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सूखे तथा गीले कूड़े को अलग करने की प्रक्रिया से लोगों को अवगत कराएंगे परिषद् के स्वयंसेवी 

राष्ट्रीय राजधानी को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए जहां कूड़े-कचरे के ढेर लैंडफिल साइट्स पर पहुंचाने जरूरी है वहीं, कचरे के निपटान के लिए इसका पृथक्कीकरण किया जाना अनिवार्य है

सूखे तथा गीले कूड़े को अलग करने की प्रक्रिया से लोगों को अवगत कराएंगे परिषद् के स्वयंसेवी 
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-घर-घर जाकर बताएंगे कूडा अलग करने के फायदे
-पहले चरण में नई दिल्ली क्षेत्र के 50,000 परिवारों को किया गया शामिल
-एनडीएमसी अध्यक्ष ने कर्मचारियों को स्वच्छता शपथ दिलाई

नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए जहां कूड़े-कचरे के ढेर लैंडफिल साइट्स पर पहुंचाने जरूरी है वहीं, कचरे के निपटान के लिए इसका पृथक्कीकरण किया जाना अनिवार्य है। लिहाजा नई दिल्ली नगरपालिका परिषद् (एनडीएमसी) ने इलाके के लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने और प्रेरित करने की योजना बनाई है। इसके तहत परिषद् के स्वयंसेवी घर-घर जाकर लोगों को सूखे तथा गीले कूड़े को अलग-अलग करने की प्रक्रिया से अवगत कराएंगे और कूड़ा अलग करने के फायदे भी बताएंगे। साथ ही ऐसा करने के लिए लोगों को प्रोत्साहित भी करेगें।

योजना के पहले चरण में नई दिल्ली क्षेत्र के 50,000 परिवारों को शामिल किया गया है। उक्त जानकारी परिषद् के अध्यक्ष नरेश कुमार ने शुक्रवार को दी।
उन्होंने कहा कि स्रोत स्थल पर ही गीले और सूखे कूड़े को अलग-अलग करने से समय, उर्जा और धन की बचत होगी। जबकि, ऐसा नहीं करने के चलते बाद में इस कूड़े को अलग करना संभव नही होगा।

इस दौरान उन्होंने परिषद् के लगभग 10 हजार से अधिक कर्मचारियों को मुख्यालय भवन में आयोजित कार्यक्रम में स्वच्छता की शपथ भी दिलाई। अध्यक्ष के मुताबिक इस जागरूकता अभियान में आवासीय कल्याण समितियों, मार्किट एसोसिएशनों, मालियों और बेलदारों के साथ अधिकारियों को भी शामिल किया गया है जो स्वयंसेवी स्वच्छता दूत के रूप में कार्य करेंगे।
उन्होंने कहा कि स्रोत स्थल से ही गीले कूड़े को अलग-अलग करने के संदेश को प्रत्येक कर्मचारी अपने सभी ईष्ट मित्रों तक पहुचाएं ताकि स्वच्छता अभियान को जन-आन्दोलन बनाया जा सके।

इसके साथ ही उन्होंने बताया कि स्वस्थ वातावरण और स्वच्छता के महत्व को रेखांकित करते हुए परिषद् ने एक स्वच्छता अभियान चालू किया है। ताकि स्वच्छता के प्रति जनमानस के व्यवहार तथा दैनिक जीवन में बदलाव लाया जा सके। उन्होंने बताया कि रविंद्र नगर, काका नगर, गोल्फ लिकं, जोर बाग तथा चाणक्यपुरी इलाके को विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून, 2017 तक ऐसे क्षेत्र के रूप में विकसित कर दिया जाएगा जहां स्रोत स्थल पर ही सूखे और गीले कूडे को अलग-अलग कर लिया जाये।

परिषद् की सचिव चंचल यादव ने कहा कि स्वास्थ्य की दृष्टि से भी कूडे का पृथक्करण जरूरी है क्योंकि गीले कूड़े से बनी जैविक खाद मृदा के अनुकूल होती है और रासायनिक खादों की तुलना में स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी नहीं होती है।

परिषद् का उद्यान विभाग, कम्पोस्ट प्लांट के जरिये हरित कचरे से खाद बना रहा है, जबकि कई स्वयंसेवी संगठन पुनर्चक्रित या दुबारा प्रयोग में लाये जा सकने वाले पदार्थो को कूड़े-कचरे से अलग करके ओखला स्थित कचरे से उर्जा बनाने वाले संयंत्र पर भेज रहे हैं, जहां कूड़े - करकट से निकलने वाली अजैविक वस्तुओं से विद्युत उर्जा बनाई जाती है। इस संयंत्र में एनडीएमसी इलाके में उत्पन्न होने वाले कूडे-कचरे का 100 प्रतिशत निपटारा हो जाता है।

गौरतलब है कि केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय द्वारा अधिसूचित निगम ठोस कचरा नियम (एमएसडब्ल्यू रूल) 2016 के तहत कचरे का पृथक्कीकरण किया जाना अनिवार्य है, जो इस साल की 8 अप्रैल से पूरी दिल्ली में लागू हो गए हैं।


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