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दिल्ली के मालिक हम : केजरीवाल

 दिल्ली विधानसभा में आज सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहे 17 हजार अतिथि शिक्षकों को नियमित करने सम्बन्धी अतिथि शिक्षक तथा सर्व शिक्षा के अंतर्गत कार्यरत शिक्षकों की सेवाओं का नियमन, विधेयक, 2017 ध्वनि मत से

दिल्ली के मालिक हम : केजरीवाल
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नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा में आज सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहे 17 हजार अतिथि शिक्षकों को नियमित करने सम्बन्धी अतिथि शिक्षक तथा सर्व शिक्षा के अंतर्गत कार्यरत शिक्षकों की सेवाओं का नियमन, विधेयक, 2017 ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। हालांकि विपक्ष ने दिल्ली सरकार पर विधेयक को प्रक्रिया पालन न करने व कानूनसम्मत तरीके से लाने की मांग रखी लेकिन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तीखे शब्दों में विपक्ष, उपराज्यपाल व अधिकारियों पर हमला बोलते हुए दो टूक कहा कि देश लोकशाही से चलता है नौकरशाही से नहीं।

आप अधिकारियों के पीछे छिपकर राजनीति करते हो, मर्द के बच्चे हो तो सामने आकर राजनीति करो। दिल्ली के मालिक हम हैं। केजरीवाल ने कहा कि अधिकारी हमारे हिसाब से काम नहीं कर रहे, इन्हें फोन आते हैं। उपराज्यपाल ने बाकायदा पत्र भेजकर कहा कि यह विधानसभा के अधिकार में नहीं उनके अधिकार क्षेत्र का मामला है तो आप शिक्षकों को पक्का कर दो। हम भी परेशान हो गए हैं..अगर सदन की ताकत है तो पास करो। उन्होंने विपक्ष की ओर संकेत करते हुए कहा किआप इस बिल को मत मानों, संशोधन कर के उपराज्यपाल से पास करा दो। विपक्ष के नेता ने कहा कि यह काम तो मुख्यमंत्री कर सकते हैं। बस यह सुनते ही केजरीवाल ने आक्रमक होते हुए कहा कि 'यही भाजपा के नंगेपन को दिखाना चाहता हूं, इस बिल में गड़बड़ है तो ठीक करते हैं और पास करा दो।

केजरीवाल यहीं नहीं रुके कहा, अधिकारी फाइल नहीं दिखाते, भई ऐसा क्या गोपनीय है? आखिर मैं चुनी हुई सरकार का मुख्यमंत्री हूं आतंकवादी नहीं। मुख्यमंत्री ने उपराज्यपाल को ललकारते हुए कहा, एलजी साहब हम आतंकवादी नहीं हैं, अगर हमसे फाइल छुपाई तो इतिहास आपको याद करेगा कि आपने दिल्ली बर्बाद कर दी। शिक्षा, स्वास्थ्य के क्षेत्र में अभी जो सुधार हो रहे हैं, वे स्थायी नहीं हैं काम उतने अच्छे हो जाये कि हम रहे या नहीं रहे काम अच्छे चलते रहें यह जरूरी है। क्योंकिहमें राजनीति की जरूरत नहीं थी, जब आप (भाजपा की ओर इशारा करते हुए) फेल हो गए तो हम आए हैं। इससे पहले शिक्षा मंत्री व दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि विधानसभा का अधिकार इतना है किप्राइवेट मेम्बर के बिल को भी पास कर सकती है। मैं शिक्षकों के नियमन की बात कर रहा हूं वे प्रक्रिया के तहत भर्ती किए गए हैं।

ये शिक्षक मेहनत से पढ़ा रहे हैं और हम सरकारी स्कूलों में अच्छी शिक्षा देना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली में हमेशा अतिथि शिक्षकों के साथ सौतेला व्यवहार हुआ है, हमने उन्हें हटाने पर रोक लगाई, वेतन बढ़ाया, 2.5 साल से ये अतिथि शिक्षक स्थाई तौर पर काम कर रहे हैं। निर्धारित नियमों के आधार पर सरकार काम कर रही है और शिक्षकों की योग्यता में भी कमी नहीं है। राजनिवास द्वारा शिक्षकों की भर्ती को सेवा विषय व इस विधेयकको प्रक्रिया पालना न करने पर उन्होने भी करारा प्रहार करते हुए कहा कि शिक्षा सेवा में नहीं आनी चाहिए क्या शिक्षा का काम बिल्डिंग बनाना नहीं है, बच्चों को वर्दी बांटना नहीं है, शिक्षा के दायरे में शिक्षक आता है। इससे पहले करीब 150 कश्मीरी शिक्षकों को भी नियमित करने का सरकार ने फैसला किया था।

यदि 150 शिक्षकों को पक्का किया जा सकता है, तो 15-17 हजार इन शिक्षकों को भी नियमित कर सकते हैं। उन्होने कहा कि एलजी की इस बात से सरकार इत्तेफाक नहीं रखती कि शिक्षा सर्विस के दायरे में आती है, अगर ऐसा है तो यह शिक्षा का अपमान है। सिसोदिया ने कहा कि मंत्रिमंडल के पास अधिकार है कि वह मुख्य मसलों पर निर्णय ले सकती है, पीएम के फैसले से कई नौकरियां गईं, हमारे फैसले से 17000 को रोजगार मिलेगा। हम उनसे सीख रहे हैं। बता दें कि दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने कहा था कि दिल्ली सरकार विधेयक पर पुनर्विचार करे। चूंकि दिल्ली विधानसभा के दायरे में नहीं आता।

