ईरान में तख्तापलट के लिए छेड़ा गया युद्ध
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कनाडा में जी-7 शिखर सम्मेलन को बीच में ही छोड़कर जब वाशिंगटन के लिए रवाना हो गए थे

- सर्वमित्रा सुरजन
रजा पहलवी ईरान के आखिरी शाह मोहम्मद रजा पहलवी के सबसे बड़े बेटे हैं। शाह मोहम्मद रजा पहलवी के शासन को 1979 की इस्लामी क्रांति के दौरान उखाड़ फेंका गया था। पहलवी खानदान ने तब ईरान छोड़ दिया था और सत्ता अयातुल्लाह रुहोल्लाह ख़ुमैनी के हाथों में आ गई थी, जिन्होंने ईरान में इस्लामी गणराज्य की स्थापना की थी। सत्ता संभालने से पहले खुमैनी पेरिस में थे।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कनाडा में जी-7 शिखर सम्मेलन को बीच में ही छोड़कर जब वाशिंगटन के लिए रवाना हो गए थे, तभी से कयास लग रहे थे कि क्या अब अमेरिका इस जंग में सीधे उतरेगा। अमेरिका ने अब तक ईरान से सीधी लड़ाई का ऐलान तो नहीं किया है, लेकिन इजराइल-ईरान युद्ध के बीच ट्रंप ने ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई को लेकर अब तक का सबसे बड़ा बयान दिया है, जो किसी लड़ाई से कम नहीं है। ट्रंप ने खामेनेई का नाम लिए बगैर सोशल मीडिया पर 'सुप्रीम लीडर' लिखते हुए पोस्ट किया है। ट्रंप ने कहा है कि हम अच्छी तरह से जानते हैं कि तथाकथित 'सुप्रीम लीडर' कहां छिपे हैं. वह एक आसान निशाना हैं लेकिन वहां सुरक्षित हैं. हम उन्हें मारेंगे नहीं, कम से कम अभी तो नहीं. मगर, हम नहीं चाहते कि मिसाइलें नागरिकों या अमेरिकी सैनिकों पर दागी जाएं. हमारा धैर्य खत्म होता जा रहा है।
इसके बाद एक दूसरी पोस्ट में ट्रंप ने अनकंडीशनल सरेंडर लिखा, यानी ट्रंप ने ईरान से बिना शर्त सरेंडर करने के लिए कहा है। इधर डोनाल्ड ट्रंप आयतुल्लाह खामेनेई को अभी नहीं मारने की बात कह रहे हैं, उधर ईरान पर हमला बोलने वाले इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू कह रहे हैं कि ख़ामेनेई की मौत 'संघर्ष को बढ़ाने के बजाय, उसे ख़त्म करने का काम करेगी।'
अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट्स से यह अनुमान लग रहा है कि इजरायल का बस चले तो वह आज खामनेई को मार दे, लेकिन अमेरिका ने अभी इस पर वीटो लगा रखा है, यानी अमेरिका की मंजूरी मिलने के बाद ही इजरायल यह बड़ा कदम उठाएगा। इस बीच बेंजामिन नेतन्याहू और ईरान के निर्वासित क्राउन प्रिंस रजा पहलवी के बयानों से जाहिर हो रहा है कि इजरायल ने ईरान पर परमाणु हथियार बनाने से रोकने के नाम पर जो हमला बोला है, वह असल में एक मुखौटा है। इसके पीछे असली वजह शायद ईरान में फिर से शाह के शासन को बहाल करना है।
