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वार्ड ब्वाय की नौकरी दिलाने 3 युवकों से 4 लाख की ठगी

छात्रावास अधीक्षक बनाने के नाम पर 80 हजार रूपये की ठगी तथा एक अन्य घटना में वार्ड ब्वाय की नौकरी लगाने के लिये धोखाधडी का मामला समाने आया है....

रायगढ़ । छात्रावास अधीक्षक बनाने के नाम पर 80 हजार रूपये की ठगी तथा एक अन्य घटना में वार्ड ब्वाय की नौकरी लगाने के लिये धोखाधडी का मामला समाने आया है। पुलिस ने दोनों मामलों में एफआईआर दर्ज कर ली है।
मिली जानकारी के मुताबिक थाना सारंगढ़ अन्तर्गत ग्राम भदरा (पासिद) निवासी संतोष कुमार यादव पिता हेतराम यादव उम्र 37 वर्ष द्वारा छात्रावास अधीक्षक की नौकरी लगाने के नाम पर रामेश्वर चौहान पिता कतलू चौहान निवासी ग्राम मरारपारा सोनियाडीह तहसील बिलाईगढ़ जिला बलौदा बाजार (छ.ग.) द्वारा 80 हजार रूपये लेकर धोखाधड़ी किये जाने संबंधी शिकायत पत्र वरिष्ठ कार्यालय को प्रेषित किया गया था, उक्त शिकायत पत्र जांच के लिये थाना प्रभारी चक्रधरनगर को प्राप्त होने पर जांच उपरांत रामेश्वर चौहान के विरूद्ध धारा 420 भादंवि का अपराध कल 22 अपै्रल को दर्ज किया गया है। जानकारी के अनुसार वर्ष 2016 में शिकायतकर्ता संतोष कुमार यादव का लोरमी जिला मुंगेली में कार्यरत शिक्षाकर्मी रामेश्वर चौहान से परिचित हुआ जिसने संतोष कुमार यादव को छात्रावास अधीक्षक भर्ती में भर्ती करवा दूंगा बोला जिसमे 80,000 रूपये लगने की बात रामेश्वर चौहान बताया, संतोष यादव रामेश्वर की बातों में आकर 01 जून 2016 को रायगढ़ कलेक्टोरेट परिसर के पास 80,000 रुपये रामेश्वर चौहान को दिया । इसके बाद रामेश्वर ने संतोष यादव से मेडिकल सर्टिफिकेट मांगा और एक रजिस्टर दिया और उसमें 161 अधीक्षकों के नाम थे, और संतोष को बताया कि आप परिवेक्षक हैं आपकी डयूटी अधीक्षकों की हाजरी भरना है ।

रामेश्वर चौहान के बताये अनुसार संतोष यादव डयूटी कर रहा था, एक दिन रामेश्वर चौहान आकर संतोष यादव को कहने लगा कि आपका पेंमट रायपुर से नहीं हो रहा है, मेडिकल रायपुर दुबारा भेजवा दो, तब संतोष यादव को किसी प्रकार कि नियुक्ति नहीं होने की शंका हुई और उसने अपने दिये 80,000 रूपये रामेश्वर चौहान से वापस मांगा, जिसे रामेश्वर चौहान वापस नहीं किया, जिससे संतोष चौहान ने नोटरीसुदा शपथ पत्र/शिकायत वरिष्ठ कार्यालयों को प्रेषित किया गया है, शिकायत पत्र की जांच उपरांत रामेश्वर चौहान के विरूद्ध धारा 420 भादंवि दर्ज कर विवेचना में लिया गया। इसी तरह की दूसरी घटना में ग्राम सूती बगबुड़वा थाना खरसिया निवासी मनहरण सिदार पिता हरिराम सिदार उम्र 28 वर्ष, मनमोहन सिंह एवं दिपेश सिंह निवासी ग्राम सिवनी जिला जांजगीर-चाम्पा द्वारा इंद्र कुमार सिदार ग्राम बृजराजनगर जिला झारसुगुडा (ओडिसा) एवं लखेश्वर सिदार ग्राम बायंग थाना कोतरा रोड़ जिला रायगढ़ के विरूद्ध स्वस्थ्य विभाग रायगढ में वार्ड ब्वाय के पद पर नौकरी लगाने के नाम पर तीनों से चार लाख रूपये की ठगी करने के संबंधी शिकायत पत्र की जांच पर से कल 22 अपै्रल को थाना प्रभारी खरसिया द्वारा अनावेदकों के विरूद्ध धारा 420,34 भा.दं.वि. पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया है।

बताया जाता है कि अनावेदक इंन्द्रकुमार संवरा के पिता तथा शिकायतकर्ता मनहरण सिंह के पिता एसईसीएल में नौकरी करते थे, जिस कारण इन्द्र कुमार से मनहरण सिंह से जान पहचान था । माह जनवरी 2016 में इन्द्रकुमार मनहरण सिंह को बताया कि मेरा जीजा लखेश्वर निवासी बायंग रायगढ मेरी नौकरी स्वास्थ्य विभाग में रायगढ में लगवा दिया है, तुम्हें भी अगर नौकरी करना है तो खर्चा लगेगा । मैं अपने जीजा को बोलकर करवा दूंगा तब मनहरण सिंह अपने घर में चर्चा किया और 15 जनवरी को इन्द्रकुमार तथा उसका जीजा लखेश्वर से मिला लखेश्वर सिदार ने एक लाख पचास हजार रूपये लगेगा बताया तब मनहरण सिंह एक लाख बीस हजार रूपये दे पाउंगा बोला ।

लखेश्वर सिदार ने मनहरण सिंह को बोला कि और कोई कंडीडेट होगा तो उसे भी मिलवाना तब मनहरण अपने साला मनमोहन एवं दिपेश सिदार निवासी ग्राम सिवनी चांपा को मिलवाया और उनसे भी यही बातें तय हुई और मनमोहन ने 01 लाख 30 हजार रूपये तथा दिपेश ने 01 लाख 50 हजार रूपये नगद तथा 12वीं कक्षा की मार्कशीट की फोटो कापी व फोटो लखेश्वर सिदार को दिया, लखेश्वर ने इंतजार करो एक दो माह के अंदर आदेश निकल जायेगा बोला और माह मार्च 2016 में लखेश्वर अपने किराये मकान टी.वी.टावर चक्रधरनगर रायगढ में बुलाकर इन लोगों को कार्यालय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जिला रायगढ (छ.ग.) का आदेश नौकरी वार्ड ब्वाय नियुक्ति के संबंध में दिया ।

उस आदेश को लेकर ये सभी कार्यालय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जिला रायगढ के कार्यालय में गये तथा सीएमओ से मिले तथा आदेश को दिखाये तब सीएमओ बताये कि यहां से वार्ड ब्वाय की नियुक्ति का कोई आदेश नहीं निकला है । तब इन्हें अपने साथ धोखाधड़ी होने की जानकारी हुई और शिकायत वरिष्ठ कार्यालय को दिया गया, जिसकी जांच पर अनावेदकों के विरूद्ध उपरोक्त अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।


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