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ये कैसा सुशासन, जनसुनवाई में शिकायतकर्ता आत्मदाह को मजबूर, लगातार दूसरी घटना
जिला पंचायत के निर्माण से पहले सरकारी जमीन से कदम सिंह के परिवार के मकान को जमींदोज किया गया था लेकिन शासन ने 2019 में ही उन्हें मुख्यमंत्री आवास मिशन शहरी अधिकार पत्र दिया, जिसके तहत रमौआ डैम के पास उन्हें जगह दी गयी।

गजेन्द्र इंगले
ग्वालियर: मंगलवार को कलेक्ट्रेट जनसुनवाई में एक परिवार के 4 लोगों ने खुद पर मिट्टी का तेल डालकर आत्मदाह की कोशिश की, जिसके चलते अफरा-तफरी का माहौल बन गया, लेकिन सक्रियता का परिचय देते हुए वहां उपस्थित होमगार्ड्स ने बड़ी अनहोनी को रोक दिया। आत्महत्या की कोशिश करने वाले परिवार के लोग भू अधिकार के तहत दिए गए पट्टे की जगह, दूसरे स्थान पर जगह मांग रहे थे, प्रशासन पर दबाव डालने के लिए इन्होंने आत्मदाह का प्रयास किया। विश्वविद्यालय थाना पुलिस ने परिवार के चारों लोगों को हिरासत में लिया है।
दरअसल ग्वालियर में नए जिला पंचायत भवन का निर्माण जिस जगह पर हुआ है उस सरकारी जमीन पर कदम सिंह का परिवार बीते कई सालों से कब्जा किया हुआ था, जिला पंचायत के निर्माण से पहले और सरकारी जमीन से कब्जा हटाया गया, उस दौरान कदम सिंह के परिवार के मकान को जमींदोज किया गया था लेकिन शासन ने 2019 में ही कदम सिंह और उनके बेटे किशोर सिंह जाटव के नाम मुख्यमंत्री आवास मिशन शहरी अधिकार पत्र दिया, जिसके तहत रमौआ डैम के पास उन्हें जगह दी गयी। लेकिन कदम सिंह का परिवार बीती कई जनसुनवाई में आकर जिला पंचायत भवन के करीब ही जगह की मांग कर रहा था।

मंगलवार को जनसुनवाई के दौरान भी एडीएम को लेटर देते हुए जगह की मांग की गई तो प्रशासन ने नियमानुसार जगह ना दे पाने की बात कही, जिसे सुनने के बाद कदम सिंह और उसके परिवार के अन्य लोग जिनमें महिलाएं भी शामिल थी उन्होंने मिट्टी का तेल डालकर आत्मदाह की कोशिश करने लगे, घटना के बाद तत्काल मौके पर मौजूद सुरक्षा कर्मियों ने सबको ऐसा करने से रोका। प्रशासन द्वारा परिवार के चार लोगों को हंगामा खड़ा करने पर विश्वविद्यालय थाना पुलिस के सुपुर्द किया, परिवार की महिला सदस्य गीता का कहना है कि जिस जमीन से उन्हें हटाया गया उस जमीन पर वह 50 साल से ज्यादा वक्त से रह रहे थे ऐसे में उन्हें शहर से दूर जगह दी गई है जहां परिवार के साथ रह पाना संभव नहीं है यही वजह है कि वह जिला पंचायत के पास ही जगह की मांग कर रहे हैं, वही इस मामले पर एडीएम एच बी शर्मा का कहना है कि प्रशासन पर इस तरह का दबाव डालने का प्रयास गलत होता है इस दौरान परिवार के सदस्यों को जान का नुकसान भी हो सकता था।
यहां यह वात भी गौर करने वाली है कि जब प्रशासन शासकीय भूमि से कब्जा हटा रहा था। तब ही परिवार को सन्तुष्ठ क्यों नही किया गया और परिवार ने भी पहले मुख्यमंत्री आवास मिशन शहरी अधिकार पत्र क्यों ले लिया। एक और प्रश्न ये भी है कि कलेक्ट्रेट जैसी जगह पर सुरक्षा के इंतजाम इतने कमजोर है कि कोई भी ज्वलनशील पदार्थ लेकर अंदर पहुंच जाए। पिछले मंगलवार भी यहां एक महिला ने आत्मदाह का प्रयास किया था। इसके बाद भी प्रशासन सुरक्षा को लेकर लापरवाह रहा।
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