कहा जा रहा है कि इजराइल और अमेरिका के समर्थन से रजा पहलवी के लिए ईरानी गद्दी संभालने के लिए तैयारी शुरू हो गई है। रजा पहलवी ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में ऐलान किया कि ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई 'अंडरग्राउंड होकर छिप गए हैं' और 'इस्लामिक गणराज्य ध्वस्त होने की प्रक्रिया में है।' उन्होंने अयातुल्ला अली खामेनेई की तुलना चूहे से कर डाली। रजा पहलवी ने तेहरान में शासन परिवर्तन का आह्वान करते हुए कहा कि इस्लामिक गणराज्य ढह रहा है और ईरानी लोगों के लिए ईरान को फिर से हासिल करने का समय आ गया है। उन्होंने इसे एक अपरिवर्तनीय क्षण बताया। उन्होंने लिखा, 'इस्लामी गणराज्य का अंत ईरानी राष्ट्र के खिलाफ उसके 46 साल के युद्ध का अंत है। अब उठने का समय है।' ईरानी क्राउन प्रिंस ने लोगों को संबोधित करते हुए एक वीडियो भी पोस्ट किया है, जिसमें उन्होंने इसे ईरानी लोगों के लिए ऐतिहासिक मोड़ बताया। और कहा कि भविष्य उज्ज्वल है और साथ मिलकर हम इतिहास के इस तीखे मोड़ से गुजरेंगे।
गौरतलब है कि पहलवी पहले भी खामेनेई के शासन को उखाड़ फेंकने का आह्वान कर चुके हैं। निर्वासित क्राउन प्रिंस अब ईरान के लोगों को ये भी बता रहे हैं कि उनके पास देश के भविष्य के लिए योजना है। उन्होंने कहा, ईरान गृहयुद्ध या अस्थिरता में नहीं उतरेगा। मौजूदा शासन की हार के बाद पहले 100 दिनों के संक्रमण काल के लिए ईरानी लोगों द्वारा और ईरानी लोगों के लिए एक राष्ट्रीय और लोकतांत्रिक सरकार की स्थापना के लिए हम तैयार हैं, ऐसा दावा पहलवी ने किया है। उन्होंने सेना, पुलिस और ईरानी कर्मचारियों को भी संदेश दिया और खामेनेई के शासन से अलग हो जाने को कहा।
रजा पहलवी ईरान के आखिरी शाह मोहम्मद रजा पहलवी के सबसे बड़े बेटे हैं। शाह मोहम्मद रजा पहलवी के शासन को 1979 की इस्लामी क्रांति के दौरान उखाड़ फेंका गया था। पहलवी खानदान ने तब ईरान छोड़ दिया था और सत्ता अयातुल्लाह रुहोल्लाह ख़ुमैनी के हाथों में आ गई थी, जिन्होंने ईरान में इस्लामी गणराज्य की स्थापना की थी। सत्ता संभालने से पहले खुमैनी पेरिस में थे, क्योंकि अमेरिका से नज़दीकी संबंधों का विरोध करने के चलते शाह ने उन्हें देश से निष्कासित कर दिया था। लेकिन जब शाह मोहम्मद रजा पहलवी को ईरान छोड़ना पड़ा तो फिर इस्लामी गणराज्य की स्थापना हो गई और शासन की बागडोर मौलवियों के हाथ में आई। इन्हीं मौलवियों में एक नाम अली ख़ामेनेई का भी है, जो बहुत कम समय में ख़ुमैनी के सबसे क़रीबी सहयोगियों में शामिल हो गए थे।
यह समझना जरूरी है कि खुमैनी के बाद आयतुल्लाह अली ख़ामेनेई आखिर इतने महत्वपूर्ण क्यों हो गए कि इजरायल और अमेरिका दोनों उनकी जान के पीछे पड़े हैं। खामनेई उस दौर में बड़े हो रहे थे, जब ईरान में पहलवी शासन था और अपनी धर्मनिरपेक्ष सोच की वजह से शाह धार्मिक व्यक्तियों को तरजीह नहीं देते थे। खामनेई 11 बरस की छोटी उम्र में ही मौलवी बन गए थे और फिर जल्द ही ख़ुमैनी के समर्थन में काम करना शुरू कर दिया। ईरान में इस्लामी शासन स्थापित करने वाले संदेश देश के भीतर फैलाने के प्रयास में खामनेई को छह बार गिरफ़्तार भी किया गया। उन पर दो बार जानलेवा हमले भी हुए।
