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बुद्ध होने के मायने

साहित्यकार तेज प्रताप नारायण लिखित बुद्ध होने के मायने का विमोचन पिछले दिनों विश्व पुस्तक मेला, 2024 में संपन्न हुआ

बुद्ध होने के मायने
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- संतोष पटेल

साहित्यकार तेज प्रताप नारायण लिखित बुद्ध होने के मायने का विमोचन पिछले दिनों विश्व पुस्तक मेला, 2024 में संपन्न हुआ।
बुद्ध होने के मायने प्रकृति के प्रति संजीदा, संवेदनशील और सजग होना है। बुद्ध होने के मायने करुणा, प्रेम और दया भाव का अपने व्यवहार में सम्मिलित करना है। बुद्ध होने के मायने तर्कशील होना है। अपेक्षा से विरत होना है। शील, परिमिता और प्रज्ञा से लैस होना है। शांति से रहने का संकल्प लेना है। विश्व में युद्ध की स्थिति को समाप्त कर शांति की स्थापना है।

बुद्ध के महत्व को रामचंद्र शुक्ल, पंत, निराला, महादेवी, चतुर सेन शास्त्री, राहुल सांकृत्यायन, राघव, और यशपाल, रांगेय राघव और मोहन राकेश आदि समझते हैं। दुनिया के साहित्य में बुद्ध प्रमुखता से शामिल हैं पर हिंदी के परवर्ती साहित्यकारों ने बुद्ध के ओर से आंखे मूंद ली।

विडंबना है कि हिंदी साहित्य ने ज्ञान, करुणा, बंधुत्व, प्रेम दया के इस महामानव के विचारों और उनसे जुड़े साहित्य को अपनाने में कंजूसी बरती। यही नहीं, हिंदी साहित्यने अन्य धर्मों के धर्म ग्रंथों को अपना प्रिय विषय बनाया पर बुद्ध के तर्क आधारित साहित्य को, सिद्धांत से बच्चों को दूर किया। इस बीच तेज प्रताप की यह काव्य संग्रह हिंदी साहित्य में बुद्ध के विचारों को काव्यात्मक ढंग से रखने का एक सहज प्रयास है। जिसके माध्यम से कवि तेज प्रताप हमारी पीढ़ी में बुद्ध के मानववादी विचारों को स्थापित करने का एक उम्दा प्रयास कर रहे हैं।

बुद्ध साहित्य को जिस तरह दलित साहित्य के घेरा में रखा गया उस साजिश को भी हमेशा समझना होगा। दलित साहित्य ने एक बढ़िया काम किया कि बुद्ध साहित्य को पुन: साहित्यिक एरिना में लाकर मुख्यधारा में खलबली मचा दी।

कवि तेज प्रताप के इस काव्य संग्रह में 46 कविताएं दर्ज हैं जो बुद्ध के देसना पर आधारित हैं। बुद्ध होने के अर्थ में कवि कहता है ;
'बुद्ध होने का अर्थ

जीवन के मोह से मुक्ति नहीं सांसारिक सुखों का त्याग नहीं
बुद्ध होने का अर्थ

अंदर और बाहर से शुद्ध होना है आंतरिक और बाह्य के द्वैत को कम
करना है
बुद्ध होने का अर्थ
हृदय की करुणा और बुद्धि के तर्क की दो पटरियों पर
जीवन की रेलगाड़ी का चलना है।'

(- बुद्ध होने के अर्थ से उद्धृत, पृष्ठ 18)

बुद्ध की आवश्यक शिक्षाएँ प्रेम, करुणा और सहिष्णुता की थीं। बुद्ध ने सिखाया कि एक साधक को सभी जीवित प्राणियों के प्रति दया रखनी चाहिए और यह सबसे महत्वपूर्ण शिक्षा थी।
केसमुत्ति सुत्त में तथागत कहते हैं:- 'हे कालामो ! किसी तथ्य को केवल इसलिए नहीं मानना चाहिए कि यह तो परम्परा से प्रचलित है, अथवा प्राचीनकाल से ही ऐसा कहा जाता रहा है अथवा यह धर्म ग्रन्थों में कहा गया है अथवा किसी वाद के निराकरण के लिए इस तथ्य का ग्रहण समुचित है। आकार या गुरुत्व के कारण ही किसी तथ्य को स्वीकार नहीं करना चाहिए, प्रत्युत इसलिए ग्रहण करना चाहिए कि ये धर्म कुशल है, अनिन्दनीय है तथा इसको
ग्रहण करने पर इसका फल सुखद और हितप्रद होगा।'

तेज प्रताप नारायण ने अपनी कविता 'इसलिए मुझे बुद्ध अच्छे लगते हैं' में कलाम सुत्त का प्रयोग कर लिखते हैं :
'बुद्ध अंधभक्ति करने से मना करते हैं

वो कहते हैं अपना दीपक स्वयं बनो चीज़ों को जांचों, परखो फिर मानो।'
( बुद्ध होने के मायने, पृष्ठ 74)

तेज प्रताप 'बुद्ध कहते हैं' नामक कविता में लिखते हैं
..बुद्ध मार्ग दिखाते हैं
अहिंसा
करुणा
और मानवता का
बुद्ध धरती को सुंदर बनाते हैं
बुद्ध प्रेम करना सिखाते हैं
बुद्ध प्रेम में रहना सिखाते हैं।' (बुद्ध होने के मायने, पृष्ठ 95)

धम्मपद के 'अत्तवग्ग' में भगवान बुद्ध कहते हैं कि मनुष्य ही स्वयं अपना स्वामी है, उसका दूसरा कोई भी स्वामी नहीं है। मतलब मनुष्य स्वयं अपना मालिक है। अपने अच्छे और बुरे के लिए मनुष्य स्वयं जिम्मेदार है। भगवान बुद्ध कहते हैं-
अत्ता हि अत्तनो नाथो, को हि नाथो परो सिया।
अत्तनाव सुदन्तेन, नाथं लयति दुल्लभं।।

तेज प्रताप इस भाव को 'हम बुद्ध होते हैं' नामक कविता में लिखते हैं :
जितना अंदर से हम शुद्ध होते हैं उतनी मात्रा में हम बुद्ध होते हैं
जो हम खोजते बाहर हैं
वह हमारे अंदर है
जिसको हम समझते झील हैं
वह चेतना का समंदर है
जिसमें मिलेगी
बुद्ध की करुणा
चारों आरिय सत्य
अष्टांगिक मार्ग
पंचशील सिद्धांत
मिट जायेंगे सारे भेद
प्रिय हो जायेगी प्रकृति
समस्त जंतु-जीव...।' (बुद्ध होने के मायने, पृष्ठ 22)

तेज प्रताप नारायण के इस संग्रह का स्वागत होना चाहिए। इस पुस्तक का आवरण प्रियंका संतोष सचान ने बनाया है जो बेहद आकर्षक है। तेज प्रताप ने सरल शब्दों में बहुत गंभीर रचनाएं लिखी है जो पाठक को पढ़ने के लिए बाध्य करती हैं। कवि तेज प्रताप को बहुत बहुत बधाई।
प्रकाशक : हंस प्रकाशन, नई दिल्ली
मूल्य 395


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