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बंगाल की राजनीति में बार बार क्यों होती है हिटलर की चर्चा

भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल से जर्मनी की दूरी सात हजार किलोमीटर से ज्यादा है. इसके बावजूद यहां राजनीति में तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी एक-दूसरे पर हमले के लिए अक्सर 'हिटलर' का सहारा लेते रहते हैं. आखिर ऐसा क्यों है?

बंगाल की राजनीति में बार बार क्यों होती है हिटलर की चर्चा
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भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल से जर्मनी की दूरी सात हजार किलोमीटर से ज्यादा है. इसके बावजूद यहां राजनीति में तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी एक-दूसरे पर हमले के लिए अक्सर 'हिटलर' का सहारा लेते रहते हैं. आखिर ऐसा क्यों है?

राज्य में अगले साल अप्रैल-मई में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राजनीति गरमाने लगी है. ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस जहां चौथी बार सत्ता में वापसी की कवायद में जुटी है वहीं इस बार सत्ता में आने का दावा करने वाली बीजेपी ने भी ममता बनर्जी सरकार पर हमले तेज कर दिए हैं. इसी कड़ी में बीजेपी ने एक बार फिर ममता बनर्जी की तुलना हिटलर से करते हुए उन पर हमला बोला है.

इससे पहले ममता भी अक्सर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना हिटलर से करती रही हैं.

क्या है ताजा विवाद

बीजेपी ने अब एक बार पिर ममता बनर्जी का नाम लिए बिना उनकी तुलना जर्मन तानाशाह हिटलर से की है. सोशल मीडिया पर अपनी एक पोस्ट में पार्टी ने एक ऐसी तस्वीर डाली है जिसका आधा चेहरा ममता बनर्जी से मिलता है और आधा हिटलर से. उसके नीचे लिखा है--तानाशाह घबरा गया है.

अर्जेंटीना के महान फुटबॉलर लियोनेल मेसी के कोलकाता दौरे और उस दौरान हुए उपद्रव के बाद से ही राज्य की राजनीति गरमा गई है. इस दौरान बीजेपी ममता बनर्जी और उनकी सरकार पर हमले करती रही है. अब बीजेपी की सोशल मीडिया पोस्ट ने इस विवाद की आग में घी डालने का काम किया है.

बीजेपी का आरोप है कि साल्टलेक स्टेडियम में भारी अव्यवस्था के कारण ही मेसी दस मिनट के भीतर मैदान छोड़ कर बाहर चले गए थे और मोटी रकम देकर टिकट खरीदने के बावजूद मेसी के प्रशंसकों को उनसे मिलने का मौका नहीं मिला था. इससे नाराज लोगों ने स्टेडियम में काफी हंगामा किया था और तोड़-फोड़ मचाई थी.

हालांकि ममता ने इस घटना के बाद इसके लिए सार्वजनिक तौर पर माफी मांगी थी. उन्होंने कहा था कि वो इस घटना से आहत और हैरान हैं. मुख्यमंत्री ने साफ कर दिया था कि यह आयोजन एक गैर-सरकारी संस्था की ओर से किया गया था और सरकार की इसमें कोई भूमिका नहीं थी.

लेकिन बीजेपी ने ममता की इस माफी को 'घड़ियाली आंसू' बताते हुए उन पर कटाक्ष किया. पार्टी का कहना है कि इस घटना ने बंगाल और फुटबॉल के सम्मान को भारी ठेस पहुंचाई है. कांग्रेस ने भी इस घटना के लिए तृणमूल कांग्रेस सरकार को ही जिम्मेदार ठहराया है.

इस विवाद के बीच मेसी के दौरे के आयोजक संस्था के प्रमुख शतद्रु दत्ता को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. उनको 14 दिनों की पुलिस हिरासत में रखा गया है. लेकिन इस मुद्दे पर उपजा विवाद थमने की बजाय लगातार तेज हो रहा है.

पहली बार नहीं

वैसे, पश्चिम बंगाल की राजनीति में हिटलर का जिक्र कोई नया नहीं है. करीब छह साल पहले वर्ष 2019 में तृणमूल कांग्रेस के तत्कालीन सांसद मित्र खान ने इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल होने से पहले ममता बनर्जी को हिटलर बताया था. उन्होंने तब सीधे ममता का नाम तो नहीं लिया था. लेकिन कहा था, "पश्चिम बंगाल में हिटलर का राज चल रहा है. चुनाव के दौरान लोगों को वोट नहीं डालने दिया जाता."

उसके बाद इस साल राज्य के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ कानून के मुद्दे पर होने वाली सांप्रदायिक हिंसा के दौरान बंगाल बीजेपी की ओर से एक फेसबुक पोस्ट में ममता के कार्टून के साथ एक पोस्ट में उनको 'पश्चिम बंगाल का आधुनिक हिटलर' बताया गया था.

ममता बनर्जी भी इस मामले में पीछे नहीं रही हैं. वो मोदी और शाह को कभी 'दुर्योधन' और 'दुशासन' बताती रही हैं तो कभी 'हिटलर'. फरवरी, 2019 में ममता बनर्जी जब कोलकाता के तत्कालीन पुलिस आयुक्त राजीव कुमार के समर्थन में सीबीआई के खिलाफ कोलकाता में धरने पर बैठी थीं तो तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री मोदी की तुलना हिटलर से करते हुए राज्य के विभिन्न इलाकों में पोस्टर लगाए थे. इनमें हिटलर से मिलती-जुलती मोदी की तस्वीर बनी थी और लिखा था--मोदी भारत छोड़ो.

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पर्यवेक्षकों की राय

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में बंगाल की राजनीति में बार-बार हिटलर का जिक्र होता रहेगा. वरिष्ठ पत्रकार तापस घोष डीडब्ल्यू से कहते हैं, "बंगाल की राजनीति में हिटलर शब्द काफी लोकप्रिय हो गया है. सत्ता के दावेदार दोनों राजनीतिक दल एक-दूसरे के लिए इसका इस्तेमाल करते रहे हैं."

राजनीतिक विश्लेषक शिखा मुखर्जी भी इससे सहमत हैं. वो डीडब्ल्यू से कहती हैं, "विधानसभा चुनाव तक राज्य की राजनीति में हिटलर प्रासंगिक बने रहेंगे. ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस हो या फिर बीजेपी, दोनों एक-दूसरे पर हमले के लिए इसका इस्तेमाल करती रहेंगी. जर्मनी में भले हिटलर का भूले से भी जिक्र नहीं होता हो, बंगाल में वो प्रासंगिक बने रहेंगे."


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