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क्या होता है एसेक्शुअल होना?

बीते कुछ सालों में अकामी या एसेक्शुअल होने को लेकर सामाजिक चर्चा तेज हुई है. लेकिन अब भी इसे लेकर कई गलतफहमियां मौजूद हैं और ऐसे लोगों की बड़ी तादाद है जो एसेक्शुअलिटी का सही अर्थ नहीं समझते.

क्या होता है एसेक्शुअल होना?
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इसी साल जुलाई में ऑस्ट्रेलिया के सबसे छोटे राज्य तस्मानिया ने अकामी या एसेक्शुअल (Ace) लोगों को आधिकारिक रूप से मान्यता दी थी. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि ऐसे लोगों के अधिकारों की सुरक्षा की दिशा में यह पहला कदम ही है. इसकी एक बड़ी वजह एसेक्शुअल होने को लेकर बहुत कम जानकारियां और गलतफहमियां हैं.

बीते कुछ सालों में अकामी या एसेक्शुअल होने को लेकर सामाजिक चर्चा तेज हुई है. खासतौर पर सोशल मीडिया पर एसेक्शुएलिटी को लेकर सवाल-जवाब और बहसों ने इसके बारे में जागरूकता बढ़ाई है. ज्यादा संख्या में लोग अपने एसेक्शुअल या एस (ace) होने को लेकर मुखर हो रहे हैं. टीवी शो और फिल्मों में भी ऐसे किरदार नजर आ रहे हैं. नेटफ्लिक्स का शो ‘सेक्स एजुकेशन'. लेकिन अब भी इसे लेकर कई गलतफहमियां मौजूद हैं और ऐसे लोगों की बड़ी तादाद है जो एसेक्शुएलिटी का सही अर्थ नहीं समझते.

क्या है एसेक्शुअल होने का अर्थ

एसेक्शुएलिटी या अकामी होने का अर्थ है लैंगिक आकर्षण ना होना. लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि जो लोग खुद को एस कहते हैं उन्हें कभी लैंगिक आकर्षण नहीं हुआ या उन्होंने कभी सेक्स नहीं किया. विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसे लोग भी किसी एक व्यक्ति के प्रति बेहद शिद्दत से आकर्षण महसूस कर सकते हैं. हालांकि वह दैहिक आकर्षण नहीं होगा. दूसरी तरफ ऐसे एसेक्शुअल लोग भी होते हैं जिन्हें सेक्स करना तो अच्छा लगता है लेकिन वे किसी के प्रति आकर्षण महसूस नहीं करते.

एसेक्शुअलिटी कई तरह की हो सकती है. सामान्य तौर पर इसके लिए एस (ace) शब्द का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन इनमें कई तरह के लोग हो सकते हैं. मसलन, कुछ लोग खुद को डेमीसेक्शुअल के रूप में जाहिर करते हैं. ऐसे लोगों को सिर्फ उन्हीं व्यक्तियों के प्रति दैहिक आकर्षण महसूस होता है जिनसे उनका बेहद गहरा भावुक संबंध हो.

एस कहलाने वाले बहुत से व्यक्तियों के प्रेम या दैहिक संबंध हो सकते हैं. अन्य लोग ऐसे हो सकते हैं जिनके संबंधों में सेक्स बिल्कुल नहीं होता. समलैंगिकों या अन्य लैंगिक पहचानों में भी एसेक्शुअल लोग पाये जाते हैं.

कितनी है एसेक्शुअल लोगों की आबादी?

एसेक्शुअल लोगों पर पहले कभी इतना अध्ययन नहीं हुआ, जितना अब हो रहा है. इसलिए इनके बारे में आंकड़े और जानकारियां बहुत सीमित रूप से उपलब्ध हैं. साल 2004 में ब्रिटेन में एक सर्वेक्षण हुआ था, जिसका विश्लेषण करने पर विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया कि सर्वे में शामिल लगभग एक फीसदी लोगों ने एसेक्शुअल होने का संकेत दिया था. ये वे लोग थे जिन्होंने ‘कभी किसी के प्रति दैहिक आकर्षण महसूस नहीं किया था.‘

कनाडा के शोधकर्ता एंथनी बोगेर्ट ने इस सर्वे के विश्लेषण के बाद कहा कि ब्रिटेन की आबादी में करीब एक फीसदी लोग एसेक्शुअल हैं. हालांकि उन्होंने यह भी साफ तौर पर कहा कि एक फीसदी का यह आंकड़ा सही नहीं है क्योंकि बहुत से लोग इस सवाल का जवाब देने में झिझकते हैं.

2019 में ऑस्ट्रेलिया में एक लेस्बियन, गे, बाइसेक्शुअल, ट्रांसजेंडर, क्वीअर, इंटरसेक्स और एसेक्शुअल समुदायों का विस्तृत सर्वे हुआ था. इस सर्वे के मुताबिक 3.2 फीसदी लोग एसेक्शुअल थे. एस लोगों के अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन समुदाय एसेक्शुअल विजिबिलीटी एंड एजुकेशन नेटवर्क के 1,20,000 सदस्य हैं.

भारत में एसेक्शुएलिटी

भारत में भी बीते कुछ सालों में इस वर्ग को लेकर जागरूकता कुछ बढ़ी है. कई लोग इस समुदाय के अधिकारों और जागरूकता के लिए काम कर रहे हैं. मानवाधिकार कार्यकर्ता राज सक्सेना करीब एक दशक से इस दिशा में काम कर रहे हैं. वह एक इंडियनएसेक्शुअल्स के नाम से एक इंस्टाग्राम पेज भी चलाते हैं. इस पेज के फिलहाल चार हजार फॉलोअर्स हैं.

पिछले साल बिजनस लाइन अखबार को दिये एक इंटरव्यू में सक्सेना ने कहा था कि भारत में एसेक्शुअलिटी के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए क्षेत्रीय भाषाओं में इस दिशा में काम किये जाने की जरूरत है.

इसी क्षेत्र में काम कर रहे एक अन्य इंस्टाग्राम पेज Indian Aces पर लगभग 3,000 फॉलोअर्स हैं. इंडियन एसेस समूह से जुड़ीं डॉ. प्रगति सिंह इस पेज पर एक पोस्ट में कहती हैं कि एसेक्शुअल लोगों को भारी मानसिक यातनाओं से गुजरना पड़ता है और भारत में एस कम्यूनिटी को सामने लाये जाने की जरूरत है.


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