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बिहार में फ्लोर टेस्ट के पहले आरजेडी नेताओं के ठिकानों पर छापों के क्या हैं मायने

अहम सवाल यह भी है कि सीबीआई व ईडी ने इसके लिए आज का ही दिन क्यों चुना.

बिहार में फ्लोर टेस्ट के पहले आरजेडी नेताओं के ठिकानों पर छापों के क्या हैं मायने
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बिहार व दिल्ली में ये छापे कथित नौकरी के बदले जमीन घोटाले में मारे जा रहे हैं तो झारखंड में छापेमारी खनन घोटाले के सिलसिले में की जा रही है. काफी उठापटक के बाद बिहार में बनी नई सरकार की सात पार्टियों के पचास विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की नोटिस दी थी. ये ऐसे चौथे स्पीकर थे, जिनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की नोटिस दी गई. हालांकि, तीनों बार स्पीकर की कुर्सी बच गई थी. इस बार सदन में प्रस्ताव पर चर्चा के पहले ही अपनी बात कहकर सिन्हा ने इस्तीफा दे दिया. 26 अगस्त को नए स्पीकर का चुनाव होगा.

बुधवार को ही सदन में नीतीश-तेजस्वी की नई सरकार को विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा कर अपना बहुमत साबित करना तय था और आज ही सीबीआई की कई टीमों ने दिल्ली, गुरुग्राम, पटना, कटिहार व मधुबनी समेत 25 ठिकानों पर छापेमारी की है. इनमें राज्यसभा के दो सदस्य अशफाक करीम व फैयाज अहमद, विधान पार्षद और आरजेडी नेता सुनील सिंह, आरजेडी के पूर्व विधायक अबू दोजाना, पूर्व एमएलसी सुबोध राय और बालू कारोबारी सुभाष यादव शामिल हैं.

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सीबीआई की टीम ने गुरुग्राम (हरियाणा) के सेक्टर -71 में बन रहे अरबन क्यूब्स मॉल पर भी छापा मारा. सीबीआई सूत्रों के अनुसार यह मॉल व्हाइटलैंड कारपोरेशन लिमिटेड नाम की कंपनी का है, जिससे तेजस्वी यादव के हित जुड़े हुए हैं. हालांकि, तेजस्वी यादव ने गुरुग्राम में अपना मॉल होने से इन्कार किया है. उनका कहना है कि यह किसी कृष्ण कुमार का है, जिसका उद्घाटन बीजेपी सांसद ने किया है. कथित तौर पर इस मॉल से लालू प्रसाद के करीबी व आरजेडी के पूर्व विधायक अबू दोजाना भी जुड़े हैं. जिनकी पटना में बनने वाले लालू प्रसाद के मॉल में भी हिस्सेदारी है.

रेलवे भर्ती घोटाला

2004 से 2009 तक लालू प्रसाद यादव जब रेल मंत्री थे तो उस समय चतुर्थ वर्ग के कर्मचारी की नियुक्ति महाप्रबंधक के स्तर से किए जाने का प्रावधान था. आरोप है कि लालू प्रसाद और उनके करीबियों ने बिहार के कई जिलों में जमीन लिखवा कर बदले में दर्जनों लोगों को नौकरियां दीं. उस समय लालू के ओएसडी रहे भोला यादव पर यह सब कुछ मैनेज करने के आरोप हैं.

लालू यादव के अलावा उनकी पत्नी राबड़ी देवी और उनकी दो बेटियां भी इस मामले में आरोपी हैं. वहीं सीबीआई को शक है कि भोला यादव ही इस घोटाले के मास्टरमाइंड हैं. इस प्रकरण में करीब 13 साल बाद सीबीआई ने करीब एक माह पहले भोला यादव को गिरफ्तार किया है.

