धर्म के आधार पर भेदभाव संविधान का उल्लंघन : वेंकैया
उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने शनिवार को कहा कि धर्म के आधार पर किसी तरह का भेदभाव संविधान का उल्लंघन है

हैदराबाद। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने शनिवार को कहा कि धर्म के आधार पर किसी तरह का भेदभाव संविधान का उल्लंघन है।
श्री नायडू ने मुफ्फखम जाह कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा, “ भारतीय समुदाय एक ऐसी सभ्यता की नींव पर बना है जो मूल रूप से सहिष्णु है और जिसमें सबकी धार्मिक स्वतंत्रता बनाए रखते हुए विविधतापूर्ण संस्कृति का आनंद लिया जाता है। भारत समावेशिता में विश्वास करता है, जिसमें प्रत्येक नागरिक को चाहे वह किसी भी धर्म का क्यों न हो समान अधिकार प्राप्त हैं।”
श्री नायडू ने कहा कि सबका साथ सबका विकास के आदर्श वाक्य का आधार भारतीय सम्यता का मूल दर्शन में है। संविधान में बिना किसी धार्मिक भेदभाव के प्रत्येक भारतीय नागरिक के लिए समानता का अधिकार सुनिश्चित किए जाने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों को वोट बैंक के रूप में देखे जाने जैसी भूलों के संभवत कुछ अवांछित सामाजिक और आर्थिक परिणाम दिखे हैं लेकिन अब स्थितियां बदल रही हैं और एक नया और युवा भारत तेजी से उभर रहा है।
उपराष्ट्रपति ने छात्रों से कहा कि उन्हें याद रखना चाहिए कि संस्कृति जीवन जीने का तरीका है जबकि धर्म सिर्फ पूजा करने का। भारत एक ऐसा देश है जो सहिष्णु सभ्यता की बुनियाद पर निर्मित हुआ है। भारत में धार्मिक स्वतंत्रता नागरिकों का मौलिक अधिकार है। उन्होंने कहा कि भारत पूरे विश्व में सर्वाधिक सहिष्णु देश है।
श्री नायडू ने कहा, “हमारे संविधान की प्रस्तावना में घोषणा की गयी है कि हमारा देश धर्मनिरपेक्ष है। इसके तहत हर नागरिक को धर्म के आधार पर बिना किसी भेदभाव के समानता का अधिकार प्राप्त है जबकि हमारा देश हिंदू बहुल देश है।”
उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत में जीवन के हर क्षेत्र में धार्मिक समानता को जगह दी गयी है और यही वजह है कि अल्पसंख्यक समुदाय के कई नेताओं को देश के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, मुख्य न्यायाधीश, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अटॉर्नी जनरल के पद पर आसीन होने का अवसर मिला है। इसके साथ ही संगीत, कला, संस्कृति, खेल और फिल्मों में भी उन्हें अपने हुनर दिखाने का मौका मिला है।
भारत को दुनिया के चार प्रमुख धर्मों-हिन्दू, बौद्ध, जैन और सिख धर्म की जन्मस्थली बताते हुए श्री नायडू ने कहा कि इसके साथ ही देश में बड़ी संख्या में इस्लाम, ईसाई और अन्य कई धर्मों के अनुयायी भी रहते हैं। देश में दुनिया के सात बड़े धर्मों के अनुयायियों का रहना इस बात का प्रमाण है कि भाईचारा, समानता, आत्मसात करने और मिलकर रहने की भावना ही भारत की सोच और जीने का तरीका है।


