Top
Begin typing your search above and press return to search.

भव्य मंदिर' से ममता बनर्जी को क्या हासिल होगा

पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ओडिशा के पुरी की तर्ज पर एक जगन्नाथ मंदिर बनवाया है. विपक्ष ने इसे जनता के पैसों की बर्बादी करार देते हुए ममता बनर्जी पर हिंदुत्व की राजनीति करने का आरोप लगाया है

भव्य मंदिर से ममता बनर्जी को क्या हासिल होगा
X

पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ओडिशा के पुरी की तर्ज पर एक जगन्नाथ मंदिर बनवाया है. विपक्ष ने इसे जनता के पैसों की बर्बादी करार देते हुए ममता बनर्जी पर हिंदुत्व की राजनीति करने का आरोप लगाया है.

यह मंदिर, पश्चिम बंगाल के समुद्रतटीय पर्यटन केंद्र दीघा में बनाया गया है. करीब 250 करोड़ रुपये की लागत से बने इस मंदिर का उद्घाटन 'अक्षय तृतीया' के मौके पर 30 अप्रैल को होना है.

मुर्शिदाबाद में हिंसा के बाद तनाव और सन्नाटे का आलम

ममता बनर्जी इसके लिए 28 अप्रैल से ही दीघा में हैं. वही इसका उद्घाटन करेंगी. विपक्ष ने इसे जनता के पैसों की बर्बादी करार देते हुए ममता बनर्जी पर हिंदुत्व की राजनीति करने का आरोप लगाया है.

मंदिर के निर्माण का खर्च किसने दिया?

ममता बनर्जी ने साल 2019 में इस मंदिर की योजना बनाई थी. तब इसकी अनुमानित लागत करीब 143 करोड़ रुपये आंकी गई थी. कोविड महामारी की वजह से इसमें देरी हुई और साल 2022 में निर्माण कार्य शुरू हुआ.

करीब 22 एकड़ इलाके में बने इस मंदिर पर करीब 250 करोड़ रुपए की लागत आई है. पूरी रकम सरकारी खजाने से खर्च की गई है. मंदिर के निर्माण में राजस्थान के लाल पत्थर, यानी सैंडस्टोन का इस्तेमाल किया गया है.

मंदिर के फर्श पर वियतनाम से आयातित मार्बल का इस्तेमाल किया गया है. कलिंग स्थापत्य शैली से बने इस मंदिर के शिखर की ऊंचाई 65 मीटर है. इसके निर्माण के लिए 2,000 से ज्यादा कारीगरों ने तीन साल तक काम किया है. इनमें से करीब 800 कारीगरों को राजस्थान से बुलाया गया था.

मंदिर का निर्माण 'वेस्ट बंगाल हाउसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर कॉर्पोरेशन' ने कराया है. मंदिर के संचालन के लिए राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक ट्रस्ट का गठन किया गया. इसमें जिला प्रशासक और पुलिस अधीक्षक के अलावा इस्कॉन, सनातन ट्रस्ट और स्थानीय पुरोहितों के प्रतिनिधि शामिल हैं.

मंदिर में बने तीन मंडपों की क्षमता करीब दो, चार और छह हजार लोगों की है. वहां धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं के रहने और आराम करने की जगह के अलावा दमकल स्टेशन और पुलिस चौकी भी होगी.

हिंदुत्व की राजनीति करने का आरोप

कई राजनीतिक विश्लेषक इस मंदिर के निर्माण को ममता बनर्जी के लिए बीजेपी के उग्र हिंदुत्व के मुकाबले का हथियार बता रहे हैं. बीजेपी ने इस परियोजना को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा है कि राज्य सरकार सार्वजनिक रकम का इस्तेमाल किसी धार्मिक संस्थान के निर्माण के लिए नहीं कर सकती.

कांग्रेस और सीपीएम ने भी इसके लिए सरकार की खिंचाई की है. तृणमूल कांग्रेस ने कहा है कि सरकार ने स्थानीय लोगों की इच्छा का सम्मान करते हुए ही दीघा में यह मंदिर बनवाया है.

विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने डीडब्ल्यू हिन्दी से बातचीत में कहा, "लोगों को यह पता होना चाहिए कि सरकारी रकम से मंदिर, मस्जिद या गुरुद्वारे नहीं बनाए जा सकते. यह मंदिर नहीं, बल्कि जगन्नाथ धाम सांस्कृतिक केंद्र है. पुरी स्थित जगन्नाथ धाम चार पवित्र धामों में से एक है. उसकी नकल को हिंदू समुदाय स्वीकर नहीं करेगा."

