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हिमाचल विधानसभा के 17वें उपाध्यक्ष बने विनय कुमार

हिमाचल प्रदेश के श्री रेणुका जी विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस विधायक विनय कुमार को विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन मंगलवार को उपाध्यक्ष का पद हासिल हुआ

हिमाचल विधानसभा के 17वें उपाध्यक्ष बने विनय कुमार
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नाहन। हिमाचल प्रदेश के श्री रेणुका जी विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस विधायक विनय कुमार को विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन मंगलवार को उपाध्यक्ष का पद हासिल हुआ।

हिमाचल प्रदेश की 14वीं विधान सभा का चतुर्थ सत्र मंगलवार सुबह 11 बजे शुरू हुआ।

बारह मार्च 1978 को जन्मे विनय कुमार ने जमा दो तक शिक्षा हासिल की है। दिसंबर, 2012 में राज्य विधान सभा के लिए चुने गए; दिसंबर, 2017 में पुनः निर्वाचित हुए। वह 25 दिसम्बर 2012- 20 दिसम्बर 2017 तक मुख्य संसदीय सचिव रहे। वह 2013-17 तक रेणुका विकास बोर्ड के अध्यक्ष भी रहे।

श्री कुमार 2018-2022 तक अलग -अलग समितियों के सदस्य भी रहे। दिसंबर, 2022 में लगातार तीसरी बार निर्वाचित हुए। लोक प्रशासन समिति के अध्यक्ष के रूप में भी नामांकित हुए।

सोमवार सुबह ही ये खबर प्रकाशित हुई थी कि श्री कुमार को उपाध्यक्ष का पद सौंपा जा सकता है। सिरमौर को ये पद दूसरी बार हासिल हुआ है। इससे पहले 17 अक्तूबर 1963 से 12 जनवरी 1967 तक नाहन के ठाकुर तपेंद्र सिंह भी विधानसभा के उपाध्यक्ष रह चुके हैं जबकि रिखी राम कौंडल ने उपाध्यक्ष का पद 17 अगस्त 1990 से 15 दिसंबर 1992 व 4 अगस्त 2009 से 21 दिसंबर 2012 तक संभाला था।

दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस नेता वीरभद्र सिंह के बेहद करीबी रहे स्व. डॉ. प्रेम सिंह के बेटे विनय कुमार को मंत्रिमंडल में भी शामिल करने की अटकलें चली थीं। लेकिन मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने उन्हें आखिर में उपाध्यक्ष पद के लिए राजी कर लिया। हाल ही में करीब 45 मिनट के पांवटा साहिब प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री ने विनय कुमार को उपाध्यक्ष बनाए जाने के संकेत दे दिए थे। इसके बाद सोमवार को विधायक विनय कुमार के समर्थक धर्मशाला रवाना होना शुरू हो गए थे।

गौरतलब है कि विधानसभा के पहले विस उपाध्यक्ष कृष्णचंद ने 31 अक्तूबर 1956 को कार्यभार संभाला था।

उल्लेखनीय है कि वीरभद्र सरकार में विनय कुमार को पहली बार विधायक बनते ही लोक निर्माण विभाग के मुख्य संसदीय सचिव का पद भी हासिल हुआ था।

हाल ही में सुक्खू सरकार की पहली वर्षगांठ के अवसर पर कांगड़ा व बिलासपुर को मंत्रिमंडल में स्थान मिला है। अनुसूचित जाति से दो मंत्री बनाए जा चुके हैं। उपाध्यक्ष भी इसी कोटे से होगा। साथ ही वीरभद्र सिंह-गुट को भी प्रतिनिधित्व मिल जाएगा। ये अलग बात है कि सिरमौर के स्थानीय राजनीतिक समीकरण भी साधे जाएंगे, जिसमे हाटी कबीले को अनुसूचित जनजाति का दर्जा भी शामिल है। मौजूदा में सिरमौर से ताकतवर मंत्री के रूप में हर्षवर्धन चौहान सरकार में शामिल हैं।


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