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साहित्य जगत में शोक की लहर, नहीं रहे ख्याल

जम्मू-कश्मीर के प्रसिद्ध कवि, लेखक एवं वरिष्ठ पत्रकार गुलाम नबी ख्याल का रविवार को यहां रावलपोरा स्थित उनके घर पर निधन हो गया।

साहित्य जगत में शोक की लहर, नहीं रहे ख्याल
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श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के प्रसिद्ध कवि, लेखक एवं वरिष्ठ पत्रकार गुलाम नबी ख्याल का रविवार को यहां रावलपोरा स्थित उनके घर पर निधन हो गया।
श्री ख्याल को उनकी पुस्तक ‘गशिक मीनार’ के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया था। वह एक साप्ताहिक वॉयस ऑफ कश्मीर के मुख्य संपादक भी थे और उन्होंने कश्मीरी, उर्दू और अंग्रेजी में 30 किताबें लिखी हैं।

श्री ख्याल साहित्य अकादमी पुरस्कार (1975) के विजेता थे, लेकिन उन्होंने वर्ष 2015 में देश में बढ़ती असहिष्णुता के विरोध में इसे लौटा दिया था। श्री ख्याल ने कई भारतीय और विदेशी समाचार एजेंसियों का भी प्रतिनिधित्व किया। श्री ख्याल को अकादमी पुरस्कार (1974) से भी सम्मानित किया गया था और छह दशकों तक साहित्य एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में उनके सराहनीय योगदान के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से नवाजा गया था।

अपनी पार्टी के अध्यक्ष अल्ताफ बुखारी सहित प्रमुख राजनीतिक नेताओं ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। श्री बुखारी ने श्री ख्याल को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में वर्णित किया, जिन्होंने अपने लेखन से साहित्यिक क्षेत्र में क्रांति ला दी थी। उन्होंने ‘एक्स’ पर कहा, "श्री ख्याल के निधन से साहित्यिक क्षेत्र में एक शून्य पैदा हो गया है और हमें उनके जैसा कोई दूसरा ढूंढने में काफी समय लगेगा।"


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