गहरीकरण बेमानी, सूखे तालाबों में कचरा
नगर पालिक निगम के माध्यम से बारिश पूर्व गर्मी के दिनों में सूखाग्रस्त तालाबों में अभियान चलाकर गहरीकरण और सफाईकरणका कार्य कराया गया था जिसमें प्रश्नचिन्ह लगने जा रहे है
रायपुर। नगर पालिक निगम के माध्यम से बारिश पूर्व गर्मी के दिनों में सूखाग्रस्त तालाबों में अभियान चलाकर गहरीकरण और सफाईकरणका कार्य कराया गया था जिसमें प्रश्नचिन्ह लगने जा रहे है। बारिश के बाद तालाबों में पानी का स्तर में बढ़ोतरी दर्ज नहीं हो पाई है। वहीं लोगों ने तालाब के खाली वाले स्थान पर घर का कचरा फेकना शुरू कर दिया है इससे प्राचीन और पुराने तालाबों के अस्तित्व पर संकट गहराते जा रहा है। हालांकि सावन में अच्छी बारिश होने की संभावना मौसम विभाग ने जताई है। उसके बाद तालाबों में जल स्तर बढ़ने की संभावना व्यक्त की जा रही है।
गौरतलब है कि निगम ने अप्रैल-मई में नगर के आधा दर्जन से अधिक ऐतिहासिक तालाब कंकाली तालाब, नरैया तालाब, छुईया तालाब, श्यामनगर तालाब, आमापारा तालाब, व्यास तालाब आदि के गहरीकरण और सफाई करण कराकर अभियान छेड़ा था जिसमें काफी मात्रा में तालाब से कई ट्रक अपशिष्ट बाहर निकाले गये थे। लेकिन 25 जून के बाद मानसून की पहली बारिश के साथ ही यह अभियान रूक गया। क्योंकि तालाब में पानी आ गया था। लेकिन मानसून के निष्क्रिय होने के चलते तालाब पूरी तरह से भर नहीं पाये है और इन तालाबों का एक हिस्सा सूखा पड़ा हुआ है जहां पर लोग घर के कचरे ले जाकर फेकना शुरू कर दिया है।
इसके चलते तालाबों के अस्तित्व पर एक बड़ा संकट उत्पन्न होने जा रहा है। लाखों रुपये खर्च करने के बाद सफाई हुई थी जिसमें ग्रहण लग सकता है। क्योंकि निगम ने अभियान के बाद उक्त तालाबों की पूछपरख बंद कर दी है। ऐसे में आम लोग भारत स्वच्छता अभियान और स्मार्ट सिटी के संदेशों को झुठलाते हुए तालाबों में गंदगी फैला रहे है। नि:संदेह यह एक चिंतनीय प्रश्न है।
दूसरी तरफ नगर के मोहल्ले, कालोनी, बस्ती में मुक्कड़ पर गंदगी जमा है इसके चलते मच्छर मक्खी के फैलने का खतरा भी लगातार बढ़ते जा रहा है। लिहाजा आम जनता हलाकान परेशान है।


