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टीएमसी ने पश्चिम बंगाल में एसआईआर प्रक्रिया पर मुख्य निर्वाचन अधिकारी को आपत्ति पत्र सौंपा

अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने पश्चिम बंगाल में चल रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर गंभीर आपत्तियां दर्ज की हैं

टीएमसी ने पश्चिम बंगाल में एसआईआर प्रक्रिया पर मुख्य निर्वाचन अधिकारी को आपत्ति पत्र सौंपा
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कोलकाता। अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने पश्चिम बंगाल में चल रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर गंभीर आपत्तियां दर्ज की हैं।

टीएमसी ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ), पश्चिम बंगाल को एक विस्तृत पत्र सौंपा है, जिसमें 'लॉजिकल विसंगति' सूची के प्रकाशन की कमी और बुजुर्ग तथा दिव्यांग (पीडब्ल्यूडी) मतदाताओं के लिए घर पर सुनवाई की मांग की गई है।

पत्र के अनुसार, एसआईआर के तहत राज्य में लगभग 1.36 करोड़ मतदाताओं को 'लॉजिकल विसंगति' (जैसे पिता के नाम में बेमेल, पीढ़ीगत उम्र का अंतर आदि) के आधार पर सुनवाई के लिए बुलाया जा रहा है।

टीएमसी का आरोप है कि भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) या सीईओ कार्यालय ने ऐसी कोई आधिकारिक सूची सार्वजनिक नहीं की है। न तो कोई वैधानिक अधिसूचना, प्रेस विज्ञप्ति या सार्वजनिक दस्तावेज जारी किया गया, जिसमें वर्गीकरण के तर्क, सत्यापन विधि या कानूनी आधार स्पष्ट हो।

इसके परिणामस्वरूप मतदाताओं को अज्ञात आधार पर नोटिस मिल रहे हैं और उन्हें अपनी वैधता साबित करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। टीएमसी का कहना है कि यह प्रक्रिया उचित प्रक्रिया, प्राकृतिक न्याय और चुनावी पारदर्शिता के सिद्धांतों का उल्लंघन है। पार्टी ने मांग की है कि सुनवाई शुरू करने से पहले पूरी 'लॉजिकल विसंगति' सूची को निर्वाचन क्षेत्र-वार और श्रेणी-वार तत्काल प्रकाशित किया जाए, साथ ही वर्गीकरण के मानदंडों और पद्धति का खुलासा हो।

पत्र में दूसरी प्रमुख मांग बुजुर्गों और दिव्यांग मतदाताओं की समावेशिता से जुड़ी है। ईसीआई ने 2024 लोकसभा चुनाव में 85 वर्ष से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों और 40 प्रतिशत या अधिक विकलांगता वाले पीडब्ल्यूडी मतदाताओं के लिए घर पर मतदान की सुविधा प्रदान की थी। टीएमसी का तर्क है कि एसआईआर सुनवाई में भी यही भावना अपनाई जानी चाहिए।

वर्तमान में इन मतदाताओं को दूर-दराज के कैंपों या कार्यालयों में शारीरिक रूप से उपस्थित होना पड़ रहा है, जो स्वास्थ्य, यात्रा, जलवायु और पहुंच की बाधाओं के कारण असंभव है। इससे उनके मताधिकार खतरे में पड़ सकता है। पार्टी ने जोर दिया कि ईसीआई पहले ही घर पर वोटिंग के लिए संसाधन, प्रशिक्षित कर्मचारी और व्यवस्था जुटा चुका है, इसलिए एसआईआर सत्यापन और सुनवाई भी घर-घर जाकर की जा सकती है।


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