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सुकांत मजूमदार ने लगाया प्रोटोकॉल उल्लंघन का आरोप, लोकसभा अध्यक्ष को लिखा पत्र

केंद्रीय मंत्री और सांसद सुकांत मजूमदार ने गंभीर आरोप लगाते हुए लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा है

सुकांत मजूमदार ने लगाया प्रोटोकॉल उल्लंघन का आरोप, लोकसभा अध्यक्ष को लिखा पत्र
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सुकांत मजूमदार ने पश्चिम बंगाल पुलिस पर प्रोटोकॉल उल्लंघन का लगाया आरोप, लोकसभा अध्यक्ष को लिखा पत्र

  • कोलकाता एयरपोर्ट पर रोके जाने को बताया संसद विशेषाधिकार का अपमान
  • वीवीआईपी गेट विवाद पर सुकांत मजूमदार ने राज्य सरकार पर साधा निशाना
  • राज्य और केंद्र के बीच प्रोटोकॉल टकराव पर गरमाई सियासत

कोलकाता। केंद्रीय मंत्री और सांसद सुकांत मजूमदार ने गंभीर आरोप लगाते हुए लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने पश्चिम बंगाल पुलिस पर प्रोटोकॉल के उल्लंघन और संसद की विशेषाधिकार समिति की अवमानना का आरोप लगाया है।

मंत्री मजूमदार ने दावा किया है कि उन्हें सोमवार को कोलकाता एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री को विदा करने के लिए जाते समय रोका गया, जबकि राज्य के एक मंत्री को बिना किसी अड़चन के वीवीआईपी गेट तक जाने दिया गया।

सुकांत मजूमदार ने पत्र में लिखा है कि 15 सितंबर को जब वे कोलकाता के नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पहुंचे, तो उन्हें पहले बैरिकेड पर ही रोक दिया गया। यह कार्रवाई सब-इंस्पेक्टर और कांस्टेबल ने की, जबकि उसी समय पश्चिम बंगाल के मंत्री सुजीत बोस की गाड़ी को बिना किसी रुकावट के वीवीआईपी गेट नंबर 4 तक जाने दिया गया।

मंत्री ने आरोप लगाया कि जब उन्होंने पुलिसकर्मियों से इस भेदभावपूर्ण व्यवहार का कारण पूछा, तो उन्हें बताया गया कि यह कार्रवाई बिधाननगर की पुलिस आयुक्त ऐश्वर्या सागर के निर्देश पर की गई है।

मंत्री का कहना है कि यह घटना न केवल केंद्रीय मंत्री के रूप में उनके अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि यह केंद्र सरकार के प्रति राज्य सरकार की जानबूझकर की गई अवहेलना को दर्शाती है।

सुकांत मजूमदार ने इसे संसद के विशेषाधिकार का घोर उल्लंघन बताते हुए लोकसभा अध्यक्ष से अनुरोध किया है कि इस मामले को गंभीरता से लिया जाए और इसे विशेषाधिकार समिति को भेजा जाए ताकि इस पर उचित जांच और कार्रवाई हो सके।

पत्र में उन्होंने यह भी लिखा है कि राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा इस तरह का रवैया न सिर्फ अपमानजनक है, बल्कि यह केंद्र और राज्य के बीच तय प्रोटोकॉल की खुली अनदेखी भी है। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक मंत्री नहीं, बल्कि संसद और लोकतांत्रिक संस्थाओं का भी अपमान है।


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