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'कुंभ में धरती के खिलाफ किए पापों को धोएं'

कुंभ धरती मां के खिलाफ सिंगल-यूज (एक बार इस्तेमाल किए जाने वाले) प्लास्टिक से कचरा फैलाकर किए गए पापों को भी धोने का एक अनूठा अवसर प्रस्तुत करता है

कुंभ में धरती के खिलाफ किए पापों को धोएं
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लखनऊ/वाराणसी/कानपुर/प्रयागराज। इसी महीने की 15 तारीख से शुरू होनेवाले अर्धकुंभ के दौरान पवित्र नदियों गंगा और यमुना को प्रदूषकों से सुरक्षित रखने के लिए प्रमुख वैज्ञानिकों और साधुओं ने लोगों को प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन और पुनर्चक्रण (रीसाइकल) के बारे में शिक्षित करने के लिए हाथ मिलाया है। उन्होंने लोगों से धरती के खिलाफ किए पापों को धोने की अपील की है। देश और दुनियाभर के लगभग 15 करोड़ भक्तों के प्रयागराज की पावन भूमि में पधारने की संभावना है और यह गंगा, यमुना और सरस्वती के पवित्र संगम में डुबकी लगाएंगे। ऐसा माना जाता है कि यह पावन डुबकी इंसान के सभी पापों को धोती है और भगवान, मोक्ष व अमरता के साथ उसका जुड़ाव बनाती है।

कुंभ धरती मां के खिलाफ सिंगल-यूज (एक बार इस्तेमाल किए जाने वाले) प्लास्टिक से कचरा फैलाकर किए गए पापों को भी धोने का एक अनूठा अवसर प्रस्तुत करता है। सिंगल-यूज प्लास्टिक के प्रत्येक सामान का उचित ढंग से निस्तारण नहीं होता और न ही यह पुनर्चक्रित (रीसाइकल) होता है और यह धरती मां के खिलाफ किए जा रहे पाप के समान ही है।

परमार्थ निकेतन (ऋषिकेश) के अध्यक्ष और ग्लोबल इंटरफेथ वाश एलाएंस के सह-संस्थापक स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि अर्धकुंभ मानवता का एक सबसे बड़ा जमघट है, जहां समूचे विश्व से ऋषि-मुनि, तीर्थयात्री और पर्यटक संगम में डुबकी लगाने के लिए आते हैं।

उन्होंने कहा, "भारत की एक प्रमुख धार्मिक-आध्यात्मिक संस्थान होने के नाते यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम पवित्र नदियों गंगा, यमुना को प्रदूषण, खासतौर से एक बार इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक पदार्थो से बचाकर भक्तों की धार्मिक मनोभावों की रक्षा करें। हम अर्धकुंभ में आने वाले भक्तों से पॉलीथीन बैग, गुटखा पाउच, डिस्पोजबल कटलरी, स्ट्रॉज आदि जैसे सिंगल यूज प्लास्टिक्स का इस्तेमाल नहीं करने का अनुरोध करते हैं। पानी एवं जूस की बोतलों जैसे अन्य प्लास्टिक्स को पुनर्चक्रित किया जा सकता है, इसलिए उपयोग के बाद इनका जिम्मेदारीपूर्वक निस्तारण करना चाहिए।"


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