चुनाव आयोग की बड़ी कार्रवाई : बंगाल में 2 ईआरओ और 2 एईआरओ को किया निलंबित
चुनाव आयोग ने डाटा सुरक्षा नीति का उल्लंघन करने के मामले में कार्रवाई करते हुए पश्चिम बंगाल के दो विधानसभा क्षेत्रों (बरुईपुर पूर्व और मोयना) के चार अधिकारियों को निलंबित कर दिया है

- चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल में 2 ईआरओ और 2 एईआरओ को किया निलंबित
- डाटा सुरक्षा नीति का उल्लंघन : लॉगिन क्रेडेंशियल्स अनधिकृत व्यक्तियों के साथ साझा करना
कोलकाता। चुनाव आयोग ने डाटा सुरक्षा नीति का उल्लंघन करने के मामले में कार्रवाई करते हुए पश्चिम बंगाल के दो विधानसभा क्षेत्रों (बरुईपुर पूर्व और मोयना) के चार अधिकारियों को निलंबित कर दिया है।
ईआर डाटाबेस की अखंडता पर खतरा : अनधिकृत पहुंच से डाटा की गोपनीयता को नुकसान
इनमें दो निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) और दो सहायक निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (एईआरओ) शामिल हैं। आयोग ने आरोप लगाया है कि इन अधिकारियों ने ईआर (इलेक्टोरल रोल) डाटाबेस के लॉगिन क्रेडेंशियल्स अनधिकृत व्यक्तियों के साथ साझा किए, जो एक गंभीर सुरक्षा उल्लंघन है।
इसके अलावा, इन अधिकारियों पर अपने कर्तव्यों के पालन में लापरवाही और मतदाता सूची में गलत प्रविष्टियां करने के भी आरोप हैं।
एफआईआर दर्ज करने का आदेश : आपराधिक कदाचार के तहत मामला दर्ज किया जाएगा
चुनाव आयोग ने बताया कि संबंधित अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक कदाचार के तहत एफआईआर दर्ज की जाएगी। इन चार अधिकारियों के साथ ही एक डाटा एंट्री ऑपरेटर के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
निलंबित अधिकारियों देबोताम दत्ता चौधुरी, बिप्लब सरकार, तथागत मोंडल, सुदीप्त दास, और डाटा एंट्री ऑपरेटर सुरोजित हाल्दर के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज कराने के आदेश दिए गए हैं।
चुनाव आयोग के सचिव सुजीत कुमार मिश्रा ने इस संबंध में पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को पत्र लिखा है।
पत्र में उन्होंने स्पष्ट किया है कि निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी मतदाता सूची के निर्माण, पुनरीक्षण और संशोधन जैसे कार्यों के लिए जिम्मेदार होता है और चुनावी कार्यों के दौरान वह आयोग के अधीन कार्य करता है।
पत्र के अनुसार, राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा 29 जुलाई को आयोग को एक वीडियो भेजा गया था, जिसमें बरुईपुर पूर्व विधानसभा क्षेत्र (संख्या 137) के ईआरओ और एईआरओ द्वारा मतदाता सूची में गड़बड़ियां करने की जानकारी दी गई थी।
इसमें यह भी सामने आया कि इन अधिकारियों ने अपने लॉगिन क्रेडेंशियल्स अनधिकृत लोगों को सौंपे, जिससे डाटा की गोपनीयता को खतरा पैदा हुआ।


