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वायनाड भूस्खलन : सेना का बचाव अभियान तेज, एक हजार लोगों को किया रेस्क्यू

केरल के वायनाड में हुए भीषण भूस्खलन में मरने वालों की संख्या 159 पहुंच गई है। जबकि 90 से अधिक लोग अभी भी लापता बताए जा रहे हैं

वायनाड भूस्खलन : सेना का बचाव अभियान तेज, एक हजार लोगों को किया रेस्क्यू
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वायनाड। केरल के वायनाड में हुए भीषण भूस्खलन में मरने वालों की संख्या 159 पहुंच गई है। जबकि 90 से अधिक लोग अभी भी लापता बताए जा रहे हैं।

इस भीषण त्रासदी के बाद सेना, वायुसेना, नौसेना, एनडीआरएफ, पुलिस और फायर फोर्स की टीमें बचाव अभियान में जुटी हुई हैं।

भारतीय सेना के दक्षिणी कमान ने बचाव अभियान की जानकारी दी। सेना के दक्षिणी कमान ने बताया कि वायनाड में भूस्खलन के बाद एनडीआरएफ, राज्य बचाव दल, कोस्ट गार्ड, नौसेना और वायुसेना के साथ इंडियन आर्मी संकट के इस समय में लगातार काम कर रही हैं। मानव निर्मित पुल बनाकर अब तक 1000 लोगों को बचाया गया है। सेना की टुकड़ी ने करीब 70 शव बरामद किए हैं।

एक्स पर पोस्ट में कहा गया, “भारतीय वायुसेना के विमान एएन-32 और सी-130 द्वारा त्रिवेंद्रम से दो अतिरिक्त सेना टुकड़ियां मंगलवार को 10:30 बजे कालीकट पहुंची। इन टुकड़ियों ने शाम 6 बजे वायनाड के लिए अपनी आगे की यात्रा शुरू की। बुधवार सुबह 6:45 बजे तक छुट्टी पर गए आर्मी ऑफिसर मिशन में शामिल होने के लिए स्वेच्छा से आगे आए हैं।”

दक्षिणी कमान ने बताया कि मद्रास इंजीनियर ग्रुप और सेंटर से इंजीनियर टास्क फोर्स भूस्खलन साइट पर पहुंच गई है। यहां 170 फीट का पुल बनाने की योजना है। मेप्पाडी-चूरलमाला रोड पर बचाव कार्य जारी है। तीन बेली ब्रिज, जेसीबी और टाट्रा ट्रक भी जल्द ही वायनाड पहुंचकर बचाव अभियान में जुट जाएंगे।

उन्होंने जानकारी देते हुए बताया, “दिल्ली से भी वायनाड के लिए मदद भेजी गई है। वायु सेना के विमान सी-130 के जल्द ही कन्नूर पहुंचने की उम्मीद है। इसके बाद नागरिक प्रशासन के साथ समन्वय कर वायनाड के लिए सड़क मार्ग से आवाजाही शुरू की जाएगी। बुधवार सुबह स्थिति का जायजा लेने के लिए प्रभावित स्थानों का दौरा किया गया है।”

बता दें कि वायनाड के चूरलपारा में मंगलवार को भीषण भूस्खलन हुआ। जिसमें अब तक 159 लोगों की जान जा चुकी है। बताया जा रहा है कि भूस्खलन रात करीब 2 बजे हुआ और इलाका पूरी तरह से कट गया है। सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में चूरलमाला, वेल्लारीमाला, मुंडकाईल और पोथुकालू शामिल हैं। इन इलाकों के स्थानीय लोग जो किसी तरह बच निकलने में कामयाब रहे, तबाही की भयावहता से बुरी तरह टूट चुके हैं।


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