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हमने कोयले के उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि की : पीयूष गोयल 

रेलवे और कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने सोमवार को कहा कि केंद्र सरकार ने ग्राहकों के लिए उच्च गुणवत्ता के कोयले की आपूर्ति के साथ ही बिजली की लागत को कम करने पर ध्यान केंद्रित किया है

हमने कोयले के उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि की : पीयूष गोयल 
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नई दिल्ली। रेलवे और कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने सोमवार को कहा कि केंद्र सरकार ने ग्राहकों के लिए उच्च गुणवत्ता के कोयले की आपूर्ति के साथ ही बिजली की लागत को कम करने पर ध्यान केंद्रित किया है। मोदी सरकार की उपलब्धियों की चर्चा करते हुए गोयल ने कहा कि वाणिज्यिक खनन की अनुमति सहित कोयला क्षेत्र में किए गए ऐतिहासिक सुधारों से देश की ऊर्जा क्षमता और ईंधन दक्षता में वृद्धि हुई है।

मंत्री ने कहा कि इस समय कोयले के उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है, गुणवत्ता सुधार के प्रयासों से देश में प्रति यूनिट बिजली के निर्माण में कोयले की मात्रा घटी है।

उन्होंने कहा, "मंत्रालय ने तीसरे पक्ष द्वारा नमूना प्रक्रियाओं को अमल में लाकर कोयले की गुणवत्ता सुनिश्चित की है। कोयले की निगरानी प्रक्रिया में पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित करने के लिए उत्तम एप लांच किया गया है।"

उन्होंने कहा, "कोयला नियंत्रक द्वारा कोल इंडिया और सिंगारेनी कोलियरी की सभी खदानों का पुनर्मूल्यांकन किया गया है।"

उन्होंने मीडिया से कहा, "कम लागत और उच्चतर गुणवत्ता के माध्यम से बिजली की कीमत कम करने पर ध्यान दिया जा रहा है..और पिछले चार सालों में एक यूनिट बिजली के उत्पादन में खपत होनेवाले कोयले की मात्रा में 8 फीसदी की कमी की गई है।"

मंत्री ने यह भी कहा कि सरकारी खनन कंपनी कोल इंडिया ने पिछले चार सालों में 10.5 करोड़ टन का उत्पादन बढ़ाया है, जबकि वित्त वर्ष 2013-14 से पहले इतना उत्पादन बढ़ाने में सात साल लगे थे।

वित्त वर्ष 2013-14 में कोल इंडिया ने 46.2 करोड़ टन कोयले का उत्पादन किया था, जबकि पिछले वित्त वर्ष (2017-18) में यह बढ़कर 56.7 करोड़ टन हो गया।

उन्होंने दोहराया कि वाणिज्यिक कोयला खनन इस क्षेत्र का 'सबसे महत्वाकांक्षी' सुधार है।

गोयल ने कहा कि करीब 89 कोयला खदानों की नीलामी की गई है और कोयला खदानों से मिला सारा राजस्व राज्यों को आवंटित किया गया है।

बिजली संयंत्रों के लिए 'कोयले की कमी' के मुद्दे पर उन्होंने कहा, "जाहिर है कि कोयले के उत्पादन के लिए भूमि अधिग्रहण की आवश्यकता होती है, जरूरी मशीनें लगानी पड़ती है और इसका एक समूचा चक्र होता है। पिछले 8-9 महीनों में मांग तेजी से बढ़ी है, और तथाकथित (कोयले की) कमी की भावना आई है। कोयला और रेलवे मंत्रालय साथ मिलकर यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि किसी भी वक्त किसी को भी कोयले की उपलब्धता की कमी के कारण बिजली पैदा करने में परेशानी ना हो।"

सरकारी खनन कंपनी ने हाल में ही कहा था कि बिजली क्षेत्र के लिए कोयले की आपूर्ति चालू वित्त वर्ष के अप्रैल-मई अवधि में 15 फीसदी बढ़ेगी।


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