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डब्ल्यूबीएसएससी घोटाला : बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी के खिलाफ नए आरोप लगाए गए

पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) भर्ती अनियमितताओं के मामले में पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी के लिए संकट गहराता जा रहा है

डब्ल्यूबीएसएससी घोटाला : बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी के खिलाफ नए आरोप लगाए गए
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कोलकाता। पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) भर्ती अनियमितताओं के मामले में पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी के लिए संकट गहराता जा रहा है।

शुक्रवार को एक तरफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों की एक टीम ने उनके आवास पर एक मैराथन छापा मारा, वहीं दूसरी ओर कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की एकल-न्यायाधीश पीठ के समक्ष उनके खिलाफ नए आरोप लगाए गए। आरोप लगाया गया है कि वर्तमान में राज्य के वाणिज्य और उद्योग मंत्री चटर्जी ने तत्कालीन राज्य के शिक्षा मंत्री के रूप में उनकी सुरक्षा में लगे एक पुलिस अधिकारी के परिवार के दस सदस्यों के लिए अनैतिक रूप से नौकरी की व्यवस्था करके शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया को प्रभावित किया।

याचिकाकर्ता ने सुरक्षा अधिकारी के परिवार के उन 10 सदस्यों के नाम भी प्रस्तुत किए हैं, जिन्हें अनैतिक रूप से सभी मानदंडों का उल्लंघन करते हुए शिक्षण कार्य की पेशकश की गई थी। याचिकाकर्ताओं ने उनकी भर्ती का विवरण भी एकल-न्यायाधीश पीठ को प्रस्तुत किया है।

न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने आरोपों को स्वीकार करते हुए कहा है कि सोमवार को मामले की विस्तार से सुनवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि अदालत में जमा किए गए दस्तावेजों की उन प्रतियों को सभी संबंधित पक्षों को भेजा जाए।

शुक्रवार को याचिकाकर्ता ने नदिया जिले के पलाशीपारा विधानसभा क्षेत्र से तृणमूल के पूर्व विधायक तापस कुमार साहा के खिलाफ भी पीठ में शिकायत दर्ज कराई थी। साहा के खिलाफ आरोप है कि उसने कम से कम 25 लोगों से नौकरी दिलाने का वादा करके पैसे वसूल किए।

याचिकाकर्ता ने संपर्क नंबरों के साथ-साथ उनके द्वारा किए गए भुगतान के विवरण के साथ उन नामों की एक सूची प्रस्तुत की, जिनसे नकद स्वीकार किया गया है। याचिकाकर्ता ने इस मामले में साहा के खिलाफ शिकायत करते हुए तृणमूल के राष्ट्रीय नेता को एक पत्र की प्रति भी सौंपी। बाद में यह शिकायत की गई कि नकद प्राप्त करने के बावजूद, साहा ने भुगतान करने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए नौकरियों की व्यवस्था नहीं की।


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