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नल-जल योजनाओं से ग्रामीणों को मिली राहत

मध्यप्रदेश के ग्रामीण इलाकों में पेयजल की दिक्कतों का सामना कर रहे ग्रामीणों को लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा संचालित नल-जल योजना से काफी राहत मिल रही है

नल-जल योजनाओं से ग्रामीणों को मिली राहत
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भोपाल। मध्यप्रदेश के ग्रामीण इलाकों में पेयजल की दिक्कतों का सामना कर रहे ग्रामीणों को लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा संचालित नल-जल योजना से काफी राहत मिल रही है। भीषण गर्मी के मौसम में भी ग्रामीण महिलाओं को इन योजनाओं के कारण पानी के लिये इधर-उधर भटकना नहीं पड़ा।

आधिकारिक जानकारी के अनुसार रीवा जिले के ग्राम देवरा फरेंदा के 758 परिवारों को घर-घर नल कनेक्शन देने की 1 करोड़ 76 लाख 96 हजार की योजना में तीन विद्युत पम्प लगाकर 13 हजार 64 मीटर जल वितरण लाइन बिछाई गई। गर्मी की तपन में इस व्यवस्था से अन्य गाँव के लोगों के घरों में भी सुबह-शाम पानी उपलब्ध होने लगा है। सिवनी जिले की ग्राम पंचायत कोहका के अन्तर्गत 2100 जनसंख्या वाले ग्राम मानेगाँव में 700 फिट गहरा नलकूप खनन कराकर नल-जल पाइप लाइन के जरिए प्रत्येक परिवार को पेयजल उपलब्ध करा दिया गया है।

मंदसौर जिले में गरोठ विकासखण्ड के ग्राम आक्या कुवरपदा के 165 परिवारों की कहानी कुछ अलग है। एक हजार दौ सौ आबादी के इस गाँव में कुएँ के साथ ही 6 हैण्ड पम्प हैं परन्तु गर्मी में इन सभी का जल स्तर काफी कम हो जाने से गाँव में पानी की समस्या विकराल हो गई थी। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा ग्रामवासियों की मदद से 2 नवीन नलकूप खनन करवाए गए और एक हजार मीटर पाइप लाइन का विस्तार कराकर जल प्रदाय शुरू करवाया गया।

नीमच जिले के ग्राम भड़क सनावदा की आबादी एक हजार से ज्यादा है। यहाँ पहले से 16 नलकूप और 4 हेण्ड पम्प हैं परन्तु जल-स्तर गिरने से एक-एक कर सभी सूख चुके थे। गाँव के लोग दो किलोमीटर दूर खेतों के कुओं और ट्यूबवेल से पानी लाने के लिए मजबूर थे। सरपंच किरणबाला ने गाँव से दूर एक निजी कुएँ से पाइप लाइन की वैकल्पिक व्यवस्था करवाई। यह सिलसिला कुछ दिनों तक ही चल पाया। अंततोगत्वा पी.एच.ई विभाग द्वारा गाँव में नवीन बोर कराकर मोटर लगवाई गई। अब इस बोर से गाँव के लोगों को पर्याप्त मात्रा में पेयजल उपलब्ध होने लगा है।

इसी प्रकार झाबुआ जिले के ग्राम तलावपाड़ा के हैण्ड पम्प ड्राय हो गये थे। ग्रामीण खेती-बाड़ी छोड़कर दिनभर पानी का इंतजाम करने में लगे रहते थे। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग और ग्राम पंचायत के प्रयासों से अब इस गाँव के लोगों को पानी की चिन्ता से मुक्ति मिल गई है। गाँव के रहवासी सिराज बंगराला, विजेन्द्र डामोर, नेवु भूरिया और मनुसिंह का कहना है कि टैंकरों के जरिए पानी उपलब्ध कराने के कारण पेयजल के संकट से उबर चुके हैं।


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