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एसआईआर ड्राफ्ट लिस्ट पर कांग्रेस का हमला, कोलकाता में हेल्पडेस्क की शुरुआत

एसआईआर प्रक्रिया पूरी होने के बाद चुनावी ड्राफ्ट लिस्ट प्रकाशित कर दी गई है

एसआईआर ड्राफ्ट लिस्ट पर कांग्रेस का हमला, कोलकाता में हेल्पडेस्क की शुरुआत
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गुलाम अहमद मीर ने भाजपा पर साधा निशाना, चुनाव आयोग की नाकामी बताई

  • 58 लाख नाम सूची से बाहर, मृतक और जीवित वोटरों पर उठा सवाल
  • गरीबों और प्रवासी लोगों के नाम कटने पर कांग्रेस ने जताई चिंता
  • फाइनल लिस्ट से घुसपैठियों की संख्या स्पष्ट करने की मांग, भाजपा पर आरोप

कोलकाता। एसआईआर प्रक्रिया पूरी होने के बाद चुनावी ड्राफ्ट लिस्ट प्रकाशित कर दी गई है। इसी को देखते हुए पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने कोलकाता में कांग्रेस राज्य कार्यालय (विधानभवन) के सामने एक एसआईआर हेल्पडेस्क बनाया है।

इस हेल्पडेस्क का उद्घाटन ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के महासचिव और पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रभारी गुलाम अहमद मीर ने राज्य के नेताओं की मौजूदगी में किया।

इस हेल्पडेस्क को बनाने का मकसद उन लोगों की मदद करना है जिनका नाम ड्राफ्ट लिस्ट में नहीं आया है। हेल्पडेस्क पर मौजूद कार्यकर्ता उन लोगों को गाइड करेंगे जिनका नाम ड्राफ्ट लिस्ट में नहीं आया है और जिन्हें सुनवाई के लिए पेश होना है, साथ ही उन लोगों को भी जिनके रिश्तेदार मर चुके हैं, लेकिन फिर भी उनका नाम ड्राफ्ट लिस्ट में मौजूद है।

पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रभारी गुलाम अहमद मीर ने आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल से पहले बिहार में एसआईआर किया गया था। एसआईआर के खिलाफ कोई नहीं है, लेकिन भाजपा ने चुनाव आयोग का इस्तेमाल किया है। हवा बनाकर एसआईआर को अंजाम दिया जा रहा है।

बिहार में हुए एसआईआर पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया इस दावे के साथ शुरू की गई थी कि बिहार में बड़ी संख्या में घुसपैठिए रहते हैं, लेकिन 312 लोग ही पूरे दस्तावेज जमा नहीं कर पाए थे। यह भी साफ नहीं हो पाया कि वे कहां के रहने वाले थे।

गुलाम अहमद मीर ने कहा कि पश्चिम बंगाल को लेकर ऐसी हवा बनाई गई जैसे यह राज्य घुसपैठियों से भरा हुआ है, सब बाहरी लोग हैं और यहां के लोगों का हक खा रहे हैं। पहली ड्राफ्ट लिस्ट आई है, जिसमें 58 लाख लोगों को सूची से बाहर रखा गया है, जिसमें से 20 से 22 लाख वोटर मृतक हैं। नियमों के मुताबिक चुनाव आयोग को साल में दो बार मतदाता सूची अपडेट करनी होती है। इसका मतलब है कि चुनाव आयोग ठीक से काम नहीं कर रहा है। मृतकों के नाम सूची से पहले क्यों नहीं हटाए गए?

उन्होंने कहा कि यह चुनाव आयोग की नाकामी है कि वे 22 लाख मतदाताओं को अब मृतक बता रहे हैं। अभी की सूची में कई लोगों को मरा हुआ बताया गया है, जबकि वे जिंदा हैं। अब वे अपने दस्तावेज देंगे कि वे जिंदा हैं। इसके साथ ही बड़ी संख्या में लोगों को प्रदेश से बाहर बताया गया है।

उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में लोग दूसरे राज्यों में जाते हैं और एक महीने का वक्त देकर उन्हें आकर दस्तावेज जमा करने के लिए कहा गया। अगर वे नहीं आ पाए तो उनका नाम काट दिया गया। कांग्रेस ने मांग की थी कि एसआईआर की प्रक्रिया एक साल के भीतर होनी चाहिए, ताकि वे जब भी आएं, बीएलओ को अपने दस्तावेज जमा करा सकें।

उन्होंने यह भी कहा कि अभी तक की सूची में यह स्पष्ट नहीं है कि कितने घुसपैठिए मिले हैं या वे यहां के रहने वाले नहीं हैं। हम तो बस फाइनल सूची का इंतजार कर रहे हैं और हम चाहते हैं कि सूची में यह भी बताया जाए कि कितने घुसपैठिए पश्चिम बंगाल में मिले हैं। इसी से भाजपा को जवाब मिलेगा। तब हम साबित करेंगे कि भाजपा किस तरह देश के लोगों को घुसपैठिया बताकर आपस में लड़ाने का काम कर रही है।

गुलाम अहमद मीर ने बताया कि पार्टी से मिले निर्देश के मुताबिक कोलकाता कांग्रेस कार्यालय, जिला कार्यालयों और विधानसभा क्षेत्रों में हेल्पडेस्क खोले जा रहे हैं, जिससे किसी भी व्यक्ति को एसआईआर में कोई परेशानी न आए, यह निशुल्क है।

उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया के दौरान अधिकतर गरीब लोगों के नाम ही कटने वाले हैं। वोटर लिस्ट से नाम कटने के बाद गरीबों को ही इसका नुकसान झेलना पड़ेगा। अगर देश के नागरिक सिर्फ जानकारी के अभाव में सुविधाओं से वंचित रह जाएं, तो यह चुनाव आयोग का बहुत बड़ा अपराध होगा।


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