Top
Begin typing your search above and press return to search.

हक की आवाज

हैरान परेशान मां बाप समझ ही नहीं पा रहे थे कि नमिता ने यह क्या रट लगा रखी है कि उसे दहेज चाहिए . वह बिना दहेज लिए शादी नहीं करेगी

हक की आवाज
X

- सुधा गोयल

हैरान परेशान मां बाप समझ ही नहीं पा रहे थे कि नमिता ने यह क्या रट लगा रखी है कि उसे दहेज चाहिए . वह बिना दहेज लिए शादी नहीं करेगी. यह बात वह सबके सामने कह चुकी है.जबकि वेदागं पढा लिखा इन्जीनियर एक लाख महीना कमाने वाला है.सारी सुख सुविधाएं हैं. आदर्शवादी है.बिना दहेज के शादी चाहता है.

बिना दहेज की शादी के नाम पर माता पिता आसमान पर चढ गये,लेकिन नमिता की बात से आसमान से गिरकर खजूर मे अटक गये. उनकी स्थिति ऐसी हो गई कि न उगलते बन रहा था न सटकते.

नमिता न कुछ सुनने को तैयार न बताने को.आखिर क्या करें? एकाएक उन्हें याद आया कि श्वेता को बुला ले .वह नमिता की बुआ कम दोस्त ज्यादा है.वही पता कर बताएगी कि नमिता के मन मे क्या चल रहा है.

सुनते ही श्वेता दौड़ी चली आई. आते ही एक मीठी सी फटकार नमिता को लगाई.
'सब कुछ सही सही बता. क्या हुआ है तेरे साथ?'

'कुछ नहीं हुआ बुआ.बस अपना वही हक तो मांग रही हूं जो दहेज के नाम पर मेरा तन मन काट कर इक_ा किया गया है.'
'क्या मतलब?'

'मतलब आप खूब समझती हैं बुआ.आपका लालन पालन भी मेरी जैसी स्थिति मे हुआ.आप जानबूझकर अनजान बनी रहीं. मै अनजान नहीं हूं. मैने हक की आवाज लगा दी.'
'तू पहेलियाँ क्यों बुझा रही है?साफ साफ बता न.बात क्या है?कैसा हक,कैसी आवाज?' हैरान होने की.बारी श्वेता की थी.
'बुआ मुझे जबसे समझ आई है ,हमेशा यही सुनती आई कि लड़कियाँ पराया धन और पराई अमानत होती हैं.'
'यह तो सभी कहते हैं .इसमें इतना बिगड़ने की क्या बात है? श्वेता ने घूरा.

'बेटियां पराई हैं तो इन्हें अपने घर मे रखकर इस प्रकार क्यों सींचा जाता है कि हर वक्त पराएपन की बू आती रहती है? इन्हें जन्म ही क्यों दिया जाता है?ऐसे उठो,ऐसे बैठो,ऐसे पहनो,ऐसे बोलो,ऐसे पढो,कल पराए घर जाना है.लोग क्या कहेंगे, मां बाप ने क्या. संस्कार दिए? घर की हर बात मे पराएपन की बे आती है. उस मिं के व्यवहार मे भी जिसने कोख मे रखकर नौ महीने सींचा.सुनते सुनते कान पक गये हैं.'
..श्वेता चुपचाप सुनती. रही.

लालन पालन मे भी पराया पन,बेटा और बेटी मे फर्क.बेटे पर खर्च करें गे तो मयसूद वसूल करेंगे और लड़की पर खर्च करेगें तो सब पराए घर चला जाएगा. इससे तो लड़की पर जितना कम खर्च किया जाए उतना ही अच्छा. है.आखिर दहेज भी तो इक_ा करना है

पढाई मे भी वही दोगलापन.बेटा पढेगा,उच्च शिक्षा लेगा,पढने अमेरिका जाएगा. खुशी खुशी सारा खर्चा और बेटी के नाम पर आर्ट विषय लेकर बी.ए. या एम.ए.अथवा बी।एड.व्यर्थ क्यों पैसा खर्च किया जाए. हमें इससे क्या लाभ होगा?बेटा बुढापे का सहारा बनेगा.

बेटे के एक इशारे पर अच्छे से अच्छे ट्यूटंर ,बाइक, मोबाइल ,पाकेट मनी। ये सब क्या. है बुइ? लड़की ही हर वक्त निशाने पर क्यों रहती है? मै तो केवल अपना वही हक.माँग रही हूं जो मैने अपना तन मन काटकर इक_ा किया है.मेरे लिए दहेज नामपर जो जमा किया गया वही सब कुछ.कल ये घर भी मेरा नहीं होगा. सामाजिक प्रतिष्ठा के लिए लड़की की ही बलि क्यों?

श्वेता ने नमिता को गले से लगा लिया-'किसी को तो इस सामाजिक पारिवारिक दोगलेपन के खिलाफ आवाज उठानी थी.तेरी इस पहल मे मै तेरे साथ हूं. तूने मुझे भी सोते से जगा दिया.


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it