ग्लोबल वार्मिंग को तेज कर रहे कंक्रीट से निपटने का विकल्प क्या है
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जीसीसीए के सीईओ थॉमस गिलोट ने नीति निर्माताओं और निवेशकों से आवश्यक बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए उद्योग के साथ तालमेल बैठाने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा, "अगले 10 वर्षों में हमें इस तकनीक को कारगर बनाना होगा. हमें इसके लिए काफी काम करने की जरूरत है.”
जीसीसीए 2030 तक 10 सीमेंट संयंत्रों में औद्योगिक पैमाने पर कार्बन कैप्चर तकनीक का इस्तेमाल करना चाहता है. इनमें से पहला नॉर्वे में जर्मन कंक्रीट कंपनी हाइडलबर्ग बना रही है. उम्मीद की जा रही है कि इस तकनीक के इस्तेमाल से संयंत्र में उत्सर्जित होने वाले CO2 के आधे हिस्से को कैप्चर कर उसे स्थायी तौर पर संग्रहित कर दिया जाएगा. जीसीसीए रोडमैप में दुनिया भर के सीमेंट संयंत्रों के लिए 29 कार्बन कैप्चर प्रोजेक्ट की सूची शामिल है.
विश्लेषकों ने 2050 के लक्ष्यों के लिए तैयार किए गए रोडमैप की प्रशंसा की है. हालांकि, उन्होंने अगले कुछ वर्षों में उत्सर्जन में कटौती को लेकर कोई स्पष्ट योजना ना होने को लेकर आलोचना भी की है. गिलोट ने कहा कि जीसीसीए के सदस्यों ने विस्तृत रूप से यह जानकारी नहीं दी है कि वे इस दशक में उत्सर्जन में किस तरह कटौती करेंगे. वे बाद में इस पर जानकारी देंगे.
उन्होंने कहा, "हम अपने वादों को पूरी तरह हकीकत में बदलना चाहते हैं. हमें वैश्विक दृष्टिकोण को स्थानीय जरूरतों में बदलना है.”
भविष्य के समाधान
ये छोटे पैमाने पर लागू किए गए कुछ ऐसे समाधान हैं जो वादे को पूरा करने के शुरुआती संकेत दिखाते हैं. स्वीडन में, ऊर्जा कंपनी वेटनफॉल के एक अध्ययन से पता चला है कि सीमेंट बनाने के लिए जीवाश्म ईंधन की जगह तकनीकी तौर पर बिजली का इस्तेमाल किया जा सकता है. कई दूसरे शोधकर्ता इस बात की खोज कर रहे हैं कि किस तरह से CO2 को कंक्रीट के छोटे टुकड़ों में इंजेक्ट किया जा सकता है और इसका फिर से इस्तेमाल हो सकता है. फ्रांस में एक कंपनी ने साइट पर कैप्चर किए गए CO2 का उपयोग करके सीमेंट के धूल को इस्तेमाल के लायक बना दिया.
कार्बन को कैप्चर करने वाली तकनीक से जुड़ी कंपनी कार्बन-8 सिस्टम्स के मुख्य वाणिज्यिक अधिकारी मार्टन वैन रून ने कहा, "सीमेंट बनाने वाली कंपनियों के लिए कार्बन को कैप्चर करने की लागत अभी भी एक बड़ी चुनौती है. कचरे को लैंडफिल में फेंकने की जगह उसे इस्तेमाल के लायक वस्तु बनाकर, हम खर्च को कम करने की कोशिश करते हैं. इससे हमें अपनी साइट पर नई तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए खर्च करने में मदद मिलती है.”
निर्माण के क्षेत्र में लकड़ी का इस्तेमाल करके भी कार्बन फुटप्रिंट को कम किया जा सकता है. हालांकि, कंक्रीट की जगह बड़े पैमाने पर लकड़ी का इस्तेमाल करने से जंगलों पर दबाव बढ़ जाएगा.
पुर्तगाल के लिस्बन यूनिवर्सिटी में सिविल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर जॉर्ज डी ब्रिटो ने ग्रीन कंक्रीट के विकल्पों का आकलन करते हुए एक अध्ययन प्रकाशित किया है. वह कहते हैं, "ज्यादातर लोग सोचते हैं कि कंक्रीट का पर्यावरण पर बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ता है और वे सही भी हैं. लेकिन इसकी वजह है कि यह सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली वस्तु है.”


