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जब धीरू भाई अंबानी ने मोदी को देखते ही कर दी थी, उनके पीएम बनने की भव‍िष्‍यवाणी

बात 1990 के दशक के आखिरी सालों की है। तब तक भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सचिव रहे नरेंद्र मोदी को पार्टी के संगठन का महामंत्री नियुक्त किया जा चुका था

जब धीरू भाई अंबानी ने मोदी को देखते ही कर दी थी, उनके पीएम बनने की भव‍िष्‍यवाणी
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नई दिल्ली। बात 1990 के दशक के आखिरी सालों की है। तब तक भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सचिव रहे नरेंद्र मोदी को पार्टी के संगठन का महामंत्री नियुक्त किया जा चुका था। एक रोज धीरू भाई अंबानी ने नरेंद्र मोदी को अपने मुंबई के घर पर खाने पर बुलाया।

नरेंद्र मोदी धीरू भाई अंबानी के घर पहुंचे। खाने की मेज लगाई गई। धीरू भाई अंबानी ने अपने दोनों बेटों के साथ उनकी मेजबानी की। सभी ने साथ बैठ कर खाना खाया। खाने के बाद नरेंद्र मोदी और धीरू भाई अंबानी की लंबी बातचीत हुई। इस बातचीत के बाद धीरू भाई अंबानी ने नरेंद्र मोदी के लिए जो कुछ भी कहा, वह इतिहास बन गया।

नरेंद्र मोदी के जाने के बाद उन्होंने अपने दोनों बेटों से बात करते हुए कहा, 'लंबी रेस न घोड़ो छे, लीडर चे, पीएम बनसे।' मतलब यह आदमी जो अभी घर से निकल कर गया, वह लंबी रेस का घोड़ा है। वह एक नेता है। वह एक दिन प्रधानमंत्री जरूर बनेंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को अपना 74वां जन्मदिन मनाएंगे। उनके जन्मदिन के अवसर पर जानेंगे कि कैसे धीरूभाई अंबानी को नरेंद्र मोदी के अंदर वैश्विक नेता की छवि दिख गई।

इस घटना के बरसों बाद धीरू भाई अंबानी के छोटे बेटे अनिल अंबानी ने इसकी जानकारी सोशल मीडिया पर शेयर की थी। अपने पोस्ट में उन्होंने लिखा था कि पापा की भविष्यवाणी हमेशा की तरह सिंपल और सीधी थी। भारत के इतिहास में मोदी का प्रधानमंत्री बनना एक निर्णायक क्षण था। पापा स्वर्ग में मुस्कुरा रहे होंगे, क्योंकि उनकी भविष्यवाणी हर बार की तरह सच हुई। मेरे पिता के शब्दों में नरेंद्र भाई खुली आंखों से सपने देखते हैं। उनके पास अर्जुन की तरह सटीक निशाना और लक्ष्य दोनों हैं।

उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल हुआ करते थे। 1998 के विधानसभा चुनावों में केशुभाई पटेल दोबारा मुख्यमंत्री बनाए गए। बीजेपी ने राज्य विधानसभा चुनाव में 182 में से 117 सीटों पर जीत का परचम लहराया। कांग्रेस पार्टी सिर्फ 60 सीटों पर ही सिमट गई। लेकिन उनके सामने संकट तब खड़ा हुआ, जब राज्य में हुए उपचुनावों में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद पार्टी नेतृत्व ने उनकी जगह राज्य का नया मुखिया चुना। वह मुखिया थे नरेंद्र दामोदर दास मोदी। छह अक्टूबर 1998 को केशुभाई पटेल की विदाई के बाद नरेंद्र मोदी की गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर ताजपोशी की गई। सत्ता पर काबिज होने के बाद उन्‍होंने ऐसे मजबूत तरीके से अपने पैर जमाए कि उन्हें कोई उखाड़ नहीं पाया।

2014 में जब कांग्रेस नीत यूपीए गठबंधन अपनी सत्ता की नाव में घोटाले का एक छेद भरने की कोशिश करता था, तो दूसरा उससे बड़ा छेद बन जाता था। कांग्रेस की इस कमजोर कड़ी का फायदा नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनावों में उठाया। घोटालों की खबरों से ऊब चुकी जनता ने कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया। कांग्रेस सिर्फ 44 सीटों तक ही सिमट गई। भाजपा की इस जीत के सिरमौर बने नरेंद्र मोदी। अब वह लगातार तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री की शपथ ले चुके हैं।


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