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कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले से दार्जिलिंग में शिक्षकों का आक्रोश: जीटीए की 313 भर्तियां रद्द होने पर अनिश्चितकालीन स्कूल बंद

कलकत्ता हाईकोर्ट के उस फैसले से दार्जिलिंग की पहाड़ियों में शिक्षा व्यवस्था पर संकट गहरा गया है

कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले से दार्जिलिंग में शिक्षकों का आक्रोश: जीटीए की 313 भर्तियां रद्द होने पर अनिश्चितकालीन स्कूल बंद
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दार्जिलिंग। कलकत्ता हाईकोर्ट के उस फैसले से दार्जिलिंग की पहाड़ियों में शिक्षा व्यवस्था पर संकट गहरा गया है, जिसमें गोरखालैंड टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन (जीटीए) के तहत नियुक्त 313 वॉलंटियर शिक्षकों की रेगुलराइजेशन और राज्य की मंजूरी को अवैध ठहराते हुए रद्द कर दिया गया।

जस्टिस बिस्वजीत बसु की बेंच ने कहा कि ये नियुक्तियां कानूनी रूप से टिकाऊ नहीं हैं और राज्य सरकार इन्हें जस्टिफाई नहीं कर सकी। इस फैसले के खिलाफ 'संयुक्ता माध्यमिक शिक्षक संगठन' ने गुरुवार से पहाड़ी क्षेत्रों के सभी माध्यमिक और हायर सेकेंडरी स्कूलों में अनिश्चितकालीन हड़ताल का आह्वान किया है।

संगठन का कहना है कि सभी स्कूल बंद रहेंगे और चल रही परीक्षाएं भी स्थगित कर दी जाएंगी। पिछले 25 वर्षों से दार्जिलिंग हिल्स में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए कोई नियमित भर्ती प्रक्रिया लागू नहीं हुई। ऐसे में शिक्षक अपनी योग्यता कैसे साबित करें? अगर सभी एसएससी परीक्षा का इंतजार करते तो पहाड़ के स्कूल बंद हो जाते।

इन वर्षों में शिक्षा व्यवस्था को वॉलंटियर शिक्षकों ने ही संभाला है। 2002 से जीटीए क्षेत्र में वॉलंटियर शिक्षकों की नियुक्ति हो रही है। यह शिक्षकों की नहीं, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था की गलती है, जिसकी जिम्मेदारी तत्कालीन राज्य सरकार और मौजूदा जीटीए पर है। शिक्षकों को इसका दंड नहीं मिलना चाहिए।

हाईकोर्ट के फैसले से न केवल इन 313 शिक्षकों की नौकरियां गईं, बल्कि रिटायर्ड, मौजूदा और अन्य वॉलंटियर शिक्षकों पर भी असर पड़ सकता है। साथ ही, मातृभाषा पढ़ाने वाले शिक्षकों की कमी हो रही है, क्योंकि बाहर के क्षेत्रों से शिक्षक आ रहे हैं। संगठन ने शिक्षकों और पहाड़ी शिक्षा व्यवस्था की रक्षा के लिए सड़क पर उतरने का फैसला किया है।

विरोध के पहले चरण में कल से सभी स्कूल अनिश्चितकाल तक बंद रहेंगे। सालाना परीक्षाएं, रिजल्ट और स्कूल प्रोग्राम भी टाल दिए जाएंगे। अगर कोई स्कूल निर्देश नहीं मानता और कोई अनहोनी होती है, तो संगठन जिम्मेदार नहीं होगा।

यह मामला 2023 में दायर याचिकाओं से जुड़ा है, जहां अनियमितताओं का आरोप लगा था। कई शिक्षकों में बीएड जैसी जरूरी योग्यता नहीं थी। राज्य सरकार नियमित भर्ती प्रक्रिया का बचाव नहीं कर सकी।


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