहा कि ग्राहकों को पता ही नहीं है कि उनकी बेहद निजी जानकारियां ट्विटर के पास हैं. उन्होंने कहा कि कई बार तो ट्विटर को खुद भी अहसास नहीं होता कि ग्राहकों की कितनी जानकारियों उसके पास है. उन्होंने आरोप लगाया कि ट्विटर ने मूलभूत व्यवस्थागत कमियों को दूर करने के लिए कुछ नहीं किया है.

जाटको ने कहा कि निजता हनन को रोकने के लिए यूरोपीय एजेंसियों के मुकाबले अमेरिकी एजेंसियां पीछे चल रही हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि ट्विटर उन देशों की सरकारों के आगे झुक रहा है जो अपने जासूसों को नौकरी पर रखवा रही हैं और कंपनी यह तय करने में अक्षम है कि कौन से कर्मचारियों को किन जानकारियों तक पहुंच हासिल है, लिहाजा उसके लिए यह जानना मुश्किल हो गया है कि ये कर्मचारी ग्राहकों की जानकारियों का गलत इस्तेमाल तो नहीं कर रहे हैं.

जाटको ने कहा कि वह "पूरे भरोसे के साथ” कहते हैं कि भारत सरकार ने एक विदेशी जासूस को नौकरी पर रखवाया ताकि भारत सरकार और कंपनी के बीच सोशल मीडिया नियमों को लेकर चल रही बातचीत के बारे में अंदरूनी जानकारियां हासिल कर सके. उन्होंने यह खुलासा भी किया नौकरी पर निकाले जाने से लगभग एक हफ्ता पहले उन्हें बताया गया था कि चीनी राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्रालय का कम से कम एक जासूस ट्विटर पर तन्ख्वाह पाने वाला कर्मचारी है. भारत और ट्विटर के बीच संबंध काफी तनावपूर्ण रहे हैं और कंपनी आरोप लगाती रही है कि भारत सरकार उससे लोगों के अकाउंट्स बंद करने को कहती है.


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