2014 के बाद से इस साल हुई मानसून की शुरुआत सबसे कमजोर रही : रिपोर्ट
एक नई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि 2014 के बाद से इस साल हुई मानसून की शुरुआत सबसे कमजोर रही

मुंबई। एक नई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि 2014 के बाद से इस साल हुई मानसून की शुरुआत सबसे कमजोर रही है। यह भारतीय निवेशकों और नीति निर्माताओं के लिए चिंताजनक हो सकती है। कोटक रिपोर्ट में कहा गया है कि 26 जून तक हुई संचयी वर्षा सामान्य से 36.8 प्रतिशत कम थी, जो साप्ताहिक वर्षा के मानक से 23.9 प्रतिशत कम रही।
रिपोर्ट में कहा गया है कि "2014 के बाद से इस साल मानसून की शुरुआत सबसे कमजोर है, जब समान अवधि में संचयी वर्षा सामान्य से 38.2 प्रतिशत कम थी।"
एक अन्य प्रमुख बिंदु यह है कि घाटी (बेसिन)-वार जलाशय स्तर अपने दीर्घकालिक औसत स्तर से नीचे चला गया है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि बड़ी नदी घाटियों में सिर्फ गोदावरी और सिंधु नदी शेष बची थीं, बाकी गंगा, कावेरी, कृष्णा और महानदी के जलस्तर में काफी कमी आई है। इसके साथ ही यह भी बताया गया है कि 27 जून को सप्ताह के अंत तक सभी घाटियों और जलाशयों के दीर्घकालिक जलस्तर में 14.5 प्रतिशत कमी आई है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि पूरे भारत में 36 उप-खंडों में से तीन में अब तक कम बारिश हुई है, तीन में अपर्याप्त बारिश, 28 में कम बारिश हुई है, तीन में सामान्य बारिश, जबकि दो में अधिक वर्षा हुई है।
ग्रामीण क्षेत्रों में हुए जलसंकट के बीच सामान्य मानसून भारतीय किसानों और निवेशकों के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं।


