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जेल में मुलाकातियों को 10 रूपए में मिल रहा है भरपेट भोजन

भोजन और मंगोड़ी कैदी बनाते हैं और इसके प्रबंधन का काम जेल प्रशासन देखता है।

जेल में मुलाकातियों को 10 रूपए में मिल रहा है भरपेट भोजन
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जगदलपुर। यदि आप दस रूपये में भरपेट भोजन या मंगोड़ी का लुफ्त लेना चाहते हैं, तो निःसंकोच छत्तीसगढ़ के बस्तर के जिला मुख्यालय जगदलपुर के केन्द्रीय जेल का रूख कर सकते हैं। यहां कैदियों द्वारा स्वादिष्ट मंगोड़ी बनायी जाती है।

केन्द्रीय जेल जगदलपुर के मुख्यद्वार के बगल में जेल प्रशासन द्वारा आस्था दाल भात केन्द्र और मंगोड़ी सेंटर संचालित किया जा रहा है। कैदियों से मुलाकात करने वालों के अलावा आम लोगों को भी यहां 10 रूपए में भरपेट भोजन एवं चटनी के साथ मंगोड़ी मिल रही है। अपने सगे-संबंधियों एवं परिचितों से मुलाकात करने के लिए दूर-दूर से केन्द्रीय जेल जगदलपुर आने वाले लोगों को अब भोजन एवं नाश्ते की चिंता नहीं रहती।

जिला एवं जेल प्रशासन के इस अभिनव प्रयास से केन्द्रीय जेल परिसर जगदलपुर में दाल-भात और नाश्ता सेन्टर शुरू किया गया है। भोजन और मंगोड़ी कैदी बनाते हैं और इसके प्रबंधन का काम जेल प्रशासन देखता है।

जेल प्रशासन के प्रवक्ता ने बताया कि कलेक्टर डॉ. अय्याज तम्बोली के निर्देश पर यहां केन्द्रीय जेल में गत 12 जुलाई से मंगाेड़ी सेन्टर एवं 16 सितम्बर से दाल-भात केन्द्र शुरू किया गया है। जेल परिसर में यह व्यवस्था शुरू होने से पहले कैदियों के परिजनों और मुलाकातियों को भोजन और नाश्ता के लिए दूर शहर जाना पड़ता था।

जिला एवं जेल प्रशासन के इस संवेदनशील पहल की कैदियों के परिजनों एवं अन्य लोगों ने भी सराहना की है। जगदलपुर जेल में निरूद्ध अपने पुत्र से मिलने पहुंचे बीजापुर जिले के भैरमगढ़ विकासखण्ड के ग्राम केशकुटूर निवासी सुकारू उरसा ने केन्द्रीय जेल में शुरू किए गए दाल-भात एवं मंगोड़ी सेन्टर की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि जब भी वे जेल में अपने पुत्र से मिलने आते हैं तो यहां के दाल-भात केन्द्र में ही भोजन करते हैं। पहले जेल परिसर से दूर अन्य दुकानों में खाना और नाश्ता में ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ता था। अब दस रूपए में भरपेट भोजन मिल जाता है।

इसी तरह एक अन्य ग्रामीण रोड्डा माड़वी ने भी इस व्यवस्था को शुरू करने के लिए जिला एवं जेल प्रशासन को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि पहले उसे जेल में बंद अपने पुत्र से मुलाकात करने के बाद भोजन एवं नाश्ता के लिए शहर जाना पड़ता था।


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