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हमने पहलगाम पर राजनीति नहीं की, ट्रम्प की घोषणा भारत की कूटनीतिक विफलता: भूपेश बघेल

कांग्रेस ने कहा है कि पहलगाम हमले के बाद देश में उपजे संकट को लेकर हमने इस मुद्दे पर कोई राजनीति नहीं की और आतंकवाद का सिर कुचलने के लिए हर मुद्दे पर सरकार का समर्थन करते रहे हैं लेकिन पाकिस्तान के साथ टकराव के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का अचानक संघर्ष विराम पर समझौते की घोषणा करना भारत की कूटनीतिक विफलता है

हमने पहलगाम पर राजनीति नहीं की, ट्रम्प की घोषणा भारत की कूटनीतिक विफलता: भूपेश बघेल
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नई दिल्ली। कांग्रेस ने कहा है कि पहलगाम हमले के बाद देश में उपजे संकट को लेकर हमने इस मुद्दे पर कोई राजनीति नहीं की और आतंकवाद का सिर कुचलने के लिए हर मुद्दे पर सरकार का समर्थन करते रहे हैं लेकिन पाकिस्तान के साथ टकराव के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का अचानक संघर्ष विराम पर समझौते की घोषणा करना भारत की कूटनीतिक विफलता है।

कांग्रेस नेता भूपेश बघेल ने सोमवार को यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में सवाल किया कि संघर्ष के बीच अमेरिका के राष्ट्रपति ने अचानक सीजफायर की घोषणा कर दी, क्या यह भारत सरकार की कूटनीतिक नाकामी नहीं है। क्या भारत ने तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप को स्वीकार कर लिया है या हमने ट्रम्प के बयान से मध्यस्थता स्वीकार कर ली है और क्या शिमला समझौता अब रद्द हो गया है। उन्होंने कहा कि ट्रम्प की घोषणा से देश ठगा महसूस कर रहा है और हम इस घोषणा से शर्मिंदगी में है। इससे हमारा मस्तिष्क झुका है। ऐसे बहुत सवाल हैं और इसीलिए कांग्रेस मांग करती है कि सरकार इस पर सर्वदलीय बैठक और संसद का विशेष सत्र बुलाए, ताकि सारी स्थिति साफ हो सके। हम इस पर सरकार से पारदर्शिता की मांग करते हैं।”

उन्होंने कहा, “इस दौरान कांग्रेस ने कोई राजनीति नहीं की और न सिर्फ सरकार का साथ दिया बल्कि संकट की इस घड़ी में पार्टी ने अपने सभी राजनीतिक कार्यक्रम रद्द कर दिए। ‘संविधान बचाओ रैली’ जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम को भी स्थगित कर दिया ताकि देश में एकजुटता का संदेश जाए। हमने ‘जय हिंद यात्रा’ निकाली ताकि सेना का मनोबल बढ़े और जनता आतंकवाद के ख़िलाफ़ एकजुट हो। हमने सरकार से कहा कि कितना भी बड़ा संकट आए, कांग्रेस आपके साथ है लेकिन जब पूरा देश सेना के साथ खड़ा था तो भाजपा नेता ट्विटर पर भाजपा और यूपीए सरकार की तुलना कर इस संकट को राजनीति का रंग दने का काम कर रहे थे। उसके नेता सेना की बहादुरी को अपनी उपलब्धि बता रहे थे। सवाल है कि क्या सेना के बलिदान को चुनावी बयानबाजी में इस्तेमाल करना उचित है। एक नेता ने यहां तक कहा कि कांग्रेस के समय आतंकियों को माफी दी जाती थी और नरेंद्र मोदी ने सबक सिखाया-यह झूठ है। हमारा स्पष्ट संदेश रहा है कि भारत की एकता से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। एक तरफ- कांग्रेस ने सशस्त्र बलों के पराक्रम को सलाम करने और आतंकी हमले के पीड़ितों के प्रति श्रद्धांजलि देने की मुहिम में पूरे देश में 'जय हिंद यात्रा' निकाली। दूसरी तरफ भाजपा राष्ट्र संकट वाली स्थिति में भी राजनीति करती रही लेकिन कांग्रेस पार्टी सरकार के साथ खड़ी रही, क्योंकि हम देशहित की बात करते हैं।”

बघेल ने सैनिकों के संकल्प और साहस की तारीफ करते हुए कहा, “पहलगाम हमले के बाद हमारी सेना ने संकल्प और साहस के साथ दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब दिया जो पूरे राष्ट्र के लिए गर्व का पल था। हमारे जवानों ने अनेक युद्धों में भारत की अखंडता को बचाया। 1971 के बाद इंदिरा गांधी ने दुनिया को दिखा दिया था कि भारत किसी के सामने झुकने वाला नहीं है। आज भी हमारी सेना उसी जज़्बे के साथ सीमा पर डटी हुई है। पार्टी उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। जब भी देश पर संकट आया, कांग्रेस ने राजनीति को पीछे रखा और देशहित को प्रथम स्थान दिया। साल 1965 में लाल बहादुर शास्त्री ने ‘जय जवान-जय किसान’का नारा देकर देश को एक सूत्र में बांधा जबकि 1971 में इंदिरा गांधी ने अमेरिका के दबाव को ठुकरा कर पाकिस्तान को धूल चटा दी थी। आज भी हमारा वही संकल्प है। आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में राजनीति नहीं राष्ट्रवाद चाहिए। हमने उनसे सीखा है कि दुश्मन से बातचीत की मेज पर बैठें तो कमजोरी नहीं ताकत दिखाएं। उस समय हमने 1971 में पाकिस्तान के 93,000 सैनिकों को घुटने पर ला दिया था लेकिन आज सरकार से पूछा जाए कि क्या अमेरिका के दबाव में हमने अपनी नीति बदल दी है।”


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