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गिद्ध सर्वेक्षण : तमिलनाडु वन विभाग ने केरल व कर्नाटक से मांगा सहयोग

तमिलनाडु के वन विभाग ने मार्च में होने वाले गिद्ध सर्वेक्षण के लिए केरल और कर्नाटक के वन विभागों से सहयोग मांगा है।

गिद्ध सर्वेक्षण : तमिलनाडु वन विभाग ने केरल व कर्नाटक से मांगा सहयोग
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चेन्नई, 1 फरवरी: तमिलनाडु के वन विभाग ने मार्च में होने वाले गिद्ध सर्वेक्षण के लिए केरल और कर्नाटक के वन विभागों से सहयोग मांगा है। तमिलनाडु के वन विभाग ने नीलगिरी में मधुमलाई टाइगर रिजर्व (एमटीआर) में गिद्धों की कुछ संख्या पाए जाने के बाद एक सर्वेक्षण की योजना बनाई है, जो केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु में फैले वन क्षेत्रों का एक हिस्सा है। गिद्धों के साथ, एक ही समय में और एक ही पद्धति का उपयोग कर तीनों राज्यों में सर्वेक्षण किया जाना है।

तमिलनाडु के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन के. श्रीनिवास राव ने पहले ही कर्नाटक और केरल दोनों के वन्यजीव वार्डन को एक पत्र लिखा है। मीडियाकर्मियों से बात करते हुए तमिलनाडु के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन ने कहा कि उन्होंने सर्वेक्षण में गिद्ध संरक्षणवादियों को शामिल करने के लिए दोनों राज्यों के वन्यजीव वार्डन को व्यक्तिगत रूप से सूचित किया था।

तमिलनाडु का पशुपालन विभाग भी इन पक्षियों के संरक्षण के लिए राज्य के वन विभाग से हाथ मिला रहा है। चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन ने कहा कि विभाग पशुपालकों में पशुओं पर दर्द निवारक दवाओं के उपयोग को विनियमित करने के लिए जागरूकता पैदा कर रहा है। गौरतलब है कि मवेशियों का शव गिद्धों का मुख्य चारा होता है।

वन विभाग ने गिद्धों के अध्ययन और संरक्षण से जुड़े एनजीओ अरुलगाम की सेवाओं का इस्तेमाल किया है। वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी भी तमिलनाडु के वन विभाग के साथ मिलकर मवेशियों के बीच दर्द निवारक दवाओं के उपयोग को कम करने के लिए किसानों के बीच जागरूकता पैदा कर रहे हैं क्योंकि यह गिद्धों के अस्तित्व के लिए खतरनाक है।

किसानों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए प्रत्येक राज्य में 20 हॉटस्पॉट गांवों का चयन किया गया है।


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