नहर कटने से गांवों में जलसंकट
बैसाख महीने की गर्मी सभी को बेहाल कर दिया है इस गर्मी में पानी की समस्या शहर से लेकर गांव तक को हो रही है। जिले में जल संकट को देखते हुए काफी प्रयास के बाद नहर से पानी छोड़ा गया है...

जांजगीर। बैसाख महीने की गर्मी सभी को बेहाल कर दिया है इस गर्मी में पानी की समस्या शहर से लेकर गांव तक को हो रही है। जिले में जल संकट को देखते हुए काफी प्रयास के बाद नहर से पानी छोड़ा गया है, लेकिन यह भी समस्या से राहत नहीं दे पा रहा। हसदेव बांगों बांध से पानी की धार 7 अप्रैल की रात छोड़ी गई जिसे मुख्य नहर में पहुंचने में ही दो दिन लग गए। इसके बाद गांवों तक अब ले देकर पानी पहुंच पा रहा है। इस बीच कई जगह पर केनाल कटने की शिकायत भी सामने आ रही है। ऐसे में जरूरत के मुताबिक पानी नहीं पहुंच पा रहा।
नहर खोलने के पीछे मंशा ये थी कि इससे तालाबों को भरा जाए ताकि जल स्तर बढ़े और निस्तारी की समस्या का समाधान हो। लेकिन वर्तमान स्थिति को देखते हुए नहर खोलने का कोई खास लाभ आम लोगों को होता नहीं दिख रहा। सिवनी चांपा- बहेराडीह फरसवानी माइनर पानी के अधिक दवाब के कारण कट गया है।
सुखरीकला गांव में बहेराडीह- बलौदा माइनर भी टूट गया है। ऐसे में पानी बेकार बह रहा है और आगे गांव तक नहीं पहुंच पा रहा। नहरों में पानी पखवाड़ेभर के लिए ही खोला गया है और अब आधे से ज्यादा समय बित चुका है। इसके बावजूद कहीं नहर लाइनिंग की खराबी तो कहीं पानी की धार कम होने के कारण अधिकांश गांवों के तालाब प्यासे ही हैं। सूखे तालाबोंं के कारण ग्रामीणों को अब भी निस्तारी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। अभी भी गर्मी के दिनों में निस्तारी के लिए ग्रामीण क्षेत्र में तालाब ही मुख्य साधन हैं, लेकिन तालाबों में वर्तमान में पानी ही नहीं है। कई गांव ऐसे हैं जहां एक या दो तालाब में ही कुछ पानी बचा है, जो अब गंदा होने लगा है। मजबूरी में ग्रामीणों को ऐसे पानी से ही निस्तारी करनी पड़ रही है। हसदेव नदी से बांगों की धार नहरों में छोड़ी गई है नहर में पाने छोड़े जाने के हफ्ते भर होने को है, लेकिन नहर की धार इनती पतली है कि पानी सूखे तालाबों तक पहुंचना तो दूर वितरक शाखा नहर में भी नहीं पहुंच पा रहा है।
लाइनिंग कार्य के चलते भी नहीं पहुंचा पानी
कई क्षेत्र में नहर अब तक पानी ही नहीं छोड़ा गया है। जिम्मेदार विभाग के लोगों की मानें तो लाइनिंग कार्य के चलते कई नहरों में पानी नहीं दिया जा रहा है। हालांकि विभाग का कहना है कि लाइनिंग कार्य होते ही पानी दिया जाएगा, लेकिन तब तक बांध से पानी दिए जाने का समय ही समाप्त हो जाएगा। ठेकेदारों द्वारा किए जा रहे काम की मंधर गति को देखते हुए इस बार गर्मी में नहर से पानी मिलने की अब कोई गुंजाईश नहीं दिख रही।
ग्रामीण क्षेत्र में जलसंकट
गांवों में इन दिनों जलसंकट का आलम ये है कि निस्तारी के साथ ही पेयजल के लिए भी मशक्कत करनी पड़ रही है। भूमिगत जल स्तर गिरने के कारण कुंए और बोर भी अब अनुपयोगी साबित हो रहे हैं। बोर आधे घंटे में ही जवाब देने लगे हैं। कुओं में भी जो थोड़ा बहुत पानी बचा है वह पीने योग्य नहीं रह गया है।


