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किसे चुने ताइवान : चीन या अमेरिका?

ताइवान के मौजूदा और पूर्व राष्ट्रपतियों के विदेशी दौरों के बाद, देश के राजनीतिक दल 2024 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए कमर कस रहे हैं. चुनावी माहौल में ‘युद्ध या शांति’ का नारा बातचीत पर हावी दिख रहा है.

किसे चुने ताइवान : चीन या अमेरिका?
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ताइवान के राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन और पूर्व राष्ट्रपति मा यिंग जोउ के हाल ही में दो हाई-प्रोफाइल विदेशी दौरों के बाद ताइवान में 2024 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों में सरगर्मी बढ़ गई है.

मा ताइवान की प्रमुख विपक्षी पार्टी कुओमिन्तांग (केएमटी) के नेता हैं. हाल ही में चीन की मुख्य भूमि के अपने दौरे की ब्रांडिंग वो ताइवान क्षेत्र में शांति बहालों के प्रयासों के तौर पर कर रहे हैं.

उनका कहना है कि वेन प्रशासन के तहत चीन के साथ ताइवान का तनाव काफी बढ़ गया है और ताइवान को ‘युद्ध अथवा शांति' में से किसी एक का चुनाव करना है. वहीं दूसरी ओर, वेन ने हाल ही में अमेरिका के हाउस ऑफ रिप्रेंजेटेटिव के स्पीकर केविन मैक्कार्थी से मुलाकात की थी.

वेन ने पत्रकारों को बताया कि ग्वाटेमाला और बेलिज जैसे ताइवान के दो सेंट्रल अमेरिकी सहयोगियों ने एक बार फिर लोकतांत्रिक द्वीप के साथ अपने राजनयिक संबंधों की पुष्टि की है. उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका में दोनों पार्टियों के सांसदों ने भी ताइवान के साथ एकजुटता जताई है.

राष्ट्रपति पद के संभावित उम्मीदवारों के बयान

ताइवान के कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि जोउ और वेन के विदेशी दौरों के लिए अलग-अलग जगहों का चुनाव विदेशी राजनीति में ताइवान के अलग-अलग रास्तों का प्रतिनिधित्व करता है. साथ ही यह भी दिखाता है कि यहां की राजनीति में लोकतंत्र और तानाशाही के बीच कितनी प्रतिस्पर्धा है.

ताइवान की सूचो यूनिवर्सिटी में राजनीति पढ़ाने वाले फांग-ये चेन कहते हैं, "इन यात्राओं के जरिए केएमटी और सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी अपने राजनीतिक आधार को मजबूत कर सकते हैं. अब ये देखने वाली बात होगी कि स्वतंत्र मतदाता इनके बयानों को किस तरह से लेते हैं.”

वेन और जोउ के चीन और अमरीका के हाईप्रोफाइल दौरों के अलावा अन्य पार्टियों के राष्ट्रपति पद के संभावित उम्मीदवार भी अपने-अपने तरह से प्रचार कर रहे हैं.

ताइवान के मौजूदा उप राष्ट्रपति विलियम लाई 12 अप्रैल को डपीपी पार्टी की ओर से औपचारिक तरीके से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार नामित किए गए. इसके बाद अपने पहले संबोधन में उन्होंने कहा कि 2024 के राष्ट्रपति चुनाव दरअसल ‘लोकतंत्र या तानाशाही' के मुद्दे पर होंगे ना कि ‘युद्ध अथवा शांति' के मुद्दे पर.

उन्होंने कहा, "पूर्व राष्ट्रपति जोउ वन चाइना सिद्धांत की ओर वापस चले गए हैं जबकि राष्ट्रपति वेन लोकतांत्रिक रास्ते पर हैं. यह पूरी तरह से अलग चुनाव है जिसका 2024 में देश सामना करेगा. इसलिए 2024 का चुनाव ताइवान की दिशा तय करेगा- लोकतांत्रिक तरीके की निरंतरता का, अगली पीढ़ी की खुशहाली का और साथ ही इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति और स्थिरता का.”

चीन का वॉर गेम

अप्रैल की शुरुआत में, ताइवान की बड़ी टेक कंपनी फॉक्सकॉन के संस्थापक टेरी गोउ ने केएमटी पार्टी के तौर पर राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन की घोषणा की थी. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि चीन और अमरीका के बीच चल रही प्रतिस्पर्धा में ताइवान को किसी की भी तरफदारी करने से बचना चाहिए.

डीपीपी पार्टी को वोट देने के संभावित खतरों के बारे में युवा मतदाताओं को उन्होंने चेतावनी दी कि इस पार्टी ने ‘ताइवान की आजादी का आह्वान किया था और चीन से नफरत और उसके विरोध की वकालत की थी.'