बीजेपी के नेता शुभेंदु अधिकारी ने यह सवाल भी उठाया कि क्या इस मंदिर में भी पुरी की तर्ज पर सिर्फ हिंदुओं को ही प्रवेश मिलेगा? उनके मुताबिक, अगर ऐसा नहीं होता तो इससे करोड़ों हिंदुओं की भावना को ठोस पहुंचेगा.

उधर मंदिर में 28 अप्रैल से ही धार्मिक कार्यक्रम शुरू हो गए हैं. बीजेपी ने उद्घाटन के ही दिन, यानी 30 अप्रैल को कई अन्य कार्यक्रमों का आयोजन किया है. पार्टी के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने डीडब्ल्यू हिन्दी से कहा, "हम बुधवार (30 अप्रैल) को मुर्शिदाबाद की हालिया हिंसा में नष्ट मंदिरों की मरम्मत का काम शुरू कर वहां पूजा-अर्चना करेंगे. इसके लिए हिंदू समाज ही आर्थिक मदद करेगा."

इससे पहले शुभेंदु अधिकारी ने इसी महीने रामनवमी के दिन अपने विधानसभा इलाके नंदीग्राम में अयोध्या की तर्ज पर प्रस्तावित राम मंदिर की आधारशिला रखी थी.

कांग्रेस और सीपीएम का भी विरोध

कांग्रेस और सीपीएम ने ममता बनर्जी और बीजेपी पर राजनीति को सांप्रदायिक रंग देने का आरोप लगाया है. कांग्रेस का कहना है कि इस मंदिर के निर्माण पर खर्च हुए 250 करोड़ रुपए से कई कल्याणमूलक योजनाएं पूरी हो सकती थीं.

सीपीएम के राज्यसभा सदस्य विकास रंजन भट्टाचार्य ने डीडब्ल्यू हिन्दी से बात करते हुए कहा, "सरकार की ओर से मंदिर या किसी पूजा स्थल का निर्माण संविधान की भावनाओं के खिलाफ है. इसकी धारा 27 में साफ कहा गया है कि सरकारी खजाने से किसी पूजा स्थल का निर्माण नहीं किया जा सकता."

कांग्रेस प्रवक्ता सौम्य आइच राय ने कहा, "सरकार का धर्म 'सर्वधर्म समभाव' की नीति पर चलना है. लेकिन मंदिर के निर्माण के जरिए (प्रदेश) सरकार, बीजेपी के हिंदुत्व के एजेंडे को ही आगे बढ़ा रही है. इससे रोटी, कपड़ा और मकान जैसे मूलभूत मुद्दे हाशिए पर चले जाएंगे."

पश्चिम बंगाल: अनिश्चित भविष्य की ओर ताकते 26 हजार शिक्षक

तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने विपक्ष की आलोचना को खारिज करते हुए कहा कि इतने भव्य मंदिर के निर्माण ने विपक्ष की नींद उड़ा दी है. कुणाल घोष ने डीडब्ल्यू हिन्दी से बातचीत में कहा, "ममता अपने पूरे राजनीतिक करियर में धर्मनिरपेक्ष रही हैं. ऐसे में हिंदुत्व की राजनीति करने या इसे बढ़ावा देने के विपक्ष के आरोप निराधार हैं."

राजनीतिक विश्लेषक विश्वनाथ चक्रवर्ती डीडब्ल्यू से कहते हैं, "इस बात में कोई संदेह नहीं है कि राज्य में हिंदुत्व की राजनीति लगातार तेज हो रही है. ममता ने अपनी छवि सुधारने और बीजेपी के आरोपों का जवाब देने के लिए ही इस मंदिर का निर्माण कराया है. यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि सरकार अस्पताल, स्कूल, रोजगार और दूसरी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने की दिशा में कितनी गंभीर है."

पश्चिम बंगाल में क्यों अब भी गंभीर बनी हुई है बाल विवाह की समस्या

राजनीतिक विश्लेषक शिखा मुखर्जी डीडब्ल्यू से कहती हैं, "अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले इस परियोजना को बीजेपी के हिंदुत्ववादी एजेंडे की काट के लिए ममता का सबसे बड़ा हथियार माना जा रहा है. वह 'अल्पसंख्यकों की हितैषी' वाली अपनी छवि से बाहर निकलने का प्रयास कर रही हैं. दूसरी ओर, बीजेपी अपने हिंदुत्व के एजेंडे को और मजबूत करने में जुटी है."


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it