Top
Begin typing your search above and press return to search.

हिंसा से किसी भी मुद्दे का समाधान नहीं होगा : उमर अब्दुल्ला

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा कि अब विधानसभा चुनाव प्रक्रिया में शामिल होने और लोकतंत्र में भरोसा दिखाने वाले कुछ अलगाववादी नेताओं का फैसला उनके लिए सफलता है

हिंसा से किसी भी मुद्दे का समाधान नहीं होगा : उमर अब्दुल्ला
X

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने सोमवार को कहा कि अब विधानसभा चुनाव प्रक्रिया में शामिल होने और लोकतंत्र में भरोसा दिखाने वाले कुछ अलगाववादी नेताओं का फैसला उनके लिए सफलता है। इससे चुनावी राजनीति और हिंसा के खिलाफ उनके रुख की पुष्टि हुई है।

गांदरबल जिले के कंगन विधानसभा क्षेत्र में पत्रकारों से बात करते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा कि अलगाववादी नेताओं द्वारा मुख्य राजनीति में शामिल होना अलगाववादी खेमे में एक विचारधारा के परिवर्तन का संकेत है। बता दें कि कंगन विधानसभा क्षेत्र में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने मियां मेहर अली वरिष्ठ गुर्जर नेता और लोकसभा सदस्य मियां अल्ताफ अहमद के बेटे को चुनावी मैदान में उतारा है।

उन्होंने कहा कि, इससे पहले जब भी चुनाव होते थे, अलगाववादी बहिष्कार का राग अलापते थे। आज वे चुनाव लड़ रहे हैं।

यह दर्शाता है कि एक वैचारिक परिवर्तन हुआ है। इसने एनसी के रुख की पुष्टि की है कि हिंसा से किसी भी मुद्दे का समाधान नहीं होगा।

उन्होंने कहा, "हमने हमेशा यह बनाए रखा है कि हम जो भी हासिल कर सकते हैं वह लोकतांत्रिक तरीकों से हासिल किया जाएगा। यदि अलगाववादियों को लोकतंत्र में विश्वास हो गया है तो यह हमारे लिए एक उपलब्धि है, चाहे वे किसी भी राजनीतिक दल में शामिल हों।"

जब एक पत्रकार ने उनसे पूछा कि क्या अलगाववादी नेता सैयद सलीम गिलानी के पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) में शामिल होने से यह साबित होता है कि अलगाववादियों ने पिछले चुनावों में पीडीपी का समर्थन किया था, तो उमर अब्दुल्ला ने कहा, 'अगर आप दरार पैदा करना चाहते हैं मैं इस प्रश्न का उत्तर देता हूं, लेकिन, मैं इसका उत्तर नहीं दे रहा हूं।"

उन्होंने केंद्र शासित प्रदेश में भाजपा के चुनाव अभियान की देखरेख के लिए राम माधव की नियुक्ति पर तत्कालीन जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक के बयान का भी जिक्र किया।

उमर अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल मलिक के केंद्र में सत्तारूढ़ दल के साथ बहुत करीबी संबंध थे।

उन्होंने कहा, "उन्हें बेहतर पता होगा, उन्हें भाजपा ने यहां भेजा था और 2019 में जो कुछ भी हुआ, उनकी निगरानी में हुआ।"

यह पूछे जाने पर कि क्या राम माधव को पीडीपी के साथ गठबंधन कराने के लिए जम्मू-कश्मीर भेजा गया था, उमर अब्दुल्ला ने कहा कि केवल भाजपा ही इस पर दावे के साथ कुछ कह सकती है।

उन्होंने कहा, "हालांकि, इसमें कोई दो राय नहीं है कि माधव के पीडीपी के साथ सबसे अच्छे संबंध हैं। और वह 2014 में गठबंधन बनाने के लिए पीडीपी और भाजपा को एक ही मंच पर लाए थे। शायद, उन्हें फिर से उसी उद्देश्य से वापस लाया गया होगा।"

बता दें कि सत्यपाल मलिक ने आरोप लगाया था कि जब वह जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे तो राम माधव ने दो परियोजनाओं की फाइलों पर हस्ताक्षर करने के लिए रिश्वत की पेशकश की थी।

दिलचस्प बात यह है कि मलिक ने जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान यह बात नहीं कही और न ही उन्होंने उन लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई की, जिनके बारे में उन्होंने यहां अपने राज्यपाल कार्यकाल के दौरान रिश्वत की पेशकश करने का दावा किया था।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it