जल चुके पौधों की ठूंठ में डाला जा रहा पानी
हरियर छत्तीसगढ़ योजना के तहत जिला मुख्यालय के कलेक्टोरेट परिसर के पीछे लगाये गये 5 से 6 फीट के हजारों पौधे कल दोपहर लगी चिंगारी से जलकर खाक हो गये

जांजगीर। हरियर छत्तीसगढ़ योजना के तहत जिला मुख्यालय के कलेक्टोरेट परिसर के पीछे लगाये गये 5 से 6 फीट के हजारों पौधे कल दोपहर लगी चिंगारी से जलकर खाक हो गये। इसकी सूचना जब तक जिम्मेदार लोगों को लग पाती तब तक आग ने सारा कुछ निगल लिया था। इस घटना के दूसरे दिन वन विभाग अब जले पेड़ों की ठूंठ ने पानी डाल कपोल फूटने की आस लगा रहे है।
भीषण गर्मी की मार झेल रहे जिले में वैसे भी वन परिक्षेत्र महज 4.6 प्रतिशत ही है, वहीं टॉवर लाईन व सड़क चौड़ीकरण के नाम पर हजारों पेड़ काटे जा रहे है। ऐसे में वन परिक्षेत्र को बढ़ाने हरियर छत्तीसगढ़ योजना के तहत कलेक्टर परिसर के पीछे खाली पड़े भूखण्ड में वृक्षारोपण किया गया था, जिसमें प्रमुख रूप से फलदार पौधे आम, कटहल, नारियल, करंज, गुलमोहर, स्पेसोडिया, नीम, ऑवला, बेल, इमली आदि के करीब 6 हजार से अधिक पौधे रोपित किये गये थे।
इन पौधों की देखभाल के लिए विभाग द्वारा कर्मचारी नियुक्त किया गया था, मगर कल दोपहर अचानक लगी आग ने दावानल का रूप लेते हुये लहलहाते पौधों को चौपट कर दिया। घटना की जानकारी मिलने पर वन अमला आज दूसरे दिन जले पौधों के ठूंठ में पानी डालते हुये दिखे।
विदित हो कि बारिश के दौरान प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में पौधरोपण किया जाता है, मगर देखरेख की अभाव में ये पौधे अगली बारिश तक भी जीवित नहीं बच पाते। इस बार वन अमला द्वारा पौधरोपण के लिए 4 से 5 फीट लंबाई वाले पौधों का रोपण करते हुये तर्क दिया था कि ये पौधे एक बार लग जाने के बाद बिना पानी के भी तैयार हो जायेंगे।
इतना ही नहीं इस पूरे क्षेत्र को जालीदार तारों से घेरा गया था। साथ ही बाउड्रीवाल का काम भी जारी है। मगर लापरवाही कहे या शरारत की लगभग तैयार हो चुके 6 से 8 फीट के फलदार हजारों पौधे एक चिंगारी से जलकर नष्ट हो गया।
समय रहते अगर आग बुझाने की कोशिश की गई होती, तो इसे सीमित दायरे तक रोका जा सकता था। अब वन अमला पानी की टैंकर मंगा जले पौधों के ठूंठ में सिंचाई कर नयी कपोले निकलने की उम्मींद जता रही है, वहीं जिला प्रशासन इस मामले पर जांच कराने की बात कह रही है।
ठूंठ के आगे रह गया है नाम पट्टीका
इस परिसर में वृक्षारोपण को लेकर उत्सव जैसा माहौल तैयार किया गया था, जिसने संसदीय सचिव, सांसद, विधायक से लेकर जिले के आलाधिकारी अधिकारियों ने भी अपने-अपने नाम के पौधे रोपित किये थे। मगर आग की लपटों ने पौधों को तो अपनी लपटों में ले लिया, जहां अब इनके नाम पट्टीका ही दिख रहा है।


