लुप्त होती प्राचीन बंजारा हस्तकला को जन जन तक पहुंचा रही हैं विजया
वैश्विक पहचान के लिए हस्तशिल्प मेले में ईपीसीएच ने स्टाल लगाने का दिया है अवसर

ग्रेटर नोएडा। बंजारा हस्त कला बहुत ही प्राचीन कला है, जिसे देश के कुछ राज्यों में देखने को मिलता था, यह कला लुप्त प्राय होती जा रही है,इस कला को महाराष्ट्र की रहने वाली विजया पवार आगे बढ़ा रही हैं।
बंजारा कला महाराष्ट्र के औरंगाबाद में पायी जाती है। बंजारा हस्तकला को विजया पवार के पति अपनी मां से सीखा था जो महाराष्ट्र में अधिकारी है, विजया ने अपने पति से सीखकर इस कला को आगे बढ़ा रही है।
ग्रेटर नोएडा में चल रहे ईपीसीएच के हस्तशिल्प मेले में पवार को निःशुल्क स्टाल लगाने को मिला है। स्टाल पर कुर्ता, ब्लाउज, फाइल, फोल्डर, पर्स, कुशन कवर, लेदर बैग, जूलरी आदि को प्रदर्शित किया गया है। विजया हरपन्नी गो बंजारा महिला कला विकास मण्डल की अध्यक्ष हैं वह आज के दिन में 250 महिलाओं को रोजगार परक बनाया है। विजया ने बताया कि अब तक एक हजार महिलाओं को प्रशिक्षित कर चुकी हैं।
बंजारा हस्तकला में योगदान के लिए विजया को 2018 में भारत सरकार वस्तु उद्योग मंत्रालय ने राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया है। बंजारा हस्तकला देश के विभिन्न प्रान्तों में पसंद करने के साथ वैश्विक पहचान मिलना शुरु हो गया है, जो जापान व हांगकांग में भी आर्डर मिले हैं।
विजया ने बताया कि जिसे क्राफ्ट का पता होता है वही इस कला का कद्र करता है और खरीदता है। विजया पवार ने बताया कि वह प्रधानमंत्री मोदी के सोशल मीडिया अकाउंट्स को संभाला और उसके माध्यम से अद्भुत बंजारा हस्तशिल्प के कार्य साझा किए और लोगों को कलाकृतियों से परिचित कराया।
विजया पवार पिछले 2 दशकों से बंजारा हस्तशिल्प को बढ़ावा देने का कार्य कर रही हैं। पीएम मोदी के सोशल मीडिया अकाउंट्स के माध्यम से उन्होंने बताया कि कैसे वह अपने मार्गदर्शन में हजारों महिला कारीगरों को प्रोत्साहित करने का काम कर रही हैं।


