हाथियों को खदेड़ने ग्रामीण कर रहे रतजगा
चांदो और कुसमी वनपरिक्षेत्र के बीच दात्रम और बाटा जंगल में डेरा जमाये हुए बारह उत्पाती हाथियों के दल को अपने-अपने गांव में घुसने से रोकने को लेकर ग्रामीणों के बीच होड़ मच गई है
अंबिकापुर। चांदो और कुसमी वनपरिक्षेत्र के बीच दात्रम और बाटा जंगल में डेरा जमाये हुए बारह उत्पाती हाथियों के दल को अपने-अपने गांव में घुसने से रोकने को लेकर ग्रामीणों के बीच होड़ मच गई है।
वनकर्मियों की सलाह को अनदेखी कर कड़ाके की ग्रामीण हर हाल में एक-दूसरे के गांव की ओर गजदल को भेजने की फिराक में है। बीते तीन दिन से कुसमी,सामरी व चांदो क्षेत्र में उत्पात मचा रहे जंगली हाथियों के दल द्वारा आज सामरी के दात्रम में एक ग्रामीण का घर तोड़ दिया और दर्जन भर से अधिक किसानों के खेतों के धान की फसल को नुकसान पहुंचाया है। शीतलहर के बीच गज आतंक से समूचे इलाके में दहशत है और रात में पनाह लेने के लिए सामरी, चांदो व कुसमी क्षेत्र के गज प्रभावित भटक रहे हैं।
ज्ञात हो कि हाथियों का यह दल फरवरी और जून-जुलाई में भी इसी इलाके में आये थे और पच्चास भी अधिक ग्रामीणों का घर तोड़ दिये थे। इस बार उत्पाती हाथियों का यह दल शीतलहर के साथ फिर कुसमी इलाके में पहुंच गया है। अब तक मिली जानकारी के अनुसार बारह उत्पाती हाथियों के दल ने जलबोथा में चार लोगों का घर तोड़ दिया था और धान की फसल को नुकसान पहुंचा था। बीती रात यह दल इदरीपाठ के जंगल से सामरी के ग्राम दात्रम पहुंचा और बस्ती किनारे स्थित अम्बिका यादव के घर को तोड़ भीतर रखे चावल, मक्का व धान को खा दिया। हाथी के आने की खबर मिलते ही यादव परिवार घर छोड़कर बाहर निकल चुका था।
और बस्ती में पहुंच अपनी जान बचाई। यह उत्पाती दल दात्रम के अनिल पिता मुकुंद, रामेष्वर पिता मुकुंद, अथनस पिता पोलूस, रामेश्वर पिता एतवा, जीनत पिता डिम्बा, राजू पिता डिम्बा, वीधू पिता धुमा, जगतू पिता सोमारू के धान की फसल को भी नुकसान पहुंचाया।
यह गजदल अभी भी वन परिक्षेत्र चांदो के ग्राम बाटा के जंगल में ढेरा जमाये हुए है और उत्पाती हाथियों को रोकने अलग-अलग गांव के लोग अपनी सीमा पर डट गये हैं और एक-दूसरे के बीच हाथियों को रोकने की प्रतिस्पर्धा भी शुरू हो गई है। वनकर्मी ग्रामीणों को हाथियों से दूर रहने समझाइश दे रहे हैं, मगर सभी अपने-अपने स्थल पर डटे हुए हैं।


