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प्राकृतिक आपदा पर भी राजनीति? टीएमसी ने केंद्र पर लगाया भेदभाव का आरोप

तृणमूल कांग्रेस ने बाढ़ और भूस्खलन से पश्चिम बंगाल में आई तबाही के लिए धनराशि न भेजने को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है

प्राकृतिक आपदा पर भी राजनीति? टीएमसी ने केंद्र पर लगाया भेदभाव का आरोप
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बंगाल को राहत से वंचित कर रहा केंद्र : तृणमूल का आरोप

  • बाढ़ पीड़ित बंगाल को राहत नहीं, केंद्र पर तृणमूल का तीखा हमला
  • राजनीतिक बदले की भावना से बंगाल को राहत से वंचित किया गया - टीएमसी
  • केंद्र की चुप्पी पर तृणमूल का वार: “बंगाल को बेसहारा छोड़ा गया”

कोलकाता। तृणमूल कांग्रेस ने बाढ़ और भूस्खलन से पश्चिम बंगाल में आई तबाही के लिए धनराशि न भेजने को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है।

एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि जहां अन्य राज्यों को प्राकृतिक आपदाओं के बाद धनराशि आवंटित की जाती है, वहीं बंगाल को वंचित रखा जाता है और उसे अपने हाल पर छोड़ दिया जाता है।

पार्टी ने पोस्ट में लिखा कि प्रतिशोधी सरकार ने एक बार फिर बंगाल के लोगों को उनकी जरूरत की घड़ी में छोड़ दिया है, जबकि उत्तर बंगाल विनाशकारी बाढ़ और भूस्खलन से जूझ रहा है, जिसने जीवन, घरों और आजीविका को तबाह कर दिया है।

उन्होंने लिखा कि केंद्र हमारे राज्य को एक भी रुपया राहत देने से इनकार करते हुए चुप बैठा है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने महाराष्ट्र और कर्नाटक को बाढ़ संकट से निपटने के लिए 1,950.80 करोड़ रुपए भेजे, लेकिन बंगाल को बेसहारा छोड़ दिया।

तृणमूल कांग्रेस ने दावा किया कि यह कदम 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार के कारण उठाया गया है।

टीएमसी ने कहा कि केंद्र सरकार 2021 में बंगाल में हुए अपमान का बदला लेने के लिए संघीय धनराशि का इस्तेमाल हथियार के रूप में कर रही है। केंद्र ने इस साल एसडीआरएफ से 13,603.20 करोड़ रुपए और एनडीआरएफ से 2,189.28 करोड़ रुपए अन्य राज्यों को जारी किए, लेकिन बंगाल इस सूची से स्पष्ट रूप से गायब है। शासन के नाम पर राजनीतिक द्वेष का इस्तेमाल किया जा रहा है।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने बंगाल के प्रति सौतेले रवैये को लेकर केंद्र पर निशाना साधा था और राज्य में बाढ़, भूस्खलन और अन्य आपदाओं के बावजूद बंगाल की आर्थिक उपेक्षा करने के लिए भाजपा की आलोचना की थी।

तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि यह जानबूझकर वित्तीय गला घोंटने का एक क्रूर और सुनियोजित प्रयास है, जो आम नागरिकों को उनके लोकतांत्रिक चुनाव की कीमत चुकाने पर मजबूर करता है।


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