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फ्रांस में वोटिंग, माक्रों पर भारी पड़ेगा उनका जुआ?

फ्रांस में मध्यावधि संसदीय चुनावों के लिए वोट डाले जा रहे हैं. हाल में यूरोपीय संसद के चुनावों में करारी हार मिलने के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने देश की नई संसद चुनने के लिए आम चुनाव कराने का फैसला किया.

फ्रांस में वोटिंग, माक्रों पर भारी पड़ेगा उनका जुआ?
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फ्रांस में मध्यावधि संसदीय चुनावों के लिए वोट डाले जा रहे हैं. हाल में यूरोपीय संसद के चुनावों में करारी हार मिलने के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने देश की नई संसद चुनने के लिए आम चुनाव कराने का फैसला किया.

फ्रांस में करीब 4.9 करोड़ लोग अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकते हैं. स्थानीय समय के अनुसार मतदान सुबह आठ बजे शुरू हुआ. इन चुनावों को राष्ट्रपति माक्रों के लिए बड़ी परीक्षा माना जा रहा है. चुनावी सर्वे बताते हैं कि धुर दक्षिणपंथी पार्टी नेशनल रैली को संसद में बहुतम हासिल हो सकता है.

अगर ऐसा होता है तो यह नाजी दौर के बाद पहला मौका होगा जब फ्रांस में धुर दक्षिणपंथियों का दबदबा होगा. चुनावी सर्वेक्षणों में माक्रों की रेनेसां पार्टी के नेतृत्व वाले ओंसोम्बल गठबंधन को तीसरे स्थान पर बताया जा रहा है. दूसरा स्थान कंजरवेटिव रिपब्लिकनों को दिया गया है.

यूरोपीय संसद के चुनावों में धुर दक्षिणपंथियों की बढ़ी ताकत के बाद फ्रांस में चुनाव

जून के शुरु में हुए यूरोपीय संसद के चुनावों में मांक्रों की पार्टी को नेशनल रैली के हाथों को करारी हार का सामना करना पड़ा. फिलहाल 577 सदस्यों वाली संसद में 169 सीटों के साथ रेनेसां सबसे बड़ी पार्टी है. वहीं 88 सीटों के साथ नेशनल रैली सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है. विश्लेषक का कहना है कि नेशनल रैली को फायदा तो होगा, लेकिन यह अभी साफ नहीं है कि उसे बहुमत के लिए जरूरी 289 सीटें मिल पाएंगी या नहीं.

क्या है फ्रांस का चुनाव सिस्टम

फ्रांस में उम्मीदवारों को जीतने के लिए पहले चरण के मतदान में 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट हासिल करने होते हैं. लेकिन शायद ही कभी ऐसा होता है. इसलिए दूसरे दौर का मतदान कराया जाता है, जो 7 जुलाई को होगा. जिन उम्मीदवारों को पहले चरण में कुल रजिस्टर्ड वोटों में से कम से कम 12.5 प्रतिशत वोट मिलते हैं, वो दूसरे चरण में हिस्सा लेते हैं. फिर उनमें सबसे ज्यादा वोट हासिल करने वाला उम्मीदवार जीतता है.

इस चुनाव से राष्ट्रपति पद का फैसला नहीं होगा. मौजूदा राष्ट्रपति माक्रों का कार्यकाल 2027 तक है और उन्होंने निर्धारित समय से पहले पद ना छोड़ने की बात कही है, भले ही उन्हें ऐसे प्रधानमंत्री के साथ काम करना पड़े, जिससे उनकी राय ना मिलती हो.

माक्रों को संसद के निचले सदन यानी नेशनल एसेंबली में बहुमत रखने वाले समूह से प्रधानमंत्री चुनना होगा. अगर संसदीय चुनावों में धुर दक्षिणपंथियों या वामपंथियों को जीत मिलती है तो माक्रों के सामने "कोहैबिशन" वाली स्थिति होगी. यह वह स्थिति होती है जब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का संबंध अलग-अलग राजनीतिक समूहों से होता है और इस तरह कार्यकारी शक्तियां विभाजित हो जाती हैं. इसीलिए जब पिछले दिनों माक्रों ने संसदीय चुनाव कराने की घोषणा की, कई राजनीति विश्लेषकों ने इसे 'सियासी जुआ' बताया.

संसदीय चुनाव के नतीजे रविवार देर रात तक आने की उम्मीद है. शुरुआती रुझान रात आठ बजे आने लगेंगे. यही मतदान खत्म होने का निर्धारित समय भी है.


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