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विश्व हिन्दू परिषद ने की पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन की मांग

 विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) ने पश्चिम बंगाल में लोगों पर हिंसक हमले एवं अत्याचार के खिलाफ आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से हस्तक्षेप की गुहार लगायी

विश्व हिन्दू परिषद ने की पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन की मांग
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नयी दिल्ली। विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) ने पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं एवं अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों द्वारा बहुसंख्यक समुदाय के लोगों पर हिंसक हमले एवं अत्याचार के खिलाफ आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से हस्तक्षेप की गुहार लगायी।

विहिप के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष एडवोकेट आलोक कुमार ने श्री कोविंद को इस संबंध में एक पत्र सौंपा। पत्र में विहिप नेता ने लिखा कि पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में सुश्री ममता बनर्जी की पार्टी विजयी हुई है। लोकतंत्र में चुनाव के बाद विजयी होने वाली पार्टी अपने प्रदेश की सम्पूर्ण जनता के प्रति जिम्मेवार होती है और अपने प्रदेश में कानून और व्यवस्था बनायें रखने का उसका दायित्व हो जाता है। दुर्भाग्य से पश्चिमी बंगाल में चुनाव परिणाम आने के तुरंत बाद से वहां पर सत्तारूढ़ दल के कार्यकर्ताओं एवं जिहादियों ने जिस प्रकार हिंसा का तांडव चला रखा है, उससे पूरा देश चिंतित है।

श्री कुमार ने चुनाव प्रचार के दौरान सुश्री बनर्जी द्वारा दी गयीं धमकियाें, कि केंद्रीय सुरक्षा बल तो केवल चुनाव तक है और चुनावों के बाद तो उन्होंने ही सब देखना है, का उल्लेख करते हुए कहा कि पश्चिमी बंगाल में अनियंत्रित राज्यव्यापी हिंसा पूर्वनियोजित है और ऐसा लगता है कि पुलिस एवं प्रशासन को कह दिया गया है कि वे इसकी अनदेखी करें। इस प्रकार से पश्चिमी बंगाल के न्यायप्रिय नागरिकों को दंगाइयों के हाथों में सौंप दिया गया है। यह सब मुस्लिम लीग के ‘डायरेक्ट एक्शन’ की याद दिलाता है।

उन्होंने कहा कि इस हिंसा का बड़ा निशाना अनुसूचित जाति और जनजाति के लोग ही बन रहे है। कूचबिहार से सुंदरवन तक घर जलाएं जा रहे, दुकाने लूटी जा रही है और महिलाओं के साथ अभद्र व्यव्हार हो रहा है। भय के वातावरण में राज्य में हिन्दू आबादी को पलायन के लिए मजबूर किया जा रहा है। खुलेआम विपक्ष के कार्यकर्ताओं की हत्या हो रही है। इस हिंसा का एक सुनियोजित जिहादी पक्ष है जिसके दूरगामी परिणाम होंगे।

विहिप नेता ने कहा कि भारत का संविधान राज्य सरकारों को यह दायित्व सौंपता है कि वे अपने राज्य में कानून और व्यवस्था बनाये रखें और अपने राज्य के सब लोगो को कानून का संरक्षण दें। पश्चिम बंगाल की सरकार इसमें विफल हो रही है। यह सब भारतीय संस्कृति और संविधान के सह-अस्तित्व के मूल्यों और कानून के शासन का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि सुश्री बनर्जी के पिछले दो शासनकाल में भी वहां का हिंदू समाज त्रस्त रहा है, लेकिन इस बार शासन काल का प्रारंभ जिस ढंग से हुआ है उससे पूरा देश यह समझ रहा है कि अगर इसी समय बंगाल के प्रशासन को नियंत्रित नहीं किया गया तो हो सकता है कुछ स्थानों पर हिंदू समाज आत्मरक्षा के लिए स्वयं कुछ उपाय करने पर मजबूर हो जाए। दोनों ही स्थितियां पूरे देश के लिए चिंता का विषय हैं।

श्री कुमार ने कहा कि यह आवश्यक है कि राज्य में हिंसा को तत्काल रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएँ और कानून का शासन दोबारा स्थापित हो, दंगाइयों की त्वरित पहचान हो और जल्दी जांच पूरी करके फ़ास्ट ट्रैक न्यायालयों में उनको दंड मिले, दंगा पीड़ितों के पुनर्वास की व्यवस्था की जाए और उनको हुए नुक्सान की शासन भरपाई करे। उन्होंने राष्ट्रपति से अनुरोध किया कि वे अपने संविधानप्रदत्त अधिकारों का उपयोग करते हुए इस विषय में यथायोग्य कार्रवाई करने के आदेश दें।


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