गेंहू, जौ से हो रही है बीमारी, डॉक्टरों ने शुरू किया मंथन
अनाज से भी बीमारी होती है यह हैरानी वाला तथ्य आज चिकित्सकों ने बताया और जानकारी दी कि भारत में इस बीमारी से सौ में से एक व्यक्ति को है और कुल करीब 60 से 80लाख लोग इस बीमारी से पीडि़त होने के अनुमान है

नई दिल्ली। अनाज से भी बीमारी होती है यह हैरानी वाला तथ्य आज चिकित्सकों ने बताया और जानकारी दी कि भारत में इस बीमारी से सौ में से एक व्यक्ति को है और कुल करीब 60 से 80 लाख लोग इस बीमारी से पीडि़त होने के अनुमान हैं। इस बीमारी को सिलियैक रोग कहा जाता है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान के वरिष्ठ चिकित्सक डा. गोविंद मखारिया नेबताया कि अब बीमारी के समाधान पर दिल्ली में 17वां इंटरनेशनल सिलियैक डिसीज सिम्पोजियम (आईसीडीएस) का आयोजन किया जा रहा है।
इस आयोजन में आईसीडीएस देश व दुनिया के अग्रणी गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट, क्लिनिकल वैज्ञानिकों, पोषण विशेषज्ञों और अन्य संबंधित प्रोफेशनल्स के लिए एक मंच है, जहां वे इस रोग से पीड़ित व्यक्तियों के सामने आ रही चुनौतियों पर विचार विमर्श करते हैं।
संगोष्ठी में अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका और एशिया के 27 विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों के शामिल हो रहे हैं।
संगोष्ठी का आयोजन ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) द्वारा इंडियन सोसाइटी ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी (आईएसजी), इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर द स्टडी ऑफ सिलियैक डिसीज (आईएसएससीडी) और एशिया-पैसेफिक एसोसिएशन ऑफ गैस्ट्रोएन्टरोलॉजी (एपीएजीई) के सहयोग से किया जा रहा है।
डा. मखारिया ने बताया कि यह बीमारी एक स्वत: प्रतिरक्षी यानी ऑटो इम्यून बीमारी है जो एक प्रोटीन के कारण होती है, जिसे ग्लूटेन कहा जाता है। यह प्रोटीन अनाज में मौजूद होता है, जिसमें गेहूं और जौ प्रमुख है। इन रोगियों में, ग्लूटेन प्रोटीन पूरी तरह से पच नहीं पाता है और इससे छोटी आंत को नुकसान पहुंचता है। छोटी आंत में भोजन अवशोषित नहीं होता है और इस प्रकार, इन रोगियों की ऊंचाई एवं वजन की बढ़त रुक जाती है। उन्हें डायरिया, रक्त की कमी और हड्डियों की कमजोरी जैसी समस्याएं भी पेश आती हैं।
एम्स के गैस्ट्रोएन्टरोलॉजी एवं ह्यूमन न्यूट्रीशन विभाग के प्रो. डॉ. गोविंद मखारिया ने कहा, 'भारत में सिलियैक रोग बड़े पैमाने पर होने की सूचना नहीं है। हमारे देश में सिलियैक रोग की रोकथाम और उपचार में सबसे बड़ी बाधा इस बीमारी और इसके कारणों के बारे में सीमित जागरूकता है।’


