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पश्चिम बंगाल : जेयू में छात्र की मौत पर विधानसभा में हंगामा

पश्चिम बंगाल विधानसभा के मानसून सत्र में जादवपुर विश्वविद्यालय (जेयू) में फ्रेशर की रैगिंग से संबंधित मौत का मामला छाया रहा

पश्चिम बंगाल : जेयू में छात्र की मौत पर विधानसभा में हंगामा
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कोलकाता। पश्चिम बंगाल विधानसभा के मानसून सत्र में जादवपुर विश्वविद्यालय (जेयू) में फ्रेशर की रैगिंग से संबंधित मौत का मामला छाया रहा।

पश्चिम बंगाल विधानसभा में जैसे ही इस मामले पर चर्चा शुरू हुई विपक्ष के नेता (एलओपी) सुवेंदु अधिकारी ने रैगिंग मौत के मुद्दे पर राज्य सरकार और शिक्षा विभाग पर तीखा हमला बोला।

भाजपा विधायकों ने कंधे पर काला कपड़ा लटकाकर सदन में प्रवेश किया और मामले में स्थगन प्रस्ताव लाने के बाद चर्चा में भाग लिया।

सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि मामला वाकई गंभीर है। जेयू में चरमपंथी वामपंथी कार्यकर्ताओं का एक वर्ग है, जो अक्सर देश विरोधी नारे लगाता था। यह राष्ट्र विरोधी कार्यकर्ताओं के एक वर्ग का अड्डा बन गया है। उन पर कोई नियम कानून लागू नहीं होता। यदि नियमों का पालन किया गया होता, तो ग्रामीण बंगाल के दूरदराज के इलाके से आने वाले छात्र की मृत्यु नहीं होती।

उन्होंने यह भी सवाल किया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार जेयू परिसर में सीसीटीवी क्यों नहीं लगाए गए। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि पूर्व जेयू कुलपति अभिजीत चक्रवर्ती, जिन्होंने जेयू परिसर में कुछ अनुशासन लाने की कोशिश की थी उन्‍हें पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया था, जो वर्तमान में स्कूल भर्ती मामले में कथित संलिप्तता के लिए सलाखों के पीछे हैं।

विपक्ष के नेता को जवाब देते हुए राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने कहा कि पश्चिम बंगाल में रैगिंग का मामला कोई सामान्य बात नहीं है। आरके. राघवन समिति द्वारा सुझाए गए रैगिंग विरोधी उपायों को लागू करने का एक प्रस्ताव था।

लेकिन, फिर भी देश भर के कई विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों में रैगिंग बड़े पैमाने पर होती है।

बसु ने कहा कि हाल ही में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर से एक ऐसी ही घटना सामने आई है।

सदन में इसके बाद हंगामा शुरू हो गया क्योंकि विपक्ष के नेता ने राज्य के शिक्षा मंत्री पर परोक्ष रूप से रैगिंग का समर्थन करने का आरोप लगाया।

जवाब में बसु ने कहा कि राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस इन सबके लिए जिम्मेदार हैं, राज्यपाल ने जेयू के पूर्व कुलपति को हटा दिया था। अब उन्होंने एक नया कुलपति नियुक्त किया है जिसकी रिपोर्ट से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग संतुष्ट नहीं है। मैं स्वतंत्र सोच का पक्षधर हूं। लेकिन स्वतंत्र सोच और मनमानी में अंतर है।

इसके बाद बीजेपी विधायक नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन करने लगे। अंत में उन्होंने वाकआउट कर दिया।


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