बारिश की कमी से बढ़ सकता है जल संकट
छत्तीसगढ़ के बस्तर, गुजरात, बिहार, उत्तराखण्ड इत्यादि को छोड़ दें तो शेष सभी क्षेत्र के नदी नाले और तालाब अभी से सूखने की स्थिति में हैं
सारंगढ़। छत्तीसगढ़ के बस्तर, गुजरात, बिहार, उत्तराखण्ड इत्यादि को छोड़ दें तो शेष सभी क्षेत्र के नदी नाले और तालाब अभी से सूखने की स्थिति में हैं तथा जहां जहां बोर की सुविधा है वे पेयजल, सिंचाई के लिए पानी का भरपूर उपयोग कर रहें हैं जिससे की वाटर लेवल और भी घटते ही जा रहा है तथा कई क्षेत्र में पानी की समस्या अभी से ही होने लगी है जो की आने वाले समय में पानी के लिए त्राहि-त्राहि मचने के संकेत दे रहे हैं।
क्षेत्र के बुजुर्गों ने बताया की उन्होंने आज तक अपने जीवन में कभी भी पानी की ऐसी कमी और बरसात के मौसम के लगभग समाप्त हो जाने के बाद ऐसा उमस और गर्मी भरा मौसम नहीं देखा था तथा यह सब हम सभी के विकास के अंधानुकरण के लिए प्रकृति से किए जा रहे छेड़छाड़ का ही परिणाम नजर आता है, क्योंकि आबादी लगातार बढ़ रही है और जनसंख्या बढ़ने से लोगों के कार्बन डाईआक्साईड छोड़ने से पर्यावरण के लिए खतरनाक है।
इस गैस को अवशोषित कर हमें आक्सीजन देने वाले वृक्षों की लगातार कमी हो रही है साथ ही जहरीले गैस छोड़ने वाले उद्योग कारखानों और वाहनों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। इसी कारण इनसे निकलने वाले धुओं से फर्जी बादल बन रहे हैं जो की जल की वर्षा कराए बिना ही फूर्र हो जा रहे हैं।पर्यावरण की उक्त समष्या पर अगर अभी से हम सभी ने गंभीरता से विचार कर इसके निराकरण के लिए सार्थक पहल नहीं किया तो इसके परिणाम हमारे तथा हमारी आगामी पीढ़ी के लिए विनाशकारी होंगे।


