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बंगाल में राजनीतिक प्रतिशोध से शुरू हुई हिंसा ने लिया मजहबी उन्माद का रूप : स्वप्न दासगुप्ता

भाजपा के पूर्व राज्यसभा सांसद स्वप्न दासगुप्ता ने कहा है कि पश्चिम बंगाल में हिंसा सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस की ओर से पूरी तरह प्रायोजित थी और इसमें भाजपा कैडर व हिंदुओं को चुन-चुन कर निशाना बनाया गया

बंगाल में राजनीतिक प्रतिशोध से शुरू हुई हिंसा ने लिया मजहबी उन्माद का रूप : स्वप्न दासगुप्ता
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नई दिल्ली। भाजपा के पूर्व राज्यसभा सांसद स्वप्न दासगुप्ता ने कहा है कि पश्चिम बंगाल में हिंसा सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस की ओर से पूरी तरह प्रायोजित थी और इसमें भाजपा कैडर व हिंदुओं को चुन-चुन कर निशाना बनाया गया। प्रज्ञा प्रवाह पश्चिमी क्षेत्र (उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड) की ओर से आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में स्वप्न दासगुप्ता ने बताया कि राजनीतिक प्रतिशोध से शुरू हुई हिंसा ने जल्द ही मजहबी उन्माद का रूप ले लिया। अन्य इलाकों के अलावा जिस नंदीग्राम से स्वयं ममता बनर्जी ने चुनाव लड़ा और हार गईं वहां भी तृणमूल के हिंदू समर्थकों तक पर हमले हुए। हिंदुओं को खदेड़ने के उद्देश्य से उनके खलिहानों में आग लगाने, तालाबों में जहर डालने, भाजपा समर्थकों पर जजिया की तर्ज पर अर्थदंड लगाने और उनके मकान दुकान तोड़ने की घटनाओं का भी जिक्र किया।

उन्होंने बताया कि पुलिस प्रशासन पूरी हिंसा पर न सिर्फ मूकदर्शक बना रहा, बल्कि उसने पीड़ितों को धमकाने और उपद्रवियों का साथ देने का भी काम किया। लेखक विकास सारस्वत ने बड़े पैमाने पर हुई हिंसा के आंकड़े पेश किए। उनके अनुसार, विपक्षी भाजपा के पदाधिकारियों व समर्थकों पर की गई हिंसा में कुल 1320 एफआईआर दर्ज हुई हैं। इसके अलावा भय से पलायन कर असम के धुबरी जिले में पहुंचे शरणार्थियों द्वारा भी 28 एफआईआर दर्ज कराई गई हैं।

उन्होंने बताया कि दर्ज हुई प्रथमिकियों में हत्या, महिला उत्पीड़न के 29 मामले हैं। इसके अलावा, चुनाव के बाद भी मारपीट, लूटपाट, तोड़फोड़, आगजनी और धमकी आदि के मामलों में प्रथमिकी दर्ज हुई हैं।

उन्होंने बताया कि प्रज्ञा प्रवाह संगठन की ओर से विभिन्न रिपोटरें से संकलित किए आंकड़ों के अनुसार, बंगाल में हिंसा की कुल घटनाओं की संख्या 7500 से अधिक हैं। लगभग 4400 दुकान और मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं और 200 मकान पूरी तरह से जमींदोज किए गए हैं। पूर्व बर्धमान के औसग्राम में तो एक पूरी बस्ती को ही फूंक दिए जाने का मामला प्रकाश में आया है। अपने घरों को छोड़ 6788 लोग असम के 191 शिविरों में शरण लिए हुए हैं।

इस अवसर पर प्रज्ञा प्रवाह के क्षेत्रीय संयोजक भगवती प्रसाद राघव, डॉ. प्रवीण तिवारी, अवनीश त्यागी, डॉक्टर अंजली वर्मा, अनुराग विजय, नमन गर्ग, डॉ. पृथ्वी काला, दिव्य सोती, डॉ. रवि शरण दीक्षित सहित आदि प्रमुख लोग मौजूद रहे।


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