नई दिल्ली, 4 अक्टूबर (देशबन्धु)। दिल्ली विधानसभा में आज सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहे 17 हजार अतिथि शिक्षकों को नियमित करने सम्बन्धी अतिथि शिक्षक तथा सर्व शिक्षा के अंतर्गत कार्यरत शिक्षकों की सेवाओं का नियमन, विधेयक, 2017 ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। हालांकि विपक्ष ने दिल्ली सरकार पर विधेयक को प्रक्रिया पालन न करने व कानूनसम्मत तरीके से लाने की मांग रखी लेकिन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तीखे शब्दों में विपक्ष, उपराज्यपाल व अधिकारियों पर हमला बोलते हुए दो टूक कहा कि देश लोकशाही से चलता है नौकरशाही से नहीं। आप अधिकारियों के पीछे छिपकर राजनीति करते हो, मर्द के बच्चे हो तो सामने आकर राजनीति करो। दिल्ली के मालिक हम हैं। केजरीवाल ने कहा कि अधिकारी हमारे हिसाब से काम नहीं कर रहे, इन्हें फोन आते हैं। उपराज्यपाल ने बाकायदा पत्र भेजकर कहा कि यह विधानसभा के अधिकार में नहीं उनके अधिकार क्षेत्र का मामला है तो आप शिक्षकों को पक्का कर दो। हम भी परेशान हो गए हैं..अगर सदन की ताकत है तो पास करो। उन्होंने विपक्ष की ओर संकेत करते हुए कहा किआप इस बिल को मत मानों, संशोधन कर के उपराज्यपाल से पास करा दो। विपक्ष के नेता ने कहा कि यह काम तो मुख्यमंत्री कर सकते हैं। बस यह सुनते ही केजरीवाल ने आक्रमक होते हुए कहा कि 'यही भाजपा के नंगेपन को दिखाना चाहता हूं, इस बिल में गड़बड़ है तो ठीक करते हैं और पास करा दो।Ó केजरीवाल यहीं नहीं रुके कहा, अधिकारी फाइल नहीं दिखाते, भई ऐसा क्या गोपनीय है? आखिर मैं चुनी हुई सरकार का मुख्यमंत्री हूं आतंकवादी नहीं। मुख्यमंत्री ने उपराज्यपाल को ललकारते हुए कहा, एलजी साहब हम आतंकवादी नहीं हैं, अगर हमसे फाइल छुपाई तो इतिहास आपको याद करेगा कि आपने दिल्ली बर्बाद कर दी। शिक्षा, स्वास्थ्य के क्षेत्र में अभी जो सुधार हो रहे हैं, वे स्थायी नहीं हैं काम उतने अच्छे हो जाये कि हम रहे या नहीं रहे काम अच्छे चलते रहें यह जरूरी है। क्योंकिहमें राजनीति की जरूरत नहीं थी, जब आप (भाजपा की ओर इशारा करते हुए) फेल हो गए तो हम आए हैं। इससे पहले शिक्षा मंत्री व दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि विधानसभा का अधिकार इतना है किप्राइवेट मेम्बर के बिल को भी पास कर सकती है। मैं शिक्षकों के नियमन की बात कर रहा हूं वे प्रक्रिया के तहत भर्ती किए गए हैं।

ये शिक्षक मेहनत से पढ़ा रहे हैं और हम सरकारी स्कूलों में अच्छी शिक्षा देना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली में हमेशा अतिथि शिक्षकों के साथ सौतेला व्यवहार हुआ है, हमने उन्हें हटाने पर रोक लगाई, वेतन बढ़ाया, 2.5 साल से ये अतिथि शिक्षक स्थाई तौर पर काम कर रहे हैं। निर्धारित नियमों के आधार पर सरकार काम कर रही है और शिक्षकों की योग्यता में भी कमी नहीं है। राजनिवास द्वारा शिक्षकों की भर्ती को सेवा विषय व इस विधेयकको प्रक्रिया पालना न करने पर उन्होने भी करारा प्रहार करते हुए कहा कि शिक्षा सेवा में नहीं आनी चाहिए क्या शिक्षा का काम बिल्डिंग बनाना नहीं है, बच्चों को वर्दी बांटना नहीं है, शिक्षा के दायरे में शिक्षक आता है। इससे पहले करीब 150 कश्मीरी शिक्षकों को भी नियमित करने का सरकार ने फैसला किया था। यदि 150 शिक्षकों को पक्का किया जा सकता है, तो 15-17 हजार इन शिक्षकों को भी नियमित कर सकते हैं।

उन्होने कहा कि एलजी की इस बात से सरकार इत्तेफाक नहीं रखती कि शिक्षा सर्विस के दायरे में आती है, अगर ऐसा है तो यह शिक्षा का अपमान है। सिसोदिया ने कहा कि मंत्रिमंडल के पास अधिकार है कि वह मुख्य मसलों पर निर्णय ले सकती है, पीएम के फैसले से कई नौकरियां गईं, हमारे फैसले से 17000 को रोजगार मिलेगा। हम उनसे सीख रहे हैं। बता दें कि दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने कहा था कि दिल्ली सरकार विधेयक पर पुनर्विचार करे। चूंकि दिल्ली विधानसभा के दायरे में नहीं आता।


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