गोउ ने कहा, "शांति को इतने हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए. इसके लिए लोगों को सही फैसले लेने की जरूरत है.”

जब उनसे पूछा गया कि वेन की मैक्कार्थी से मुलाकात के बाद चीन ने ताइवान के चारों ओर जो सैन्य कार्रवाई की, उसे किस तरह से देखेंगे, तो उन्होंने कहा कि केएमटी खुद को एकमात्र पार्टी के रूप में स्थापित करने की कोशिश करेगी जो ताइवान क्षेत्र में शांति स्थापित करने में मदद कर सके.

चेन कहते हैं, "चूंकि चीन ताइवान के राजनीतिक दलों और उनके नेताओं के सामने बातचीत से पहले कुछ शर्तें रखने लगा है, इसलिए केएमटी इस दावे पर संदेह करता रहेगा कि वे एकमात्र राजनीतिक दल हैं जो चीन के साथ रिश्तों को बनाए रख सकते हैं.”

चेन आगे कहते हैं, "हालांकि त्साई की यात्रा ने ताइवान के लोगों की लोकतंत्र और निरंकुशता के बीच द्वंद्व की चिंताओं की फिर से बढ़ा दिया है और डीपीपी की ओर मुड़ने का एक मौका दे दिया है. इससे डीपीपी पार्टी को 2024 के राष्ट्रपति चुनाव की तैयारियों की शुरुआत करने में अच्छी मदद मिल सकती है.”

ताइवान के लोगों में चिंता

हालांकि कुछ विशेषज्ञों का सुझाव है कि ‘लोकतंत्र और तानाशाही' के बीच चुनाव का नैरेटिव ज्यादा से ज्यादा ताइवानी लोगों को पसंद आए. डीडब्ल्यू से बातचीत में कुछ ताइवानी युवाओं ने कहा कि आगामी चुनाव में उनके लिए सबसे बड़ा मुद्दा इस पूरे क्षेत्र में शांति बहाल करना और खुद ताइवान की सुरक्षा है.

अगस्त महीने में अमरीकी संसद के सदन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव की पूर्व स्पीकर नेंसी पेलोसी की ताइवान की यात्रा को लेकर ताइवानी लोगों के साथ किए गए एक सर्वे के मुताबिक, ज्यादातर ताइवानी लोग यह मानते हैं कि पेलोसी की ताइवान यात्रा यहां की सुरक्षा के लिए नुकसानदायक थी.

सर्वे से यह भी पता चलता है कि बड़ी संख्या में ताइवानी मतदाता इस बात को लेकर भी चिंतित हैं कि कहीं अमरीका उन्हें अपने जाल में फंसा तो नहीं रहा है.

सर्वे को गत पांच अप्रैल को अमरीकी थिंक टैंक ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूट ने सार्वजनिक गया था. इसके लेखकों का कहना है, "केएमटी समर्थकों और स्वतंत्र मतदाताओं की बड़ी संख्या मानती है कि पेलोसी की यात्रा ने ताइवान की सुरक्षा को कमजोर किया है जबकि डीपीपी समर्थकों में से ज्यादातर की राय इसके बिल्कुल विपरीत है.”

हाल की यात्राओं के जरिए त्साई और मा डीपीपी और केएमटी के राजनीतिक आधार को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं. कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि 2024 में स्वतंत्र मतदाता निर्णायक साबित हो सकते हैं और ये ऐसे लोगों का समूह हैं जिन्हें दोनों ही पार्टियां लुभाने की कोशिश करेंगी.

ताइपे स्थित नेशनल चेंग्ची यूनिवर्सिटी के राजनीति वैज्ञानिक लेव नैकमैन कहते हैं, "दोनों ही पार्टियां एक-दूसरे पर ताइवान में संभावित तबाही लाने का आरोप लगाएंगे और दोनों ही यह दावा करेंगे कि ताइवान के हित उन्हीं के हाथों में सुरक्षित हैं.”

सूचो यूनिवर्सिटी के चेन ने डीडब्ल्यू को बताया कि जिस तरह से यूक्रेन में युद्ध जारी है, ऐसे में केएमटी और डीपीपी अपने प्रतिस्पर्धात्मक नैरेटिव ‘ताइवान को दुनिया के ताकतवर देशों को नाराज करने से बचना चाहिए' बनाम ‘ताइवान को अपनी सुरक्षा को मजबूत करना चाहिए क्योंकि तानाशाह लोग मूर्ख और अतार्किक होते हैं' को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे. वो कहते हैं, "मुख्यधारा की ये दो दलीलें जारी रहेंगी, लेकिन अभी यह कहना मुश्किल है कि किस दलील का पलड़ा भारी है.”


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