पानी की राजनीति, कहीं राजनेताओं के मंसूबों पर फेर न दे पानी !
सभी राजनीतिक दलों के लिए समस्या लेकर आया है, क्योंकि सभी दल के प्रत्याशी जब वोट मांगने जा रहे हैं, तो उन्हें मतदाता अपनी शिकायतों की सूची पकड़ा दे रहे हैं।

नई दिल्ली, 15 अप्रैल (देशबन्धु)। सिर पर चढ़ते सूरज से पानी की दो घूंट बेशक सुकून पहुंचाती हों, लेकिन दिल्ली के कई इलाकों में क्षेत्रवासियों को पानी मयस्सर नहीं हो रहा है। इस समस्या के ठीक बाद चुनाव का तय होना, सभी राजनीतिक दलों के लिए समस्या लेकर आया है, क्योंकि सभी दल के प्रत्याशी जब वोट मांगने जा रहे हैं, तो उन्हें मतदाता अपनी शिकायतों की सूची पकड़ा दे रहे हैं।
पानी का मामला आम आदमी पार्टी के मंसूबों पर भी पानी फेर सकता है, क्योंकि आप विधायक को चुनाव से ठीक पहले पानी की समस्या को लेकर विरोध झेलना पड़ा है।
दक्षिण दिल्ली के अंबेडकर नगर विधायक अजय दत्त के कार्यालय पर शनिवार सुबह भारी भीड़ देखने को मिली और लोग घरों में पानी न आने पर विधायक से जवाब मांग रहे थे।
ब्लाक-ए1 मदनगीर के लोग “आप” विधायक अजय दत्त के कार्यालय पर सुबह करीबन नौ बजे बजे पहुंच गए, लेकिन विधायक महोदय के कार्यालय का ताला सवा 10 बजे के बाद ही खुला और उस पर भी लंबे इंतजार के बावजूद विधायक से किसी भी शिकायकर्ता की मुलाकात नहीं हो सकी। हां, पत्रकार को फोन करके जरूर विधायक अजय दत्त ने अपनी जिम्मेदारी पूरी करते हुए पानी न आने की ठीकरा भाजपा के सिर पर फोड़ दिया।
विधायक के कार्यालय में मौजूद सचिव विकास ने लोगों को समझाने की कोशिश की, लेकिन प्यासे क्षेत्रवासी विधायक से बात करने पर अड़ गए।
दूसरी ओर, जल बोर्ड के जेएई खालिद को भी जनता के गुस्से का शिकार होना पड़ा और खालिद के लाख समझाने पर भी जनता उनसे भिड़ती रही।
खालिद ने बताया कि पानी की आपूर्ति पीछे से ही नहीं आ रही है। वह कुछ नहीं कर सकते।
एक्सीएन एलएल मीणा ने लगातार फोन करने के बावजूद फोन उठाना जरूरी नहीं समझा।
क्षेत्रीय नेताओं ने जब अधिकारियों से बात कि तो उन्होंने भी भरोसा थमा दिया।
ऐसा नहीं है कि पानी पर सिर्फ आम आदमी पार्टी को ही नुकसान हो रहा है, क्योंकि कई इलाकों में लोग सिर्फ समस्या का समाधान सुनना चाहते हैं, न कि नेताओं द्वारा अन्य राजनीतिक दलों पर आरोप-प्रत्यारोप। आप नेताओं के पास जहां मोदी सरकार द्वारा कुछ न करने देने की दलील है, तो वहीं भाजपा कुछ जगह आप को कोसती है, तो कहीं अपने पुराने पार्षदों पर नाराजगी दिखाकर खुद के लिए मौका मांगती है।
बहरहाल जनता का मत है कि पानी पर राजनीति नही होनी चाहिए, नहीं तो मौका भी है और दस्तूर भी है, 23 अप्रैल को मतदान भी है।


