पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाला: सुप्रीम कोर्ट ने 'दागी उम्मीदवारों' को भविष्य की परीक्षाओं से किया प्रतिबंधित
पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जिन उम्मीदवारों पर 2016 की राज्य स्तरीय चयन परीक्षा (एसएलएसटी) में अनुचित साधनों का उपयोग करने का आरोप सिद्ध हुआ है

शिक्षक भर्ती घोटाला: सुप्रीम कोर्ट ने दागी उम्मीदवारों पर लगाया स्थायी प्रतिबंध
- भ्रष्टाचार में लिप्त 1,804 शिक्षक भर्ती से बाहर, सुप्रीम कोर्ट का सख्त फैसला
- एसएलएसटी घोटाला: सुप्रीम कोर्ट ने कहा—दागी उम्मीदवार अब किसी परीक्षा में नहीं होंगे शामिल
- पश्चिम बंगाल भर्ती घोटाले पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती, पारदर्शिता की दिशा में बड़ा कदम
- ‘दागी’ उम्मीदवारों की सूची जारी, सुप्रीम कोर्ट ने भविष्य की नियुक्तियों से किया बाहर
कोलकाता। पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जिन उम्मीदवारों पर 2016 की राज्य स्तरीय चयन परीक्षा (एसएलएसटी) में अनुचित साधनों का उपयोग करने का आरोप सिद्ध हुआ है, वे भविष्य की शिक्षा मित्र या अन्य भर्ती परीक्षाओं में हिस्सा नहीं ले सकेंगे।
पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपने पूर्व के फैसले को दोहराते हुए ऐसे उम्मीदवारों, जिन पर आरोप सिद्ध हुए हों, को किसी भी भर्ती प्रक्रिया में शामिल होने से पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया है। इस घोटाले के कारण हजारों शिक्षक नियुक्तियां रद्द की गई थीं, जिसके बाद मामला सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंचा।
पश्चिम बंगाल विद्यालय सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) ने शनिवार को 1,804 ‘दागी’ शिक्षकों की सूची जारी की, जिन पर भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का आरोप है। याचिकाकर्ता के वकील विकास रंजन भट्टाचार्य ने पत्रकारों को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने भ्रष्टाचार में शामिल उम्मीदवारों को दागी करार देते हुए किसी भी भर्ती प्रक्रिया में भाग लेने से रोक दिया है।
उन्होंने कहा, "भ्रष्टाचार और अनियमितताओं में सीधे तौर पर शामिल उम्मीदवारों को 'दागी' करार दिया गया था। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि इन दागी उम्मीदवारों का चयन नहीं किया जाएगा और न ही उन्हें नई चयन प्रक्रिया में भाग लेने दिया जाएगा। अब, कुछ लोग दावा कर रहे हैं कि वे दागी नहीं हैं, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने ऐसे दावों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है।"
बता दें कि इस फैसले से प्रभावित उम्मीदवारों में निराशा है, जबकि प्रशासन ने इसे भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि भविष्य में भर्ती प्रक्रियाओं में सख्ती बरती जाए ताकि ऐसी अनियमितताएं दोबारा न हों।


