विश्व ओरल सर्जन दिवस पर दंत चिकित्सकों को किया जागरुक
डेंटिस्ट्री में ओरल सर्जन बनने वाले छात्रों का काम अब केवल दांत निकालना ही नहीं रहा बल्कि अब ओरल सर्जन मुख कैंसर, जबडे के फै्रक्चर, कटे हुए तालु एवं होठो, बाल प्रत्यारोपण

ग्रेटर नोएडा। डेंटिस्ट्री में ओरल सर्जन बनने वाले छात्रों का काम अब केवल दांत निकालना ही नहीं रहा बल्कि अब ओरल सर्जन मुख कैंसर, जबडे के फै्रक्चर, कटे हुए तालु एवं होठो, बाल प्रत्यारोपण एवं बाधक निंद्रा अश्वसन का भी सफलता पूर्वक ईलाज कर सकते है।
यह बाते आईटीएस. डेंटल कॉलेज के ओरल सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. मेजर जनरल जीके. थपलियाल ने विश्व ओरल एवं मैक्सिलोफेसियल सर्जन डे पर आयोजित समारोह में कहा।
आर्मी रिसर्च एवं रेफरल संस्थान के विभागाध्यक्ष डॉ. कर्नल पी.के. चट्टोपाध्याय ने बताया कि पहले ओरल सर्जन केवल मेडिकल विभाग के साथ मिलकर रोगियो का इलाज करते थे लेकिन अब इनका कार्यक्षेत्र काफी बढ़ गया है और आज के ओरल सर्जन अकेले ही ऐसे रोगियो का इलाज कर पाने में पूरी तरह से सक्षम है।
उन्होनें बताया किस तरह बाधक निंद्रा अश्वसन का ईलाज सर्जरी द्वारा संभव है। डॉ. अक्षय भार्गव ने अपने संबोधन में कहा कि अंतरराष्ट्रीय ओरल सर्जरी डे मनाने का मुख्य कारण विश्व भर के ओरल सर्जन को समाज के प्रति उनकी सपर्पण भवना को देखते हुऐ उनको सम्मानित करना है।
उन्होंने आयोजको की टीम को इस सफल कार्यक्रम के आयोजन के लिए बधाई देते हुए कहा कि आज के समय में डेंटिस्ट का कार्य सिर्फ दन्त चिकित्सा एवं उनकी देखभाल तक न रहकर मुख के कैंसर, जन्मजात मुख के विकार एवं जबडे के फै्रक्चर के इलाज में भी अहम भूमिका निभाते है।