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एक और मामला इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म (आईआरसीटीसी) घोटाले का भी है. यह घोटाला भी लालू के रेल मंत्री रहते हुआ था. आरोप है कि रेलवे बोर्ड ने उस समय रेलवे की कैटरिंग और होटलों की व्यवस्था आईआरसीटीसी को सौंप दी गई थी. इसी दौरान पुरी व रांची के दो होटलों की व्यवस्था का ठेका नियमों की अनदेखी कर साल 2006 में सुजाता होटल्स नाम की कंपनी को दिया गया था. बदले में इस कंपनी के मालिकों ने कथित तौर पर लालू यादव के परिवार को पटना में तीन एकड़ जमीन दी, जो बेनामी संपत्ति थी. इस मामले में फिलहाल लालू प्रसाद, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और छोटे बेटे तेजस्वी यादव जमानत पर हैं.

क्या डराने के लिए हुई छापेमारी

छापों पर बिहार के उपमुख्यमंत्री व आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव का कहना है कि जिसे जो करना है, करें. हम सदन के अंदर इसका जवाब देंगे. बीजेपी और जांच एजेंसियों के बारे में पूरा देश जान रहा है. तेजस्वी की मां और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने कहा, ‘‘विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के दिन ही छापेमारी की जरूरत पड़ गई. हम डरने वाले नहीं हैं, जनता सब देख रही है.''

आरजेडी के एमएलसी सुनील सिंह का कहना है कि यह जानबूझ कर किया जा रहा है. वे यह सोच कर ऐसा कर रहे कि डर से विधायक उनके पक्ष में आ जाएंगे. आरजेडी सांसद मनोज झा का कहते हैं, ‘‘आप राजनीतिक लड़ाई लड़ सकते. महाराष्ट्र से लेकर बिहार तक आपकी स्क्रिप्ट वही है. आप इन्हें सीबीआई-ईडी की नहीं, भाजपा की रेड कहिए. ये उन्हीं के लिए काम करते हैं.''

इस प्रकरण पर भाजपा सांसद व बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का कहना था, ‘‘मुहूर्त देखकर सीबीआई कार्रवाई नहीं करती है. आज जो लोग सरकार में हैं, उनके यहां पहले भी छापेमारी हो चुकी है.'' सुनील सिंह के यहां छापेमारी पर बिहार बीजेपी के अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल कहते हैं, ‘‘डेढ़ साल पहले ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद शिकायत की थी कि पटना के बिस्कोमान (बिहार सरकार की एक सहकारी समिति) भवन से करोड़ों रुपये पकड़े गए हैं. हो सकता है, उसी सिलसिले में छापेमारी हो रही हो. बीजेपी किसी को फंसाती नहीं है.''

खनन घोटाले में झारखंड में ईडी की रेड

ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने झारखंड में रांची, दिल्ली व तमिलनाडु में 17 जगहों पर छापेमारी की है. यह कार्रवाई खनन घोटाले के सिलसिले में की गई है. ईडी ने कारोबारी प्रेम प्रकाश और उनके करीबियों के ठिकानों पर छापा मारा. प्रेम प्रकाश राज्य सरकार की रेडी-टू-ईट फूड योजना के तहत मिड-डे मील में अंडा सप्लाई करने का काम करने का काम करते थे. सात-आठ सालों में उन्होंने झारखंड की राजनीति में खासी पैठ बना ली और फिर आईएएस-आईपीएस अधिकारियों के तबादले से लेकर बड़े ठेके को मैनेज करने में खासी भूमिका निभाने लगे.

प्रेम के रांची स्थित घर की तिजोरी से दो एके-47 राइफल तथा 60 कारतूस बरामद किए जाने की सूचना है. इसके अलावा रांची में चार्टर्ड अकाउंटेंट एमके झा व अनीता कुमारी के यहां भी छानबीन चल रही है.

पत्रकार रवि रंजन कहते हैं, ‘‘आज उस सरकार का फ्लोर टेस्ट है, जिसके एक सहयोगी जेडीयू ने लंबे समय तक भाजपा के साथ मिलकर बिहार में शासन किया है और अब वह आरजेडी के साथ है. समय का तकाजा है, इसलिए मंशा पर संशय होना वाजिब ही है.''


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