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रानी खेड़ा इलाके में कचरा डालने का ग्रामीणों ने किया विरोध

पूर्वी दिल्ली से निकलने वाला कचरा उत्तरी दिल्ली के रानी खेड़ा इलाके में डाले जाने पर स्थानीय लोगों ने विरोध शुरू कर दिया है

रानी खेड़ा इलाके में कचरा डालने का ग्रामीणों ने किया विरोध
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नई दिल्ली। पूर्वी दिल्ली से निकलने वाला कचरा उत्तरी दिल्ली के रानी खेड़ा इलाके में डाले जाने पर स्थानीय लोगों ने विरोध शुरू कर दिया है। विरोधस्वरूप ग्रामीण सड़कों पर उतर आये जिसके चलते मुंडका में यातायात जाम हो गया। उधर, चैगामा विकास समिति के विजेंद्र डबास ने बताया कि गांव में रविवार को पंचायत की गई। जिसमें गाजीपुर सैनेटरी लैंडफिल साइट पर हादसे के बाद उपराज्यपाल के आदेश पर गांव में कचरा फेंकने का जमकर विरोध किया गया। गांववासियों ने बताया कि हम किसी भी प्रकार का कचरा यहां बर्दाश्त नहीं करेंगे। इसके लिए चाहे ग्रामीणों को विशाल प्रदर्शन ही क्यों न करने पड़े।

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि दिल्ली देहात स्थित रानी खेड़ा गांव दिल्ली में आक्सीजन देने का कार्य करता है। समुचित दिल्ली में देहात के प्रदूषण मुक्त वातावरण की तारीफ की जाती है। गत वर्ष पुलिस आयुक्त आलोक कुमार वर्मा ने भी ग्रामीण इलाके में एक कैंटीन के शुभारंभ पर प्रदूषण मुक्त वातावरण की जमकर तारीफ की थी। रानी खेड़ा गांव में कचरा डालने संबंधी उपराज्यपाल अनिल बैजल के आदेश की दिल्ली देहात क्षेत्र में जमकर भर्तस्ना हो रही है और ग्रामीण इस पर विरोध दर्ज करा रहें हैं।

पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि जिस भूमि पर खेती हो रही है और उसके आसपास लैंडफिल साइट बना दी जाए तो वहां उपजने वाले खाद्य पदार्थों के साथ जल भी प्रदूषित हो जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार लैंडफिल साइट को वैज्ञानिक तरीके से विकसित किए बिना कूड़ा नहीं डाला जा ना चाहिए। कूड़े से रिसने वाला गंदा पानी धीरे धीरे जमीन में चला जाएगा। जिससे न सिर्फ भूमि बल्कि भूमिगत जल भी प्रदूषित हो जाएगा। वहीं, लोगों के स्वास्थ्य के लिए नई मुसीबत खड़ी हो जाएगी।

रानी खेड़ा में पूर्वी दिल्ली का कचरा डालना पूरी तरह अनुचित

रानीखेड़ा गांव इलाके में पशुवध अपशिष्ट डाले जाने का विरोध करने वाले स्थानीय लोगों ने मुंडका में आज दोपहर में जाम लगाया जिससे रोहतक रोड पर यातायात ठप हो गया। रानीखेड़ा गांव में ग्रामीणों ने पंचायत कर विरोध जताया। आने वाले दिनों में विरोध और तेज होगा। यूनिटी फ़ॉर डेवलपमेंट के अध्यक्ष आनन्द राणा ने कहा कि जब तीनों नगर निगम पूरी तरह अलग-अलग हैं तो पूर्वी दिल्ली का कूड़ा उत्तरी दिल्ली में नहीं डाला जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब गांवों को शहर का कूड़ाघर बनाना हो तो सभी नियम-कायदे रद्दी की टोकरी में फेंक दिए जाते हैं। लेकिन जब गांवों को सुविधा देने की मांग उठती है तो किसी सरकार, नगर निगम प्रशासन के कान पर जूं तक नहीं रेंगती है। लिहाजा तीनों निगमों को अपने कूड़े का निपटान खुद करना चाहिए। रानी खेड़ा में कूड़ा डालना पूरी तरह अनुचित है। इस फैसले से मुंडका, कंझावला, मुबारकपुर और कराला क्षेत्र के गांवों और कॉलोनियों में रहने वाले करीब दो लाख लोगों की जिंदगी बर्बाद हो जायेगी।

रानी खेड़ा में कूड़ा डालने के संबंध में महापौर ने उपराज्यपाल से की मुलाकात़

पूर्वी दिल्ली का कूड़ा-कचरा रानीखेड़ा में डाले जाने के संबंध में रविवार को उत्तरी दिल्ली की महापौर प्रीति अग्रवाल ने नेता सदन जयेन्द्र डबास के साथ दिल्ली के उप राज्यपाल अनिल बैजल से मुलाकात की। इस दौरान उपराज्यपाल ने महापौर को आश्वासन दिया कि यह व्यवस्था अस्थायी है और 1 सप्ताह के अंदर ही इस संबंध में स्थायी हल निकाल लिया जाएगा। साथ ही पशु वध का कोई भी अवशिष्ट रानी खेड़ा में न डाला जाए ये भी सुनिश्चित किया जाएगा।


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