जब खुमैनी के हाथ में सत्ता आई तो ख़ामेनेई को देश का उप-रक्षा मंत्री नियुक्त किया गया. इस दौरान उन्होंने इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कोर (आईआरजीसी) को संगठित करने में अहम भूमिका निभाई, जो इस समय ईरान की सबसे शक्तिशाली संस्थाओं में से एक है। 1989 में जब खुमैनी की मौत हुई तो ख़ामेनेई को ईरान का अगला सुप्रीम लीडर नियुक्त किया गया। अब इसी सुप्रीम लीडर को इजरायल ने अपने निशाने पर रखा है। एक तरफ रजा पहलवी ने ईरान की जनता को संदेश दे दिया है कि जल्द ही खामनेई की सत्ता का अंत होगा, तो दूसरी तरफ बेंजामिन नेतन्याहू ने भी ईरानी अवाम को अंग्रेजी में सीधे संबोधित किया और ईरानियों से अपील की कि अब समय आ गया है, जब वे 'शैतानी और दमनकारी शासन' के $िखलाफ़ उठ खड़े हों। नेतन्याहू ने कहा, 'इसराइली सैन्य अभियान आपके लिए आज़ादी हासिल करने का रास्ता साफ़ कर रहा है।'
ये पूरा घटनाक्रम बता रहा है कि ख़ामेनेई को किसी भी तरह रास्ते से हटाना इजरायल और अमेरिका का मिशन है, हालांकि खामनेई अब भी खुलकर इजरायल के अस्तित्व को मिटाने की बात करते रहे हैं। वो लंबे समय से इजरायल को पश्चिम एशियाई क्षेत्र का एक ऐसा 'कैंसरग्रस्त ट्यूमर' बताते रहे हैं, जिसे उखाड़ फेंकना ज़रूरी है और उनके मुताबिक़ ये होकर रहेगा।
इधर इजरायल में अब नेतन्याहू के इस कदम के खिलाफ आवाज उठने लगी है। ईरान की रेडियो सेवा पार्स टुडे के मुताबिक इज़रायली सुरक्षा एवं सैन्य विशेषज्ञ योसी मेलमैन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक संदेश में इजरायली शासन के नेताओं को सलाह दी कि तेहरान से युद्धविराम की भीख मांगने से पहले इस पागलपन को रोकें। मेलमैन ने कहा शिया ऐतिहासिक रूप से पीड़ा सहन करने के लिए तैयार रहते हैं। मैंने उनकी बलिदान की इच्छा को याद किया, जैसा कि इराक के साथ आठ साल के युद्ध में देखा गया था। मेरी सलाह है कि हम नुकसान को कम से कम करें और इस पागलपन को रोकने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति 'डोनाल्ड ट्रम्प' के माध्यम से एक उचित समझौते का सहारा लें- नहीं तो हमें युद्धविराम के लिए गिड़गिड़ाना पड़ेगा और ईरान मना कर देगा।'
वहीं इजरायल के अख़बार हाआरेत्ज़ ने ईरानी मिसाइलों के सामने अपनी वायु रक्षा प्रणालियों की विफलता को स्वीकार किया और नेतन्याहू सरकार से तुरंत अपनी सैन्य दादागिरी और युद्ध भड़काने की कार्रवाई को समाप्त करने का आग्रह किया। हाआरेत्ज़ ने लिखा: 'इज़रायल की वायु रक्षा प्रणालियां ईरान के उन्नत मिसाइलों का मुकाबला करने में विफल रही हैं। इज़रायली सेना और सरकार के कमांडरों को सबक लेना चाहिए और बेहद कठिन और अवांछित घटनाक्रम से बचने के लिए युद्ध को रोकना चाहिए। इस पूरे घटनाक्रम से यही समझ आ रहा है कि इजरायल और अमेरिका परमाणु हथियारों को केवल बहाना बना रहे हैं और किसी भी तरह ईरान में सत्ता पलटने की तैयारी में हैं। ठीक वैसे ही जैसे ईराक में सद्दाम हुसैन को मारकर तख्तापलट किया गया था। हालांकि इस बार अमेरिका के लिए यह खेल आसान नहीं होगा।


